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खुडीजल के प्राचीन मंदिर में हुआ देवी देवताओं का आगमन, पांच साल में बना मंदिर
आनी। जिला कुल्लू आऊटर सिराज क्षेत्र के प्राचीन एवं
प्रसिद्ध देवता खुडीजल के सान्निध्य में देवता पूज धार्मिक कार्यक्रम में
आनी, रघुपुर, छतरी, करसोग, महोग, विशलाधार व कराड़ क्षेत्र के देवी-देवताओं
संग सैंकड़ों देवलू शामिल हुए, जिनका भव्य स्वागत मंदिर कमेटी व क्षेत्र
की जनता की ओर से किया गया।
जानकारी के अनुसार 200 साल के बाद देवता खुडीजल मंदिर कोठी भवन के प्राण-प्रतिष्ठा महायज्ञ का आयोजन किया जा रहा है। बुधवार को देवी-देवताओं के आगमन के साथ रघुपुर क्षेत्र देवमय हो गया। इतिहास में ऐसा मौका सैंकड़ों साल के बाद आता है। इस देव मिलन को देखने के लिए जिला कुल्लू व साथ लगते जिला मंडी क्षेत्र के गांवों के लोग देवता संग देहुरी गांव में महा आयोजन में शामिल हुए हैं।
5 वर्षों में तैयार की देवता खुडीजल की कोठी
देवता खुडीजल के कारदार शेर सिंह ठाकुर और फौजी लाल शर्मा ने बताया कि देहुरी गांव में देवता खुडीजल के प्रांगण में देव मेला शुरू हो चुका है और देव परंपरा के अनुसार देवता खुडीजल मंदिर के नए भवन कोठी का जीर्णोद्धार करने में 5 साल का समय लगा है। करोड़ों की लागत से बने इस नए मंदिर कोठी भवन को प्राचीन मंदिर नक्काशी के अनुसार तैयार किया गया है, जिसमें जिला कुल्लू के बंजार व जिला मंडी के लकड़ी के बेहतरीन रंग व सजावट देने वाले कारीगरों ने 5 साल में इस भवन को तराशा है।
जानकारी के अनुसार 200 साल के बाद देवता खुडीजल मंदिर कोठी भवन के प्राण-प्रतिष्ठा महायज्ञ का आयोजन किया जा रहा है। बुधवार को देवी-देवताओं के आगमन के साथ रघुपुर क्षेत्र देवमय हो गया। इतिहास में ऐसा मौका सैंकड़ों साल के बाद आता है। इस देव मिलन को देखने के लिए जिला कुल्लू व साथ लगते जिला मंडी क्षेत्र के गांवों के लोग देवता संग देहुरी गांव में महा आयोजन में शामिल हुए हैं।
5 वर्षों में तैयार की देवता खुडीजल की कोठी
देवता खुडीजल के कारदार शेर सिंह ठाकुर और फौजी लाल शर्मा ने बताया कि देहुरी गांव में देवता खुडीजल के प्रांगण में देव मेला शुरू हो चुका है और देव परंपरा के अनुसार देवता खुडीजल मंदिर के नए भवन कोठी का जीर्णोद्धार करने में 5 साल का समय लगा है। करोड़ों की लागत से बने इस नए मंदिर कोठी भवन को प्राचीन मंदिर नक्काशी के अनुसार तैयार किया गया है, जिसमें जिला कुल्लू के बंजार व जिला मंडी के लकड़ी के बेहतरीन रंग व सजावट देने वाले कारीगरों ने 5 साल में इस भवन को तराशा है।
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