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परिवहन विभाग में स्टाफ का टोटा, डिपो में खड़ी है 30 बसें
नूंह।
परिवहन विभाग में स्टॉफ का टोटा है। टोटा होने की वजह से करीब 30 बस डिपो
में खड़ी जंग खा रही है। चालक-परिचालक नहीं होने के कारण नूंह जिले की
परिवहन व्यवस्था केवल 65 बसों पर आधारित है। ऐसा पिछले कई महीने से हो रहा
है। विभाग के मुताबिक इस माह स्टॉफ मिलने की आशंका है। उसके बाद डिपो में
खड़ी बस नूंह मेवात जिले की सड़कों पर फर्राटा भरती नजर आएंगी। जीएम रोडवेज
राजीव नागपाल ने खास बातचीत के दौरान यह जानकारी दी।
जीएम राजीव नागपाल के मुताबिक नूंह जिले के परिवहन बेड़े में तक़रीबन 94 रोडवेज की बसें है। नूंह जिला बस अड्डा के एतबार से सूबे में भले ही अव्वल माना जाता हो, लेकिन बसों के मामले में सबसे फिसड्डी है। एक तो बसों की कमी और उपर से स्टॉफ की कमी की वजह से सभी बसों का नहीं चलना चिंता का विषय है। नूंह जिले की परिवहन व्यवस्था राजस्थान रोडवेज की मदद से चल रही है। अलवर राजस्थान से दिल्ली जाने-आने वाली बसों में रोजाना सैकड़ों लोग सफर करते है। नूंह जिले से दिन ढलने के बाद बड़े शहरों से अन्य स्थानों को कोई बस सेवा नहीं है। दिन के समय भी देश के कई बड़े शहरों को नूंह से बस नहीं जाती। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से महज 70 किलोमीटर की दूरी पर बसे नूंह मेवात जिले की परिवहन व्यवस्था के ये हालात है। अगर हालात ऐसे ही रहे तो यह जिला अन्य जिलों का मुकाबला कैसे कर पायेगा। जिस जिले में बस सेवा को भी लोग तरस रहे हो , वहां रेल तो लोग हकीकत में देख भी नहीं पाएं है।
जीएम राजीव नागपाल के मुताबिक नूंह जिले के परिवहन बेड़े में तक़रीबन 94 रोडवेज की बसें है। नूंह जिला बस अड्डा के एतबार से सूबे में भले ही अव्वल माना जाता हो, लेकिन बसों के मामले में सबसे फिसड्डी है। एक तो बसों की कमी और उपर से स्टॉफ की कमी की वजह से सभी बसों का नहीं चलना चिंता का विषय है। नूंह जिले की परिवहन व्यवस्था राजस्थान रोडवेज की मदद से चल रही है। अलवर राजस्थान से दिल्ली जाने-आने वाली बसों में रोजाना सैकड़ों लोग सफर करते है। नूंह जिले से दिन ढलने के बाद बड़े शहरों से अन्य स्थानों को कोई बस सेवा नहीं है। दिन के समय भी देश के कई बड़े शहरों को नूंह से बस नहीं जाती। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से महज 70 किलोमीटर की दूरी पर बसे नूंह मेवात जिले की परिवहन व्यवस्था के ये हालात है। अगर हालात ऐसे ही रहे तो यह जिला अन्य जिलों का मुकाबला कैसे कर पायेगा। जिस जिले में बस सेवा को भी लोग तरस रहे हो , वहां रेल तो लोग हकीकत में देख भी नहीं पाएं है।
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