Advertisement
दादा-परदादा के नाम का पता नहीं और वंश बढ़ाने के लिए मार रहे हैं बेटियां : नवीन जैन
सीकर। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के शासन सचिव व एनएचएम के मिशन निदेशक नवीन जैन ने कहा कि वंश का नाम बढ़ाने का बहाना बनाकर आज बेटियों का कोख में कत्ल किया जा रहा है। अपने दादा-परदादा का नाम नहीं जानने वाले लोग वंश बढ़ाने के लिए बेटों की चाहत में बेटियों को कोख में मार रहे हैं। उन्होंने कहा कि मृत्यु के बाद बेटे के हाथ से अंतिम क्रिया करवाकर मोक्ष प्राप्ति की कामना रखने वाले भी बेटियों का दम कोख में घोट रहे हैं। एनएचएम के मिशन निदेशक जैन यहां सांवली रोड बाइपास स्थित भारतीय शिक्षा संकुल के इंजीनियरिंग कॉलेज परिसर में डॉटर्स आर प्रिसियस (डेप) रक्षकों के प्रशिक्षण को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि मां-बाप रात को देरी से आने वाली बेटी की चिंता तो करते हैं, उससे तरह-तरह के प्रश्नों की झड़ी लगा देते हैं, लेकिन रातभर बाहर रहने वाले बेटे से प्रश्न पूछने से भी हिचकिचाते हैं। उन्होंने कहा कि बेटियों के अधिकारों पर हम कदम-कदम पर कुडंली मार रहे हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि घूमने का ट्यूर प्लान करने वाले बेटे को महज कुछ मिन्नतों के बाद जाने की इजाजत मिल जाती है, लेकिन बेटी को सुरक्षा की बात कह कर जाने से रोक दिया जाता है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में पिछले सवा साल में कई शिक्षण संस्थानों में यह कार्यक्रम आयोजित कर युवाओं को बेटी बचाओ का संदेश दिया है। इसी कड़ी में 24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका दिवस पर प्रदेश के सभी जिलों में एक ही दिन एक ही समय पर शिक्षण संस्थान में ‘बेटियां हैं अनमोल’ कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। प्रदेश के सभी जिलों में करीब 3300 से अधिक शिक्षण संस्थान में डेप रक्षक युवाओं को डॉटर्स आर प्रिसियस का संदेश देंगे। जिलों में इस तरह के डेप रक्षक प्रशिक्षण का आयोजन किया जा रहा है। इसी कड़ी में सीकर में प्रशिक्षण का आयोजन किया गया है।
सेवारत चिकित्सकों से मुहिम को होगा फायदा
जैन ने कहा कि प्रदेश के सेवारत चिकित्सकों के बेटी बचाओ की इस मुहिम में जुटने से नया मुकाम मिलेगा। उन्होंने कहा कि सेवारत चिकित्सक चिकित्सा संस्थान में आने वाले हर रोगी के साथ परिजनों को भी मुखबिर योजना व भ्रूण लिंग परीक्षण नहीं करवाने के बारे में समझाइश करेंगे। उन्होंने सेवारत चिकित्सक संघ के पदाधिकारियों का भी इस मुहिम में सहयोग करने को भी बड़ी शुरुआत बताया।
स्थानांतरण के लिए बेटे बन जाते हैं श्रवण कुमार
जैन ने कहा कि समाज में बदलाव की बयार भी शुरू हो गई है बेटियां पिता को कंधा देकर मुखाग्नि दे रही हैं तो बेटियां मां-बाप को किडनी देकर बचा रही हैं। उन्होंने कहा कि मां-बाप की सबसे ज्यादा चिंता बेटियों को रहती है। स्थानांतरण की प्रक्रिया शुरू होते ही कार्मिक सबसे पहला बहाना मां-बाप की सेवा का बनाकर ही आवेदन लेकर पहुंचते हैं। श्रवण कुमार बनने की लाइन लग जाती है, जबकि हकीकत में मां-बाप की सेवा एक बहाना होता है।
आंकड़ों से बताया लिंगानुपात का आंकड़ा
मिशन निदेशक ने आंकड़ों के माध्यम से घटते लिंगानुपात को बताया। उन्होंने बताया कि 1991 में सीकर का लिंगानुपात 904 पर था। बेटों की चाहत में लिंग भ्रूण जांच परीक्षण बढ़ने के साथ 2011 में यह आंकड़ा 847 पर पहुंच गया। उन्होंने बताया की शिक्षा नगरी होने के बाद भी यहां लगातार आंकड़ा घटता रहा है। इसी का परिणाम है कि हरियाणा की तर्ज पर सीकर में भी दूसरे राज्यों से बहुएं शादी कर लाई जा रही हैं। उन्होंने राजस्थान के नक्शे में सीकर व झुंझुनूं को रेड जोन में बताया। उन्होंने कहा कि सीकर व झुंझुनूं में सबसे ज्यादा जागरूक व शिक्षित लोग होने के बाद भी यहां लिंग भ्रूण परीक्षण के मामले सबसे ज्यादा सामने आ रहे हैं, लेकिन यहा जन्मदर बढ़ रही है।
मुखबिर योजना व ट्रेकिंग डिवाइस से फायदा
उन्होंने कहा कि मां-बाप रात को देरी से आने वाली बेटी की चिंता तो करते हैं, उससे तरह-तरह के प्रश्नों की झड़ी लगा देते हैं, लेकिन रातभर बाहर रहने वाले बेटे से प्रश्न पूछने से भी हिचकिचाते हैं। उन्होंने कहा कि बेटियों के अधिकारों पर हम कदम-कदम पर कुडंली मार रहे हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि घूमने का ट्यूर प्लान करने वाले बेटे को महज कुछ मिन्नतों के बाद जाने की इजाजत मिल जाती है, लेकिन बेटी को सुरक्षा की बात कह कर जाने से रोक दिया जाता है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में पिछले सवा साल में कई शिक्षण संस्थानों में यह कार्यक्रम आयोजित कर युवाओं को बेटी बचाओ का संदेश दिया है। इसी कड़ी में 24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका दिवस पर प्रदेश के सभी जिलों में एक ही दिन एक ही समय पर शिक्षण संस्थान में ‘बेटियां हैं अनमोल’ कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। प्रदेश के सभी जिलों में करीब 3300 से अधिक शिक्षण संस्थान में डेप रक्षक युवाओं को डॉटर्स आर प्रिसियस का संदेश देंगे। जिलों में इस तरह के डेप रक्षक प्रशिक्षण का आयोजन किया जा रहा है। इसी कड़ी में सीकर में प्रशिक्षण का आयोजन किया गया है।
सेवारत चिकित्सकों से मुहिम को होगा फायदा
जैन ने कहा कि प्रदेश के सेवारत चिकित्सकों के बेटी बचाओ की इस मुहिम में जुटने से नया मुकाम मिलेगा। उन्होंने कहा कि सेवारत चिकित्सक चिकित्सा संस्थान में आने वाले हर रोगी के साथ परिजनों को भी मुखबिर योजना व भ्रूण लिंग परीक्षण नहीं करवाने के बारे में समझाइश करेंगे। उन्होंने सेवारत चिकित्सक संघ के पदाधिकारियों का भी इस मुहिम में सहयोग करने को भी बड़ी शुरुआत बताया।
स्थानांतरण के लिए बेटे बन जाते हैं श्रवण कुमार
जैन ने कहा कि समाज में बदलाव की बयार भी शुरू हो गई है बेटियां पिता को कंधा देकर मुखाग्नि दे रही हैं तो बेटियां मां-बाप को किडनी देकर बचा रही हैं। उन्होंने कहा कि मां-बाप की सबसे ज्यादा चिंता बेटियों को रहती है। स्थानांतरण की प्रक्रिया शुरू होते ही कार्मिक सबसे पहला बहाना मां-बाप की सेवा का बनाकर ही आवेदन लेकर पहुंचते हैं। श्रवण कुमार बनने की लाइन लग जाती है, जबकि हकीकत में मां-बाप की सेवा एक बहाना होता है।
आंकड़ों से बताया लिंगानुपात का आंकड़ा
मिशन निदेशक ने आंकड़ों के माध्यम से घटते लिंगानुपात को बताया। उन्होंने बताया कि 1991 में सीकर का लिंगानुपात 904 पर था। बेटों की चाहत में लिंग भ्रूण जांच परीक्षण बढ़ने के साथ 2011 में यह आंकड़ा 847 पर पहुंच गया। उन्होंने बताया की शिक्षा नगरी होने के बाद भी यहां लगातार आंकड़ा घटता रहा है। इसी का परिणाम है कि हरियाणा की तर्ज पर सीकर में भी दूसरे राज्यों से बहुएं शादी कर लाई जा रही हैं। उन्होंने राजस्थान के नक्शे में सीकर व झुंझुनूं को रेड जोन में बताया। उन्होंने कहा कि सीकर व झुंझुनूं में सबसे ज्यादा जागरूक व शिक्षित लोग होने के बाद भी यहां लिंग भ्रूण परीक्षण के मामले सबसे ज्यादा सामने आ रहे हैं, लेकिन यहा जन्मदर बढ़ रही है।
मुखबिर योजना व ट्रेकिंग डिवाइस से फायदा
ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
Advertisement
Advertisement
सीकर
राजस्थान से
सर्वाधिक पढ़ी गई
Advertisement