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बंद होगी शिमला की 145 साल पुरानी केंद्रीय प्रेस
शिमला। द्वितीय विश्व युद्ध के समय के गोपनीय दस्तावेजों की छपाई करने वाली 145 साल पुरानी शिमला की केंद्रीय प्रेस 15 दिसंबर को बंद हो जाएगी। केंद्र सरकार ने 145 साल पुरानी इस प्रेस के साथ देश की 12 अन्य प्रिटिंग प्रेस के युक्तिकरण का फैसला लिया है। इसी के तहत केंद्रीय प्रेस को बंद कर यहां के सभी कर्मचारियों को बाकी संचालित पांच प्रेस में समायोजित करने का फैसला लिया है। अंग्रेजी हुकूमत के वक्त लॉर्ड कर्जन के जमाने में शिमला में इस प्रेस की स्थापना 1872 में की थी। तब यह प्रेस बेनमोर में स्थापित की गई थी। उसके बाद यह माल गोदाम और अब तक टूटीकंडी में चल रही है।
केंद्र सरकार के आदेश के मुताबिक शिमला स्थित प्रेस के 54 कर्मियों को 16 दिसंबर को मायापुरी स्थित प्रेस में ज्वाइनिंग देनी होगी, लेकिन केंद्रीय प्रेस के समस्त कर्मचारियों ने निर्णय लिया है कि वे इस आदेश को नहीं मानेंगे। सरकार के निर्णय से नाराज कर्मियों ने गुरुवार को प्रेस परिसर के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने चेतावनी दी कि वह यहीं प्रेस के बाहर धरना देते रहेंगे। कर्मियों का कहना है कि यहां प्रबंधन स्तर का कोई अधिकारी नहीं है। ऐसे में केंद्र सरकार की ओर से जारी तबादला आदेश का पालन करना नियमानुसार उचित नहीं है। फिलहाल इस प्रेस में डाक विभाग से जुड़ा प्रिंटिंग का काम होता है। इससे पहले रक्षा मंत्रालय से संबंधित काम भी यही प्रेस करती रही है।
पहले भी हुआ था बंद करने का निर्णय
केंद्रीय प्रिटिंग प्रेस में 1980 में कर्मचारियों की संख्या 868 थी, जो आज केवल 98 रह गई है। 1986 में केंद्र की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने भी इसे बंद करने का प्रयास किया था। 2002 में तत्कालीन वाजपेयी सरकार ने भी इसे बंद करने का निर्णय लिया था, लेकिन कर्मचारियों के संघर्ष और विरोध के चलते सरकारों को निर्णय वापस लेना पड़ा था।
केंद्र सरकार के आदेश के मुताबिक शिमला स्थित प्रेस के 54 कर्मियों को 16 दिसंबर को मायापुरी स्थित प्रेस में ज्वाइनिंग देनी होगी, लेकिन केंद्रीय प्रेस के समस्त कर्मचारियों ने निर्णय लिया है कि वे इस आदेश को नहीं मानेंगे। सरकार के निर्णय से नाराज कर्मियों ने गुरुवार को प्रेस परिसर के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने चेतावनी दी कि वह यहीं प्रेस के बाहर धरना देते रहेंगे। कर्मियों का कहना है कि यहां प्रबंधन स्तर का कोई अधिकारी नहीं है। ऐसे में केंद्र सरकार की ओर से जारी तबादला आदेश का पालन करना नियमानुसार उचित नहीं है। फिलहाल इस प्रेस में डाक विभाग से जुड़ा प्रिंटिंग का काम होता है। इससे पहले रक्षा मंत्रालय से संबंधित काम भी यही प्रेस करती रही है।
पहले भी हुआ था बंद करने का निर्णय
केंद्रीय प्रिटिंग प्रेस में 1980 में कर्मचारियों की संख्या 868 थी, जो आज केवल 98 रह गई है। 1986 में केंद्र की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने भी इसे बंद करने का प्रयास किया था। 2002 में तत्कालीन वाजपेयी सरकार ने भी इसे बंद करने का निर्णय लिया था, लेकिन कर्मचारियों के संघर्ष और विरोध के चलते सरकारों को निर्णय वापस लेना पड़ा था।
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