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कोटा में खुली प्रदेश की दूसरी सिन्धु शोध पीठ, रिसर्च में आएगी तेजी -देवनानी
कोटा। राज्य सरकार द्वारा प्रदेश में विभिन्न समाजों की संस्कृति एवं
साहित्य की प्रगति एवं संरक्षण के लिए किए जा रहे प्रयासों के तहत कोटा
विश्वविद्यालय में प्रदेश की दूसरी सिन्धु शोध पीठ शुरू की गई है। महर्षि
दयानन्द सरस्वती विश्वविद्यालय अजमेर की शोध पीठ के पश्चात यह पीठ भी
सिन्धी साहित्य एवं संस्कृति से संबंधित शोध के लिए काम करेगी। पीठ के लिए
एक करोड़ रूपये का कोष स्थापित किया गया है।
शिक्षा राज्य मंत्री वासुदेव देवनानी ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा संस्कृति के संवद्र्वन एवं संरक्षण के लिए किए जा रहे प्रयासों के तहत कई स्तर पर काम किया जा रहा है। इन्ही प्रयासों की कड़ी में कोटा विश्वविद्यालय में प्रदेश की दूसरी सिन्धु शोध पीठ शुरू की गई है। प्रदेश की पहली महर्षि दयानन्द सरस्वती विश्वविद्यालय अजमेर की सिन्धु शोध पीठ के पश्चात यह पीठ भी सिन्धी साहित्य एवं संस्कृति से संबंधित रिसर्च एवं अन्य कार्यक्रमों को बढ़ावा देने के लिए काम करेगी।
उन्होंने बताया कि शोध पीठ को गति देने के लिए विश्वविद्यालय द्वारा एक करोड़ रूपये का बजट आवंटित किया गया है। शीघ्र ही शोध पीठ अपना कार्यक्रम कैलेन्डर जारी करेगी। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार द्वारा स्कूली शिक्षा के पाठ्यक्रम में सिंधी संतों एवं महापुरूषों से संबंधित पाठ भी जोड़े गये है। पाठयक्रम में सिंधी संत स्वामी टेऊंराम, संत कंवरराम, श्री चंद्र महाराज, महाराजा दाहरसेन एवं शहीद हेमू कालानी आदि के पाठ जोड़े गये है ताकि समाज के युवा उनसे प्रेरणा ले सकें। देश के कई राज्यों में इस तरह की सिन्धु शोध पीठ कार्यरत है।
शिक्षा राज्य मंत्री वासुदेव देवनानी ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा संस्कृति के संवद्र्वन एवं संरक्षण के लिए किए जा रहे प्रयासों के तहत कई स्तर पर काम किया जा रहा है। इन्ही प्रयासों की कड़ी में कोटा विश्वविद्यालय में प्रदेश की दूसरी सिन्धु शोध पीठ शुरू की गई है। प्रदेश की पहली महर्षि दयानन्द सरस्वती विश्वविद्यालय अजमेर की सिन्धु शोध पीठ के पश्चात यह पीठ भी सिन्धी साहित्य एवं संस्कृति से संबंधित रिसर्च एवं अन्य कार्यक्रमों को बढ़ावा देने के लिए काम करेगी।
उन्होंने बताया कि शोध पीठ को गति देने के लिए विश्वविद्यालय द्वारा एक करोड़ रूपये का बजट आवंटित किया गया है। शीघ्र ही शोध पीठ अपना कार्यक्रम कैलेन्डर जारी करेगी। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार द्वारा स्कूली शिक्षा के पाठ्यक्रम में सिंधी संतों एवं महापुरूषों से संबंधित पाठ भी जोड़े गये है। पाठयक्रम में सिंधी संत स्वामी टेऊंराम, संत कंवरराम, श्री चंद्र महाराज, महाराजा दाहरसेन एवं शहीद हेमू कालानी आदि के पाठ जोड़े गये है ताकि समाज के युवा उनसे प्रेरणा ले सकें। देश के कई राज्यों में इस तरह की सिन्धु शोध पीठ कार्यरत है।
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