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राजस्थान पुलिस की नकली वर्दी पहने फर्जी इंस्पेक्टर घूस लेते गिरफ्तार
भिवानी। सीआईए पुलिस ने एक पुलिस इंस्पेक्टर को गिरफ्तार किया है। वो भी दूसरी बार। लेकिन बता दें कि ये इंस्पेक्टर नकली था, जो राजस्थान पुलिस की फर्जी वर्दी व स्टार के बल पर लोगों से ठगी करता था। इसे पहले 2015 में गिरफ्तार किया था और एक महिना पहले ही भिवानी जेल से छूटते ही दूसरी बार फिर लोगों को ठगना शुरू कर दिया था।
सीआईए पुलिस गिरफ्त में आया ये रणधीर पुत्र उमेद सिंह हैं। रणधीर झज्जर जिला के बिठला गांव का निवासी है। इसके फर्जी पहचान पत्र के मुताबिक ये राजस्थान पुलिस का इंस्पेक्टर है और बेलट नंबर 845 है। 1961 में जन्मे रणधीर इन फर्जी पहचान पत्रों के मुताबिक 1976 यानी 15 साल की उम्र में ही इंस्पेक्टर बन गया था। पिछले 6-7 सालों से रणधीर नकली राजस्थान पुलिस का नकली इंस्पेक्टर बना और लोगों को ठगना शुरू कर दिया।
पुलिस के मुताबीक रणधीर ने शुरू में अपने आप को राजस्थान का इंस्पेक्टर बताया और वर्दी में लोगों से मिल कर उन्हे झांसे में लेता। रणधीर लोगों को बताता कि वो राजस्थान पुलिस में न केवल इंस्पेक्टर है, बल्कि पुलिस के बङे-बङे अधिकारियों से उसकी अच्छी दोस्ती है। वह लोगों को झांसे में लेकर बेरोजगार युवकों को राजस्थान पुलिस में भर्ती करवाने के लिए 6-7 लाख रुपए वो भी भर्ती होने के बाद देने की मांग करता। इससे पहले वह युवाओं की बेरोजगार का फायदा उठा कर राजस्थान का रिहायसी प्रमाण पत्र बनाने के लिए 20-25 हजार रुपये की मांग करता जो उसे आसानी से मिल जाते। इसके बाद वह फरार हो जाता।
इसी मामले में पुलिस ने रणधीर को 2015 में गिरफ्तार किया था। रणधीर एक महिने पहले ही भिवानी जेल से छुटा था। जेल से छुटते ही उसने फिर लोगों को फंसाना शुरू किया। इस बार उसने महम के पास गांव चन्द्र भैणी के एक युवक को जाल में फंसाया और कहा कि वह राजस्थान पुलिस में इंस्पेक्टर है और जेल में बंद उसके (युवक के) पिता को 50 हजार रुपये देने पर छुङवा सकता है। जब बार-बार फोन करने पर उक्त युवक को शक हुआ तो उसने पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने इस सूचना के आधार पर रणधीर को दौबारा से गिरफ्तार किया।
सीआईए पुलिस के एसआई भूषण कुमार ने बताया कि इस बार रणधीर से फर्जी वर्दी, स्टार, दो नकली मोहर व फर्जी पहचान पत्र बरामद किए हैं। उन्होने बताया कि महम के गांव चन्द्र भैणी गांव निवासी एक युवक की शिकायत पर रणधीर को गिरफ्तार किया है और उसे अदालत में पेश कर रिमांड पर लिया जाएगा।
सीआईए पुलिस गिरफ्त में आया ये रणधीर पुत्र उमेद सिंह हैं। रणधीर झज्जर जिला के बिठला गांव का निवासी है। इसके फर्जी पहचान पत्र के मुताबिक ये राजस्थान पुलिस का इंस्पेक्टर है और बेलट नंबर 845 है। 1961 में जन्मे रणधीर इन फर्जी पहचान पत्रों के मुताबिक 1976 यानी 15 साल की उम्र में ही इंस्पेक्टर बन गया था। पिछले 6-7 सालों से रणधीर नकली राजस्थान पुलिस का नकली इंस्पेक्टर बना और लोगों को ठगना शुरू कर दिया।
पुलिस के मुताबीक रणधीर ने शुरू में अपने आप को राजस्थान का इंस्पेक्टर बताया और वर्दी में लोगों से मिल कर उन्हे झांसे में लेता। रणधीर लोगों को बताता कि वो राजस्थान पुलिस में न केवल इंस्पेक्टर है, बल्कि पुलिस के बङे-बङे अधिकारियों से उसकी अच्छी दोस्ती है। वह लोगों को झांसे में लेकर बेरोजगार युवकों को राजस्थान पुलिस में भर्ती करवाने के लिए 6-7 लाख रुपए वो भी भर्ती होने के बाद देने की मांग करता। इससे पहले वह युवाओं की बेरोजगार का फायदा उठा कर राजस्थान का रिहायसी प्रमाण पत्र बनाने के लिए 20-25 हजार रुपये की मांग करता जो उसे आसानी से मिल जाते। इसके बाद वह फरार हो जाता।
इसी मामले में पुलिस ने रणधीर को 2015 में गिरफ्तार किया था। रणधीर एक महिने पहले ही भिवानी जेल से छुटा था। जेल से छुटते ही उसने फिर लोगों को फंसाना शुरू किया। इस बार उसने महम के पास गांव चन्द्र भैणी के एक युवक को जाल में फंसाया और कहा कि वह राजस्थान पुलिस में इंस्पेक्टर है और जेल में बंद उसके (युवक के) पिता को 50 हजार रुपये देने पर छुङवा सकता है। जब बार-बार फोन करने पर उक्त युवक को शक हुआ तो उसने पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने इस सूचना के आधार पर रणधीर को दौबारा से गिरफ्तार किया।
सीआईए पुलिस के एसआई भूषण कुमार ने बताया कि इस बार रणधीर से फर्जी वर्दी, स्टार, दो नकली मोहर व फर्जी पहचान पत्र बरामद किए हैं। उन्होने बताया कि महम के गांव चन्द्र भैणी गांव निवासी एक युवक की शिकायत पर रणधीर को गिरफ्तार किया है और उसे अदालत में पेश कर रिमांड पर लिया जाएगा।
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