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कैप्टन अमरिंदर यादविंदरा पब्लिक स्कूल के प्लैटिनम जुबली समारोह में हुए शामिल
पटियाला। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह आज यहां यादविंदरा
पब्लिक स्कूल के अध्यापकों, विद्यार्थियों और इस स्कूल से शिक्षा प्राप्त
कर चुके पुराने विद्यार्थियों के साथ संस्था की प्लैटिनम जुबली के अवसर पर
करवाये गये शानदार सांस्कृतिक समारोह में शामिल हुए।
अपने पिता महाराजा यादविन्दर सिंह की तरफ से स्थापित किये गए इस स्कूल में जब मुख्यमंत्री पहुंचे तो विद्यार्थियों ने उनका जोरदार स्वागत किया। इस अवसर पर कैप्टन अमरिंन्दर के साथ उन की पत्नी श्रीमती परनीत कौर और डा. कर्ण सिंह, जो इस स्कूल के विद्यार्थी रहे हैं, भी उपस्थित रहे।
इस मौके कैप्टन अमरिन्दर सिंह के भाई और स्कूल के बोर्ड ऑफ गवर्नर के चेयरमैन राजा मालविन्दर सिंह ने कहा कि इस प्रतिष्ठित संस्था की स्थापना उनके पिता जी की दूरदृष्टि को दर्शाती है। देश के बंटवारे के कठिन दौर में उनके पिता की ओर से स्कूल स्थापित करने के महान प्रयास का स्मरण करते हुए राजा मालविन्दर सिंह ने स्कूल के सबसे पुराने विद्यार्थियों में से एक जस्टिस एस. एस. सोढी का जिक्र किया, जो 1949 में यहाँ से पास आउट हुए, जिन्होंने बीते वीरवार को स्कूल की स्थापना के समारोहों का हिस्सा लिया था।
राजा मालविन्दर सिंह ने कहा कि पिछले 70 वर्षों में स्कूल ने कई महत्वपूर्ण पड़ाव तय किए हैं और आज इसका नाम देश के पहली पंक्ति के प्रतिष्ठित स्कूलों में आता है और यह संस्था अपनी तरक्की और प्रसिद्धि का सफर बदसतूर जारी रखेगी। उन्होंने कहा कि स्कूल के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के अलावा खेल के क्षेत्र में नये क्षितिज कायम किये जा रहे हैं। उन्होंने विद्यार्थियों को संस्था की परंपराओं अनुसार मुताबिक उच्च नैतिक मुल्यों को अपनाने का आह्वान किया। स्कूल के छात्र रहे व पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्यार्थी डा. कर्ण सिंह ने महाराजा यादविन्दर सिंह को श्रद्धाँजलि अर्पित करते हुए उन्हें दूरदर्शी और कभी ना भुलाए जाने वाली महान शख्सियत करार दिया। वाईपीएस की विलक्षणता को दर्शाते हुए उन्होंने इस की बहुपक्षीय प्राप्तियों की प्रशंसा की और बाल मन को अज्ञानता, कट्टरवाद और अहंकार से दूर रखने के लिए शिक्षा के महत्व पर बल दिया। डा. कर्ण सिंह ने बच्चों को नये भारत के निर्माता बताते हुए ज्ञान का प्रयोग कर अपने तन मन का निर्माण करने का आह्वान किया जिससे उनके सपनों के देश का सृजन किया जा सके। निरंतर वार्तालाप की महत्ता पर जोर देते हुए उन्होंने बच्चों से मुखातिब होते हुए कहा कि कभी भी सवाल पूछने से झिझको मत और टीम वर्क से अपने सामाजिक हुनर को निखारने की ओर अधिक ध्यान दें क्योंकि यही दक्षता ही जिंदगी के मुश्किल दौर में से विजयी हो कर निकालने में सहायक सिद्ध होगी। पब्लिक स्कूलों में छोटे बच्चों का बड़े बच्चों की तरफ से मजाक उड़ाने और उन्हें तंग परेशान करने की पेश चुणौतियों का जिक्र करते डा. कर्ण सिंह ने कहा कि बच्चों के साथ उनके सीनियरों की तरफ से ऐसा व्यवहार करना हमारी परंपरा का हिस्सा नहीं बल्कि यह कायरता की निशानी है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि शिक्षा के लिए मिले इस अवसर के दौरान वे अपने व्यक्त्तिव को सुदृढ़ करें, साथ ही उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों में अनुशासन की भावना पैदा करने के साथ साथ संविधान में दर्ज मौलिक अधिकारों और कर्तव्यों के महत्व से अवगत करवाने पर भी बल दिया। समाज में बढ़ रही असहनशीलता का हवाला देते हुए डा. कर्ण सिंह ने विद्यार्थियों को कट्टरवाद से दूर रखने प्रति सचेत किया। उन्होंने कहा कि जो भी धर्म कट्टरवाद का शिकार होता है, वह धर्म अंत में समाप्त हो जाता है।
अपने पिता महाराजा यादविन्दर सिंह की तरफ से स्थापित किये गए इस स्कूल में जब मुख्यमंत्री पहुंचे तो विद्यार्थियों ने उनका जोरदार स्वागत किया। इस अवसर पर कैप्टन अमरिंन्दर के साथ उन की पत्नी श्रीमती परनीत कौर और डा. कर्ण सिंह, जो इस स्कूल के विद्यार्थी रहे हैं, भी उपस्थित रहे।
इस मौके कैप्टन अमरिन्दर सिंह के भाई और स्कूल के बोर्ड ऑफ गवर्नर के चेयरमैन राजा मालविन्दर सिंह ने कहा कि इस प्रतिष्ठित संस्था की स्थापना उनके पिता जी की दूरदृष्टि को दर्शाती है। देश के बंटवारे के कठिन दौर में उनके पिता की ओर से स्कूल स्थापित करने के महान प्रयास का स्मरण करते हुए राजा मालविन्दर सिंह ने स्कूल के सबसे पुराने विद्यार्थियों में से एक जस्टिस एस. एस. सोढी का जिक्र किया, जो 1949 में यहाँ से पास आउट हुए, जिन्होंने बीते वीरवार को स्कूल की स्थापना के समारोहों का हिस्सा लिया था।
राजा मालविन्दर सिंह ने कहा कि पिछले 70 वर्षों में स्कूल ने कई महत्वपूर्ण पड़ाव तय किए हैं और आज इसका नाम देश के पहली पंक्ति के प्रतिष्ठित स्कूलों में आता है और यह संस्था अपनी तरक्की और प्रसिद्धि का सफर बदसतूर जारी रखेगी। उन्होंने कहा कि स्कूल के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के अलावा खेल के क्षेत्र में नये क्षितिज कायम किये जा रहे हैं। उन्होंने विद्यार्थियों को संस्था की परंपराओं अनुसार मुताबिक उच्च नैतिक मुल्यों को अपनाने का आह्वान किया। स्कूल के छात्र रहे व पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्यार्थी डा. कर्ण सिंह ने महाराजा यादविन्दर सिंह को श्रद्धाँजलि अर्पित करते हुए उन्हें दूरदर्शी और कभी ना भुलाए जाने वाली महान शख्सियत करार दिया। वाईपीएस की विलक्षणता को दर्शाते हुए उन्होंने इस की बहुपक्षीय प्राप्तियों की प्रशंसा की और बाल मन को अज्ञानता, कट्टरवाद और अहंकार से दूर रखने के लिए शिक्षा के महत्व पर बल दिया। डा. कर्ण सिंह ने बच्चों को नये भारत के निर्माता बताते हुए ज्ञान का प्रयोग कर अपने तन मन का निर्माण करने का आह्वान किया जिससे उनके सपनों के देश का सृजन किया जा सके। निरंतर वार्तालाप की महत्ता पर जोर देते हुए उन्होंने बच्चों से मुखातिब होते हुए कहा कि कभी भी सवाल पूछने से झिझको मत और टीम वर्क से अपने सामाजिक हुनर को निखारने की ओर अधिक ध्यान दें क्योंकि यही दक्षता ही जिंदगी के मुश्किल दौर में से विजयी हो कर निकालने में सहायक सिद्ध होगी। पब्लिक स्कूलों में छोटे बच्चों का बड़े बच्चों की तरफ से मजाक उड़ाने और उन्हें तंग परेशान करने की पेश चुणौतियों का जिक्र करते डा. कर्ण सिंह ने कहा कि बच्चों के साथ उनके सीनियरों की तरफ से ऐसा व्यवहार करना हमारी परंपरा का हिस्सा नहीं बल्कि यह कायरता की निशानी है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि शिक्षा के लिए मिले इस अवसर के दौरान वे अपने व्यक्त्तिव को सुदृढ़ करें, साथ ही उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों में अनुशासन की भावना पैदा करने के साथ साथ संविधान में दर्ज मौलिक अधिकारों और कर्तव्यों के महत्व से अवगत करवाने पर भी बल दिया। समाज में बढ़ रही असहनशीलता का हवाला देते हुए डा. कर्ण सिंह ने विद्यार्थियों को कट्टरवाद से दूर रखने प्रति सचेत किया। उन्होंने कहा कि जो भी धर्म कट्टरवाद का शिकार होता है, वह धर्म अंत में समाप्त हो जाता है।
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