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कवि चौपाल में हिन्दी, राजस्थानी और उर्दू की रचनाओं की बही सरिता
बीकानेर। राजीव गांधी भ्रमण-पथ पर आयोजित कवि चौपाल में नगर के रचनाकारों ने अपनी रचनाओं से खूब तालियां बंटोरी। प्रस्तुत रचनाओं पर अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए कवयित्री मधुरिमासिंह ने अपनी रचना सुनाते हुए कहा हमारे शहर के रचनाकारों द्वारा प्रस्तुत रचनाएं स्तरीय हैं, जो सृजन को नई दिशा देती है।
उन्होंने कहा कि मायड बोली में ज्यादा रचनाएं आए तो और अच्छी बात होगी। वयोवृद्ध कवि अब्दुल जब्बार बीकाणवी ने कहा कि साहित्य मनुष्य का सात्विक भोजन है । इसे ग्रहण करने से व्यक्ति रोगमुक्त रहता है। कार्यक्रम की शुरुआत रामेश्वर बाडमेरा “साधक ने ईश वन्दना से की। डॉ.तुलसीराम मोदी ने सस्वर अपनी रचना “मत कर रै बन्दा इतरो घमंड”, डॉ.कृष्णा आचार्य ने गीत- रुत आई रै बसंत री आ..., सिराजुद्दीन ने गजल- जिन्दगी गम से मेरी, वली मोहम्मद गौरी ने गजल- लगाई आग जिसने, मुझे याद है मेरा बचपन, कवयित्री सरोज भाटी ने कविता “मां और बच्चा”, धर्मेन्द्र राठौड ने देश भक्ति गीत-“हम हैं अपने देश के वासी”, संचालन करते हुए हास्य-व्यंग्य कवि बाबुलाल छंगाणी ने होली की मस्ती में गीत-मूंछ्यां राखौ रै सुनाकर तालियां बटोरी। कार्यक्रम में नरेश खत्री, कृष्णा वर्मा, मोहन वैष्णव, साकिर भाई, किशननाथ, फजल मोहम्मद, सुरेश अम्बेडकर, महबूब अली, मनोहरलाल चावला, कासिम बीकानेरी, नकुल आदि ने भी अपनी रचनाओं का वाचन किया। कार्यक्रम के अंत में संस्था संरक्षक नेमचन्द गहलोत ने अपनी रचना- घर-आंगन को स्वर्ग बनाओ नारी के सम्मान से सुनाकर सभी आगंतुकों के प्रति आभार ज्ञापित किया।
उन्होंने कहा कि मायड बोली में ज्यादा रचनाएं आए तो और अच्छी बात होगी। वयोवृद्ध कवि अब्दुल जब्बार बीकाणवी ने कहा कि साहित्य मनुष्य का सात्विक भोजन है । इसे ग्रहण करने से व्यक्ति रोगमुक्त रहता है। कार्यक्रम की शुरुआत रामेश्वर बाडमेरा “साधक ने ईश वन्दना से की। डॉ.तुलसीराम मोदी ने सस्वर अपनी रचना “मत कर रै बन्दा इतरो घमंड”, डॉ.कृष्णा आचार्य ने गीत- रुत आई रै बसंत री आ..., सिराजुद्दीन ने गजल- जिन्दगी गम से मेरी, वली मोहम्मद गौरी ने गजल- लगाई आग जिसने, मुझे याद है मेरा बचपन, कवयित्री सरोज भाटी ने कविता “मां और बच्चा”, धर्मेन्द्र राठौड ने देश भक्ति गीत-“हम हैं अपने देश के वासी”, संचालन करते हुए हास्य-व्यंग्य कवि बाबुलाल छंगाणी ने होली की मस्ती में गीत-मूंछ्यां राखौ रै सुनाकर तालियां बटोरी। कार्यक्रम में नरेश खत्री, कृष्णा वर्मा, मोहन वैष्णव, साकिर भाई, किशननाथ, फजल मोहम्मद, सुरेश अम्बेडकर, महबूब अली, मनोहरलाल चावला, कासिम बीकानेरी, नकुल आदि ने भी अपनी रचनाओं का वाचन किया। कार्यक्रम के अंत में संस्था संरक्षक नेमचन्द गहलोत ने अपनी रचना- घर-आंगन को स्वर्ग बनाओ नारी के सम्मान से सुनाकर सभी आगंतुकों के प्रति आभार ज्ञापित किया।
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