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सिविल अस्पताल में अब पत्थरी व अन्य ऑपरेशन लैप्रोस्कोपिक तकनीक से होंगे
चण्डीगढ़। हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने कहा कि सिविल
अस्पताल अम्बाला छावनी में पत्थरी व शरीर के अन्य अंगो के ऑप्रेशन के लिए
प्रयोग की जाने वाली लैप्रोस्कोपिक तकनीक को आरम्भ करवाने के लिए
अधिकारियों को कार्य योजना तैयार करने के निर्देश दिए गये हैं। उन्होंने
कहा कि वे इस मशीन के लिए कार्य योजना तैयार करें ताकि अम्बाला जिलावासियों
को शीघ्र ही यह सुविधा राजकीय अस्पताल में उपलब्ध हो सके।
विज आज अम्बाला में स्वास्थ्य तथा लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों से अस्पताल भवन के निर्माण की चल रही प्रगति की समीक्षा कर रहे थे। उन्होने कहा कि पत्थरी के ऑप्रेशन के लिए लैप्रोस्कोपिक तकनीक के लिए आम व्यक्ति को निजी अस्पतालों में काफी धनराशि खर्च करनी पड़ती है। उन्होंने कहा कि सिविल अस्पताल में यह सुविधा उपलब्ध होने से गरीब लोगों के साथ-साथ मध्यम व उच्च वर्ग के लोग भी इस तकनीक का लाभ हासिल कर सकेंगे।
स्वास्थ्य मंत्री ने लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे सिविल अस्पताल अम्बाला छावनी के पुराने भवन को तोडऩे और मलबा हटाने का कार्य भी तेजी से पूरा करें। उन्होने कहा कि इस स्थान पर रिजनल कैंसर टर्सरी सैंटर स्थापित किया जाना है जिसके लिए 40 करोड़ रुपये के बजट का प्रावधान पहले ही किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि यह पूरी भूमि समतल होते ही रिजनल कैंसर टर्सरी सैंटर के भवन का शिलान्यास करवा दिया जायेगा।
उन्होंने अधिकारियों के साथ सिविल अस्पताल के नये भवन के लम्बित रहे मामूली कार्यों को पूरा करने, अस्पताल में यातायात के सुविधाजनक आवागमन के लिए सडकों के निर्माण, सिविल अस्पताल को हॉट लाईन से जोडऩे सहित अन्य बिंदुओं पर भी विस्तृत चर्चा की। अधिकारियों ने बताया कि सिविल अस्पताल में निर्बाध बिजली आपूर्ति के लिए हॉट लाईन से जोड़ा जा चुका है। इसके अलावा, जरनेटरों की भी पर्याप्त व्यवस्था की गई है। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से सिविल अस्पाल में स्थापित की गई कैथ लैब की कार्यप्रणाली व अन्य आधुनिक तकनीक से मरीजों को दी जा रही स्वास्थ्य सेवाओं के बारे में भी जानकारी प्राप्त की। विभाग के अधिकारियों ने बताया कि कैथ लैब में 40 से अधिक आॅपरेशन किये जा चुके हैं।
विज ने अधिकारियों को यह निर्देश भी दिए कि भवन के बेहतर रख रखाव के साथ साफ-सफाई पर भी विशेष बल दें। उन्होंने कहा कि सिविल अस्पताल में सुविधाओं के विस्तार होने से मरीजों की संख्या में बढ़ौतरी हुई है और लोगों का राजकीय स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति विश्वास बहाल हुआ है। उन्होने चिकित्सकों को निर्देश दिए कि वे सभी मरीजों को आवश्यक चिकित्सा सुविधा अस्पताल स्तर पर ही प्रदान करें और जब जरूरी हो तभी उन्हें पीजीआई चण्डीगढ़ या मैडिकल कालेज चण्डीगढ़ रैफर करें।
विज आज अम्बाला में स्वास्थ्य तथा लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों से अस्पताल भवन के निर्माण की चल रही प्रगति की समीक्षा कर रहे थे। उन्होने कहा कि पत्थरी के ऑप्रेशन के लिए लैप्रोस्कोपिक तकनीक के लिए आम व्यक्ति को निजी अस्पतालों में काफी धनराशि खर्च करनी पड़ती है। उन्होंने कहा कि सिविल अस्पताल में यह सुविधा उपलब्ध होने से गरीब लोगों के साथ-साथ मध्यम व उच्च वर्ग के लोग भी इस तकनीक का लाभ हासिल कर सकेंगे।
स्वास्थ्य मंत्री ने लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे सिविल अस्पताल अम्बाला छावनी के पुराने भवन को तोडऩे और मलबा हटाने का कार्य भी तेजी से पूरा करें। उन्होने कहा कि इस स्थान पर रिजनल कैंसर टर्सरी सैंटर स्थापित किया जाना है जिसके लिए 40 करोड़ रुपये के बजट का प्रावधान पहले ही किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि यह पूरी भूमि समतल होते ही रिजनल कैंसर टर्सरी सैंटर के भवन का शिलान्यास करवा दिया जायेगा।
उन्होंने अधिकारियों के साथ सिविल अस्पताल के नये भवन के लम्बित रहे मामूली कार्यों को पूरा करने, अस्पताल में यातायात के सुविधाजनक आवागमन के लिए सडकों के निर्माण, सिविल अस्पताल को हॉट लाईन से जोडऩे सहित अन्य बिंदुओं पर भी विस्तृत चर्चा की। अधिकारियों ने बताया कि सिविल अस्पताल में निर्बाध बिजली आपूर्ति के लिए हॉट लाईन से जोड़ा जा चुका है। इसके अलावा, जरनेटरों की भी पर्याप्त व्यवस्था की गई है। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से सिविल अस्पाल में स्थापित की गई कैथ लैब की कार्यप्रणाली व अन्य आधुनिक तकनीक से मरीजों को दी जा रही स्वास्थ्य सेवाओं के बारे में भी जानकारी प्राप्त की। विभाग के अधिकारियों ने बताया कि कैथ लैब में 40 से अधिक आॅपरेशन किये जा चुके हैं।
विज ने अधिकारियों को यह निर्देश भी दिए कि भवन के बेहतर रख रखाव के साथ साफ-सफाई पर भी विशेष बल दें। उन्होंने कहा कि सिविल अस्पताल में सुविधाओं के विस्तार होने से मरीजों की संख्या में बढ़ौतरी हुई है और लोगों का राजकीय स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति विश्वास बहाल हुआ है। उन्होने चिकित्सकों को निर्देश दिए कि वे सभी मरीजों को आवश्यक चिकित्सा सुविधा अस्पताल स्तर पर ही प्रदान करें और जब जरूरी हो तभी उन्हें पीजीआई चण्डीगढ़ या मैडिकल कालेज चण्डीगढ़ रैफर करें।
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