not could do in 47 years in Haryana here we did it in three years said CM Manohar Lal-m.khaskhabar.com
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हरियाणा में 47 वर्ष में जो काम न हो सका वो हमने तीन साल में किया-सीएम मनोहर लाल

khaskhabar.com : बुधवार, 01 नवम्बर 2017 2:46 PM (IST)
हरियाणा में 47 वर्ष में जो 
काम न हो सका वो हमने तीन साल में किया-सीएम मनोहर लाल
हिसार। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने प्रदेश के मातृभाषा सत्याग्रहियों की विधवाओं तथा एमरजेंसी के दौरान जेल में बंद रहे लोगों को जीवनभर और मरणोपरांत उनकी विधवाओं को आजीवन 10 हजार रुपए प्रतिमाह पेंशन देने की घोषणा की। उन्होंने द्वितीय महायुद्ध में काम आए हरियाणवी सैनिकों की विधवाओं को मिलने वाली 4500 रुपए प्रतिमाह की वित्तीय सहायता को भी बढ़ाकर 10 हजार रुपए प्रतिमाह करने की घोषणा की। इसी प्रकार, पहली नवंबर, 2017 से फरीदाबाद जिले के ग्रामीण क्षेत्रों को 24 घंटे बिजली की आपूर्ति की जाएगी तथा कृषि क्षेत्र को 10 घंटे बिजली की आपूर्ति की जाएगी।


मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने स्वतंत्रता के बाद हुए युद्धों तथा भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए आंतकवादियों से निपटते हुए वीरगति को प्राप्त होने वाले हरियाणा के शहीदों के आश्रितों को नौकरी देने का बीड़ा उठाया था। उन्होंने लोगों से संवाद स्थापित करते हुए कहा कि आपको हैरानी होगी कि हरियाणा में 47 वर्ष में जो काम न हो सका वो हमने तीन साल में करके दिखाया है। हमने 156 शहीदों के आश्रितों को विभिन्न विभागों में सरकारी नौकरियां दी हैं। इनमें सेना के 130, बीएसएफ के 12 और सीआरपीएफ के 14 शहीदों के आश्रित शामिल हैं। आप विश्वास नहीं करेंगे कि हमने 1971 के युद्ध के दो शहीदों के आश्रितों को भी नौकरी दी है। नौकरी प्राप्त करने वालों में, शहीदों की 31 युद्ध विधवाएं, 27 पुत्रियां, 89 पुत्र, एक पुत्र वधू और आठ भाई शामिल हैं। आज इस मंच से मुझे यह बताते हुए गर्व हो रहा है कि हमने द्वितीय महायुद्ध में काम आए हरियाणवीं सैनिकों तथा उनकी विधवाओं को मिलने वाली 4500 रुपये प्रतिमाह की वित्तीय सहायता को बढ़ाकर 10,000 रुपये प्रतिमाह करने का निर्णय किया है।



मुख्यमंत्री ने कहा कि हरियाणा राज्य हिन्दी भाषा आंदोलन की देन है। परंतु बड़े दु:ख की बात है कि 47 वर्षों तक मातृ भाषा सत्याग्राहियों की किसी भी सरकार ने कुशलक्षेम तक नहीं पूछी। गत 24 अगस्त को हमने उन्हें सम्मानित किया और और रियायती दरों पर यात्रा की सुविधा दी। उनके महान त्याग और संघर्ष के प्रति हरियाणा की जनता के आभार स्वरूप हमारी सरकार ने अब उन्हें जीवनभर और मृत्योपरांत उनकी विधवाओं को आजीवन 10 हजार रुपये प्रतिमाह पेंशन देने का निर्णय किया है।


उन्होंने उपस्थित जनसमूह से संवाद करते हुए कहा कि आपको शायद पहले ही विदित हो कि श्री वेंकैया नायडू जी स्वयं एमरजेंसी के दौरान जेल में रहे थे। हमने शुभ्रज्योत्सना नामक एक कार्यक्रम के तहत एमरजेंसी के दौरान जेलों में बंद हुए लोगों की पहचान की है। उन्हें मुफ्त चिकित्सा सुविधा तथा हरियाणा राज्य परिवहन की बसों में मुफ्त यात्रा की सुविधा दी है। हमारी सरकार ने प्रजातंत्र के इन प्रहरियों को भी जीवनभर और मृत्योपरांत उनकी विधवाओं को आजीवन 10 हजार रुपये प्रतिमाह पेंशन देने का निर्णय किया है।


उन्होंने कहा कि हमने तीन सालों में इतने काम किये हैं, जितने प्रदेश के गठन के पहले 47 वर्षों में नहीं हुए। अगले दो सालों में हम इतने काम करेंगे, जितने पिछली सरकार 10-10 सालों में नहीं कर पाई। हमारा संकल्प है कि हरियाणा की यह शस्य श्यामला धरा आने वाले वर्षों में विकास का एक स्वर्णिम उदाहरण बने। हमें ‘‘सर्वे भवन्तु सुखिन: - सर्वे सन्तु निरामया:‘‘ की उपनिषदों की परिकल्पना को वेदों और महाभारत की इस धरा पर साकार करना है।

उन्होंने कहा कि दूसरे, पिछले चार दशकों से, बिना सिफारिश या रिश्वत के नौकरियां नहीं मिलने के कारण युवा हताश और निराश थे। हमने स्वर्ण जयंती वर्ष में 12 हजार से भी अधिक सरकारी नौकरियां केवल योग्यता के आधार पर दी हैं। इनमें एचसीएस और गु्रप ‘बी’ और ग्रुप ‘सी’ के पद शामिल हैं। हाल ही में हमने गु्रप सी व डी में साक्षात्कार को खत्म करने का फैसला किया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि मुझे याद है कि 1966 में हमारे गांव बनियानी में बिजली नहीं थी। स्कूल से छुट्टी होने पर घी में तैरती रोटियों से भरे कटोरदान को खेत में काम करते मजूदरों तक ले जाने के लिए मैं कच्चे रास्तों पर भागते-भागते जाता और शाम को मिट्टी के तेल से जलने वाली लालटेन की रोशनी में पढ़ाई किया करता। आज हरियाणा में मिट्टी का तेल तो ढूढें से नहीं मिलता और हमारी सरकार 1200 से अधिक गांवों को 24 घण्टे बिजली दे रही है। कल से रबी की बिजाई के लिए कृषि क्षेत्र के लिए पहली बार हर दिन 10 घण्टे के लिए बिजली दी जाएगी।

उन्होंने कहा कि इसके अतिरिक्त भी, हमने अनेक कीर्तिमान बनाये हैं। इज आफ डूईंग बिजनेस में हम 14वें से छठे स्थान पर पहुंचे। प्रदेश में लिंगानुपात को तीन दशकों के बाद, 900 के पार 937 तक पहुंचाकर हमने कन्या भ्रूण हत्या के कलंक को धो दिया। हमारी सरकार वृद्धों, विधवाओं व दिव्यांगों को देश में सर्वाधिक 1600 रुपये मासिक की पेंशन दे रही है। इसी प्रकार अकुशल श्रमिकों की दैनिक न्यूनतम मजदूरी 318 रुपये की तय की गई है। किसानों को देश में गन्ने का सर्वाधिक 330 रुपये प्रति क्विंटल का भाव दिया जा रहा है। धान तो 3200 रुपये प्रति क्विंटल बिक रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं बड़े गर्व से कहना चाहता हूँ कि आज हरियाणा देश का एकमात्र राज्य है, जिसका किसी भी गांव का एक भी पंच या सरपंच और किसी भी पंचायत समिति और जिला समिति का एक भी सदस्य, न तो अनपढ़ है और न ही, बैंक व बिजली बिलों का डिफाल्टर है। इसी तरह, शिक्षित युवकों को हर महीने 100 घंटे काम की गारंटी देने वाला भी, हरियाणा देश का पहला राज्य बना है।

स्वर्ण जयंती वर्ष के दौरान समाज के हर वर्ग के उत्थान-सम्मान तथा पंडित दीनदयाल उपाध्याय के अंत्योदय के दर्शन को साकार करने के लिए हमने अनेक योजनाएं शुरू की। समय सीमा के चलते उनका वर्णन करना तो दूर, मैं सभी के नाम भी शायद नहीं गिनवा पाऊंगा।

उन्होंने कहा कि आज से एक वर्ष पूर्व, हर जन प्रिय प्रधानमंत्री नरेन्द्र भाई मोदी जी ने, गुरुग्राम में हरियाणा स्वर्ण जयंती उत्सव का शुभारंभ किया था। वहां से उन्होंने पूरे राष्ट्र को बताया था कि ‘हरियाणा में इतनी ताकत है, कि वो देश के लिए एक ग्रोथ इंजन के रूप में काम कर सकता है।’

उस दिन, इस वर्ष को सर्व हरियाणा, गर्व हरियाणा और पर्व हरियाणा की भावना से मनाने का संकल्प लेकर, हमने उन्हें वचन दिया था कि ‘‘हम इसी वर्ष में हरियाणा को देश का पहला कैरोसीन फ्री तथा खुले में शौच मुक्त राज्य बनाने का पूरा प्रयास करेंगे।’’ मुझे यह बताते हुए अपार गर्व और हर्ष है कि हम अपने इस संकल्प में दोनों प्रकल्पों में पूर्णत: सफल रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आज स्थान, समय और अवसर का अद्भुत संगम है। हिसार का ऐतिहासिक जिला जो अब, भारत वर्ष के जगदगुरु होने के वैज्ञानिक प्रमाणों की भूमि भी है। स्वतंत्र भारत के राजनैतिक मानचित्र के निर्माता, लौह पुरुष, सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती है और एक पृथक हिन्दी भाषी राज्य के रूप में हरियाणा के गठन के स्वर्ण जयंती वर्ष के समापन समारोह के इस अवसर पर हमारे मध्य भारत के उप-राष्ट्रपति और अगाध एवं बेजोड़ हिन्दी प्रेमी श्री वेंकैया नायडू की गरिमामयी उपस्थिति है।


उन्होंने कहा कि उपराष्ट्रपति के ओजस्वी विचार सुनने के लिए आए इस विशाल जनसमूह में हर व्यक्ति के परिवार का कम से कम एक सदस्य इस क्षण या तो भारत मां की सीमाओं पर चट्टान की तरह अपना सीना ताने चौकस खड़ा है या आने वाले एशियन, कॉमन वैल्थ और ओलम्पिक खेलों में मैडल जीतकर राष्ट्र धुन पर हमारे प्यारे तिरंगे को लहराने की तैयारियों में जी जान से जुटा है और या फिर हर भारतीय का पेट भरने के लक्ष्य से रबी की बुआई करता हुआ पसीने में तर-बतर है।


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