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एनएचआरसी ने छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव से मांगा 8 सप्ताह में जवाब
रायपुर। वर्ष 2007 में सलवा जुडूम अभियान के दौरान 7 व्यक्तियों की हत्या और करीब 90 घरों में आगजनी के मामले में राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने छत्तीसगढ़ सरकार को नोटिस भेजकर 8 सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है।
मुख्य सचिव को जारी हुए पत्र में आयोग ने चार बिंदुओं पर दो महीने के भीतर जवाब देने को कहा है। रविवार को यह जानकारी पीयूसीएल की महासचिव सुधा भारद्वाज ने दी।
सुधा ने कहा कि आयोग ने पुलिस और स्थानीय प्रशासन की जांच पर सवाल उठाते सख्त टिप्पणी की है। उसमें कहा गया है कि इस मामले में लापरवाही क्यों बरती गई, और कार्रवाई क्यों नहीं की गई है? इस मामले में आयोग की ओर से 26 अक्टूबर को छत्तीसगढ़ सरकार के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर 8 सप्ताह के भीतर जवाब मांगा गया है।
दरअसल मामला वर्ष 2007 में कोंडासवाली, कामरागुडा और करेर्पारा में सलवा जुडूम अभियान के दौरान 7 व्यक्तियों की हत्या और करीब 90 घरों की आगजनी की है। गांवों की पूरी आबादी को सुरक्षा बलों और एसपीओ की ओर से क्रूरतापूर्वक खदेड़ दिया गया था। मामले की शिकायत कुछ साल तक शांत रहने के बाद गांव वालों ने 2013 में की थी। बाद में इसमें एक शिकायतकर्ता की हत्या करने का आरोप सुरक्षा बलों पर ही लगा। मामले में फिर एक शिकायत मानव अधिकार आयोग में छत्तीसगढ़ लोक स्वातंत्र्य संगठन याने पीयूसीएल की ओर से की गई।
मुख्य सचिव को जारी हुए पत्र में आयोग ने चार बिंदुओं पर दो महीने के भीतर जवाब देने को कहा है। रविवार को यह जानकारी पीयूसीएल की महासचिव सुधा भारद्वाज ने दी।
सुधा ने कहा कि आयोग ने पुलिस और स्थानीय प्रशासन की जांच पर सवाल उठाते सख्त टिप्पणी की है। उसमें कहा गया है कि इस मामले में लापरवाही क्यों बरती गई, और कार्रवाई क्यों नहीं की गई है? इस मामले में आयोग की ओर से 26 अक्टूबर को छत्तीसगढ़ सरकार के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर 8 सप्ताह के भीतर जवाब मांगा गया है।
दरअसल मामला वर्ष 2007 में कोंडासवाली, कामरागुडा और करेर्पारा में सलवा जुडूम अभियान के दौरान 7 व्यक्तियों की हत्या और करीब 90 घरों की आगजनी की है। गांवों की पूरी आबादी को सुरक्षा बलों और एसपीओ की ओर से क्रूरतापूर्वक खदेड़ दिया गया था। मामले की शिकायत कुछ साल तक शांत रहने के बाद गांव वालों ने 2013 में की थी। बाद में इसमें एक शिकायतकर्ता की हत्या करने का आरोप सुरक्षा बलों पर ही लगा। मामले में फिर एक शिकायत मानव अधिकार आयोग में छत्तीसगढ़ लोक स्वातंत्र्य संगठन याने पीयूसीएल की ओर से की गई।
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