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बूंदी में निकला पंथ संचलन, स्वयंसेवकों ने दण्ड प्रदर्शन में दिखाया अनुशासन
बूंदी। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का स्थापना दिवस एवम विजयादशमी
समारोह राजतगृह सामुदायिक भवन पर आयोजित हुआ । कार्यक्रम की जानकारी देते
हुए जिला प्रचार प्रमुख लोकेश वशिष्ठ ने बताया कि आज के कार्यक्रम के मुख्य
अथिति हनुमान सिंह राठौड़ क्षेत्रीय कार्यवाह एवम साथ में सोहनलाल भारद्वाज श जिला संघ चालक रहे।
कार्यक्रम की शुरुआत अतिथियों द्वारा शस्त्र पूजन से हुई इसके पश्चात नगर कार्यवाह उमेश जोशी ने मंचासीन अथितियों का परिचय कराया फिर सामूहिक समता ,दंडयोग, सूर्यनमस्कार ,एवम दण्ड प्रदर्शन हुआ। अवतरण एवम काव्यगीत के पश्चात मुख्य अतिथि एवम मुख्यवक्ता का उध्बोधन हुआ अपने उध्बोधन में उन्होंने कहा कि संघ की स्थापना किसी संगठन धर्म सम्प्रदाय की प्रतिस्पर्धा में नही हुई वरन भारत की आजादी को अक्षुण रखने के लिए हिन्दू समाज के संगठन के लिए की गई। संघ का एक मात्र उद्देश्य भारत माता की जय करना है किन्तु विधायी धर्म हिन्दू धर्म का संरक्षण करते हुए सुशासन के साथ स्वशासन को स्थापित करेगे। विश्व के कल्याण के साथ हम कार्य करेंगे।साथ ही हमे कोंन शत्रु को मित्र है ये पहिचानने का विवेक रखना होगा। आज हम ज्यादा खतरा आंतरिक आसुरी शक्तियों से है नो राष्ट्र को अंदर ही अंदर खाये जा रही है। हिन्दू धर्म मे सदैव शरणागत को सर्वाधिक महत्व देता है यहाँ तो सापों को भी दूध पिलाया जाता है परन्तु उन सापों को विषहीन दन्तहीन भी करना हमें आता है।परन्तु जब शरणागत ही राष्ट्र के लिये खतरा बन जाये तो उनका उचित इलाज भी जरूरी है जो हमे करना चाहिए।
कार्यक्रम की शुरुआत अतिथियों द्वारा शस्त्र पूजन से हुई इसके पश्चात नगर कार्यवाह उमेश जोशी ने मंचासीन अथितियों का परिचय कराया फिर सामूहिक समता ,दंडयोग, सूर्यनमस्कार ,एवम दण्ड प्रदर्शन हुआ। अवतरण एवम काव्यगीत के पश्चात मुख्य अतिथि एवम मुख्यवक्ता का उध्बोधन हुआ अपने उध्बोधन में उन्होंने कहा कि संघ की स्थापना किसी संगठन धर्म सम्प्रदाय की प्रतिस्पर्धा में नही हुई वरन भारत की आजादी को अक्षुण रखने के लिए हिन्दू समाज के संगठन के लिए की गई। संघ का एक मात्र उद्देश्य भारत माता की जय करना है किन्तु विधायी धर्म हिन्दू धर्म का संरक्षण करते हुए सुशासन के साथ स्वशासन को स्थापित करेगे। विश्व के कल्याण के साथ हम कार्य करेंगे।साथ ही हमे कोंन शत्रु को मित्र है ये पहिचानने का विवेक रखना होगा। आज हम ज्यादा खतरा आंतरिक आसुरी शक्तियों से है नो राष्ट्र को अंदर ही अंदर खाये जा रही है। हिन्दू धर्म मे सदैव शरणागत को सर्वाधिक महत्व देता है यहाँ तो सापों को भी दूध पिलाया जाता है परन्तु उन सापों को विषहीन दन्तहीन भी करना हमें आता है।परन्तु जब शरणागत ही राष्ट्र के लिये खतरा बन जाये तो उनका उचित इलाज भी जरूरी है जो हमे करना चाहिए।
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