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मथुरा : जेल में डाले गए ईसाइयों को जमानत मिली
मथुरा| अतिरिक्त सत्र न्यायालय के न्यायाधीश अमल पाल सिंह ने मंगलवार को धर्मातरण की कोशिश के आरोप में न्यायिक हिरासत में रखे गए सातों ईसाइयों को जमानत दे दी। स्थानीय ईसाइयों ने क्रिसमस से पहले इनकी रिहाई पर खुशी जाहिर की है।
जमानत के आदेश की सराहना करते हुए पादरी इब्राहिम ने सभी को शुभकामनाएं दीं और लोगों से कहा कि वे दूसरों के लिए अपने दिल में जगह बनाएं।
मथुरा जिले के इरोली गांव से सात लोगों को उस वक्त हिरासत में लिया गया था, जब वे एक बीमार परिवार के सदस्य के अच्छे स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना कर रहे थे।
कुछ परिवार के सदस्यों ने हिंदुत्ववादी कार्यकर्ताओं पर आरोप लगाया कि वे घर में घुसे और प्रार्थना के लिए एकत्र हुए पुरुषों और महिलाओं पर हमला करने लगे। पुलिस ने भी उन्हीं का साथ दिया, क्योंकि सरकार इन्हीं लोगों की है।
सातों को बेवजह न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया, जिसकी व्यापक तौर पर आलोचना हो रही है।
जमानत की सुनवाई के लिए जब शनिवार को आवेदन आया, तो कुछ वकीलों ने इसका विरोध किया, जिस कारण अदालत ने मंगलवार को सुनवाई स्थगित कर दी थी।
बचाव पक्ष के वकील के अनुसार, कुछ वकीलों ने मंगलवार को भी कार्यवाही बाधित करने की कोशिश की।
ईसाई लीगल एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रमोद सिंह ने कहा कि जिस तरह से स्थानीय वकीलों ने बिना किसी वजह के जमानत का विरोध करने की कोशिश की, उस पर आश्चर्य हुआ।
उन्होंने कहा कि अंतत: कानून की जीत हुई और न्यायाधीश के एक पीठ ने झूठे आरोपों को खारिज कर दिया।
युनाइटेड ईसाई फोरम के अध्यक्ष माइकल विलियम्स ने कहा कि पुलिस से सभी सातों को सुरक्षा देने का आग्रह किया गया है। सबका साथ, सबका विकास की रट लागाने वाले लोग ऐसी हरकतें क्यों कर रहे हैं, यह समझ से परे है।
--आईएएनएस
जमानत के आदेश की सराहना करते हुए पादरी इब्राहिम ने सभी को शुभकामनाएं दीं और लोगों से कहा कि वे दूसरों के लिए अपने दिल में जगह बनाएं।
मथुरा जिले के इरोली गांव से सात लोगों को उस वक्त हिरासत में लिया गया था, जब वे एक बीमार परिवार के सदस्य के अच्छे स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना कर रहे थे।
कुछ परिवार के सदस्यों ने हिंदुत्ववादी कार्यकर्ताओं पर आरोप लगाया कि वे घर में घुसे और प्रार्थना के लिए एकत्र हुए पुरुषों और महिलाओं पर हमला करने लगे। पुलिस ने भी उन्हीं का साथ दिया, क्योंकि सरकार इन्हीं लोगों की है।
सातों को बेवजह न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया, जिसकी व्यापक तौर पर आलोचना हो रही है।
जमानत की सुनवाई के लिए जब शनिवार को आवेदन आया, तो कुछ वकीलों ने इसका विरोध किया, जिस कारण अदालत ने मंगलवार को सुनवाई स्थगित कर दी थी।
बचाव पक्ष के वकील के अनुसार, कुछ वकीलों ने मंगलवार को भी कार्यवाही बाधित करने की कोशिश की।
ईसाई लीगल एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रमोद सिंह ने कहा कि जिस तरह से स्थानीय वकीलों ने बिना किसी वजह के जमानत का विरोध करने की कोशिश की, उस पर आश्चर्य हुआ।
उन्होंने कहा कि अंतत: कानून की जीत हुई और न्यायाधीश के एक पीठ ने झूठे आरोपों को खारिज कर दिया।
युनाइटेड ईसाई फोरम के अध्यक्ष माइकल विलियम्स ने कहा कि पुलिस से सभी सातों को सुरक्षा देने का आग्रह किया गया है। सबका साथ, सबका विकास की रट लागाने वाले लोग ऐसी हरकतें क्यों कर रहे हैं, यह समझ से परे है।
--आईएएनएस
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