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जनसमस्याओं का निस्तारण न होने पर छोड़ा विधायक आॅफिसः आर. जयन
बांदा। समाचार एजेंसी पीटीआई भाषा के संवाददाता आर जयन ने उन आरोपों को निराधार बताया, जिसमें नरैनी के भाजपा विधायक राजकरन कबीर के प्रतिनिधि एन.के. ब्रम्हचारी ने आम जनमानस में भ्रम फैला रहे हैं कि विधायक ने उन्हें अपने जन संपर्क कार्यालय से निकाल दिया है। वरिष्ठ पत्रकार जयन ने कहा कि ‘जन समस्याओं का निस्तारण न होने पर और पीड़ितों की सीधे अधिकारियों से बात कराने पर विधायक अपनी तौहीन समझने लगे थे, इसी से वैचारिक मतभेद पैदा हुए और उन्होंने खुद कार्यालय को अलविदा कह दिया है।
विधानसभा चुनाव में नरैनी विधानसभा सीट पर भाजपा उम्मीदवार राजकरन कबीर की जीत के लिए अहम भूमिका निभाने वाले समाचार एजेंसी ‘पीटीआई-भाषा’ के संवाददाता और विधायक के बीच इस समय छत्तीस का आंकड़ा हो गया है। जहां विधायक प्रतिनिधि एन.के. ब्रम्हचारी यह कह रहे है कि ‘जयन विधायक की आड़ में अधिकारियों पर रौब गांठ रहे थे, इसलिए विधायक ने उन्हें अपने कार्यालय से निकाल दिया है।’ वहीं जयन ने पांच माह के कार्यकाल में विधायक पर जन समस्याओं के निस्तारण पर रुचि न लेने, अपनी सरकार के खिलाफ धरना देने और पीडित व्यक्ति की सीधे अधिकारियों से बात कराने पर अपनी तौहीन समझने पर पैदा हुए वैचारिक मतभेद से खुद कार्यालय छोड़ने की बात बता रहे है
।
वरिष्ठ पत्रकार जयन ने आज यहां पत्रकारों के एक सवाल के जवाब में बताया कि ‘17 अगस्त को जबरापुर गांव में अन्ना जानवरों से क्षुब्ध होकर क्षेत्रीय किसानों ने एक महापंचायत बुलाई थी, जिसमें जिला पंचायत बांदा के पूर्व अध्यक्ष के.के. भारती भी मौजूद थे। इस पंचायत में नरैनी विधायक कबीर को मुख्य अतिथि के तौर पर बुलाया गया था। लेकिन वह नरैनी के डाक बंगले में दिन भर बैठे रहे, किसानों के बीच जाने की हिम्मत नहीं जुटा सके। विधायक ने खुद उन्हें (जयन को) किसान पंचायत में भेजा, किसानों ने अधिकारियों पर अन्ना प्रथा को लेकर उदासीन रहने के आरोप लगाकर उनसे बात करने की इच्छा जताई, जिस पर जरिए फोन कई किसानों की बात अधिकारियों से कराई गई। बस, अधिकारियों से किसानों की बात कराना विधायक अपनी तौहीन समझ बैठे और यहीं से वैचारिक मतभेद हो गए हैं।’
जयन ने कहा कि ‘किसानों या पीड़ित की अधिकारियों से बात कराने पर किसी की तौहीन होती है तो वह यह गलती बार-बार करेंगे। उन्होंने कहा कि ‘विधायक प्रतिनिधि के कथन ‘निकाल दिया है’ पर अगर दम है तो यह जग जाहिर है कि बिना आरोप के कोई किसी को कहीं से नहीं निकालता, ब्रम्हचारी को निकाले जाने का आरोप भी सार्वजनिक करना चाहिए।’ उन्होंने कहा कि ‘विधायक और उनके प्रतिनिधि के काम करने के तौर-तरीके और मेरे काम करने के तौर-तरीकों में जमीन-आसमान का फर्क है। बेहतर यह होगा कि वह अपनी विधायकी करें और मैं अपनी पत्रकारिता करूं, चूंकि एक पत्रकार के पास खोने के लिए कुछ नहीं होता, जबकि औरों के पास खोने के लिए बहुत कुछ है।’
विधानसभा चुनाव में नरैनी विधानसभा सीट पर भाजपा उम्मीदवार राजकरन कबीर की जीत के लिए अहम भूमिका निभाने वाले समाचार एजेंसी ‘पीटीआई-भाषा’ के संवाददाता और विधायक के बीच इस समय छत्तीस का आंकड़ा हो गया है। जहां विधायक प्रतिनिधि एन.के. ब्रम्हचारी यह कह रहे है कि ‘जयन विधायक की आड़ में अधिकारियों पर रौब गांठ रहे थे, इसलिए विधायक ने उन्हें अपने कार्यालय से निकाल दिया है।’ वहीं जयन ने पांच माह के कार्यकाल में विधायक पर जन समस्याओं के निस्तारण पर रुचि न लेने, अपनी सरकार के खिलाफ धरना देने और पीडित व्यक्ति की सीधे अधिकारियों से बात कराने पर अपनी तौहीन समझने पर पैदा हुए वैचारिक मतभेद से खुद कार्यालय छोड़ने की बात बता रहे है
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वरिष्ठ पत्रकार जयन ने आज यहां पत्रकारों के एक सवाल के जवाब में बताया कि ‘17 अगस्त को जबरापुर गांव में अन्ना जानवरों से क्षुब्ध होकर क्षेत्रीय किसानों ने एक महापंचायत बुलाई थी, जिसमें जिला पंचायत बांदा के पूर्व अध्यक्ष के.के. भारती भी मौजूद थे। इस पंचायत में नरैनी विधायक कबीर को मुख्य अतिथि के तौर पर बुलाया गया था। लेकिन वह नरैनी के डाक बंगले में दिन भर बैठे रहे, किसानों के बीच जाने की हिम्मत नहीं जुटा सके। विधायक ने खुद उन्हें (जयन को) किसान पंचायत में भेजा, किसानों ने अधिकारियों पर अन्ना प्रथा को लेकर उदासीन रहने के आरोप लगाकर उनसे बात करने की इच्छा जताई, जिस पर जरिए फोन कई किसानों की बात अधिकारियों से कराई गई। बस, अधिकारियों से किसानों की बात कराना विधायक अपनी तौहीन समझ बैठे और यहीं से वैचारिक मतभेद हो गए हैं।’
जयन ने कहा कि ‘किसानों या पीड़ित की अधिकारियों से बात कराने पर किसी की तौहीन होती है तो वह यह गलती बार-बार करेंगे। उन्होंने कहा कि ‘विधायक प्रतिनिधि के कथन ‘निकाल दिया है’ पर अगर दम है तो यह जग जाहिर है कि बिना आरोप के कोई किसी को कहीं से नहीं निकालता, ब्रम्हचारी को निकाले जाने का आरोप भी सार्वजनिक करना चाहिए।’ उन्होंने कहा कि ‘विधायक और उनके प्रतिनिधि के काम करने के तौर-तरीके और मेरे काम करने के तौर-तरीकों में जमीन-आसमान का फर्क है। बेहतर यह होगा कि वह अपनी विधायकी करें और मैं अपनी पत्रकारिता करूं, चूंकि एक पत्रकार के पास खोने के लिए कुछ नहीं होता, जबकि औरों के पास खोने के लिए बहुत कुछ है।’
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