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बत्तीसा नाला परियोजना को वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से दी जाए मंजूरी : सांसद देवजी पटेल
जयपुर/नई दिल्ली। जालोर-सिरोही सांसद देवजी पटेल ने शुक्रवार को केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन से मुलाकात कर सिरोही जिले में पेयजल के लिए प्रस्तावित बत्तीसा नाला परियोजना शुरू करने के लिए वन विभाग की मंजूरी देने की मांग की।
इस संबंध में सांसद पटेल ने केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन को ज्ञापन दिया। ज्ञापन में कहा है कि सिरोही में प्रतिवर्ष वर्षा के घटते स्तर के कारण भूजल स्रोतों में कमी आ रही है। जिला मुख्यालय समेत गांवों के लोगों को पेयजल के लिए दूर-दूर भटकना पड़ रहा है। इसके अलावा पानी के अभाव में मवेशियों की हालत भी खस्ता होती जा रही है। सिरोही जिले की पेयजल के लिए बत्तीसा नाला परियोजना प्रस्तावित है। परियोजना का प्रारम्भिक सर्वे कार्य हो चुका है।
राज्य सरकार से इस परियोजना को स्वीकृति मिल चुकी है तथा मुख्यमंत्री ने पिछले वर्ष 29 जुलाई को शिलान्यास भी कर दिया है। इसके तहत परियोजना के लिए लगभग 577.40 मि.घ.फु. पानी उपलब्ध है। जिसमें से करीबन 500.40 मि.घ.फु. पानी का उपयोग किया जा सकता है। किन्तु इस परियोजना के कुल डूब क्षेत्र 158.02 हेक्टेयर भूमि में से 91.202 हेक्टेयर भूमि वन विभाग के अधिपत्य की भूमि है। इस संबंध में वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से अनापत्ति के लिए प्रस्ताव भेजा गया, जो प्रक्रियाधीन है। इस प्रस्ताव को शीघ्र विभागीय मंजूरी दी जाए। केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने सांसद पटेल को आश्वस्त करते हुए कहा कि विभागीय कार्रवाई पूर्ण कर शीघ्र मंजूरी दी जाएगी।
इस संबंध में सांसद पटेल ने केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन को ज्ञापन दिया। ज्ञापन में कहा है कि सिरोही में प्रतिवर्ष वर्षा के घटते स्तर के कारण भूजल स्रोतों में कमी आ रही है। जिला मुख्यालय समेत गांवों के लोगों को पेयजल के लिए दूर-दूर भटकना पड़ रहा है। इसके अलावा पानी के अभाव में मवेशियों की हालत भी खस्ता होती जा रही है। सिरोही जिले की पेयजल के लिए बत्तीसा नाला परियोजना प्रस्तावित है। परियोजना का प्रारम्भिक सर्वे कार्य हो चुका है।
राज्य सरकार से इस परियोजना को स्वीकृति मिल चुकी है तथा मुख्यमंत्री ने पिछले वर्ष 29 जुलाई को शिलान्यास भी कर दिया है। इसके तहत परियोजना के लिए लगभग 577.40 मि.घ.फु. पानी उपलब्ध है। जिसमें से करीबन 500.40 मि.घ.फु. पानी का उपयोग किया जा सकता है। किन्तु इस परियोजना के कुल डूब क्षेत्र 158.02 हेक्टेयर भूमि में से 91.202 हेक्टेयर भूमि वन विभाग के अधिपत्य की भूमि है। इस संबंध में वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से अनापत्ति के लिए प्रस्ताव भेजा गया, जो प्रक्रियाधीन है। इस प्रस्ताव को शीघ्र विभागीय मंजूरी दी जाए। केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने सांसद पटेल को आश्वस्त करते हुए कहा कि विभागीय कार्रवाई पूर्ण कर शीघ्र मंजूरी दी जाएगी।
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