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स्वास्थ्य विभाग नाकाम - मलेरिया में मेवात अव्वल
कासिम खान
मेवात। जिले में मलेरिया के केसों में भले ही बीते साल की तुलना में कमी आई हो,बावजूद इसके मलेरिया के केसों की संख्या में मेवात सूबे में अव्वल है। चिंता की बात यह है कि स्वास्थ्य विभाग के दूसरे और अंतिम राउंड के बावजूद भी केस लगातार सामने आ रहे हैं। अब तक 3 हजार से ज्यादा केस सामने आ चुके हैं। सबसे ज्यादा केस नूंह सीएचसी के अंतर्गत सामने आये हैं। स्वास्थ्य विभाग घर घर जाकर लोगों की जांच कर रहा है,जिसकी वजह से केस ज्यादा सामने आ पाए हैं। अच्छी बात यह है कि पिछले दो वर्षों में एक भी मौत मलेरिया की वजह से नहीं हुई है।
आपको बता दें कि बीते माह तक जिले में मलेरिया के मात्र 1400 केस थे। जो सितंबर समाप्त होते-होते यह आंकड़ा 3136 जा पहुंचा। यानी एक माह में 1700 नये केस सामने आए हैं। इनमें सबसे अधिक मामले जिला मुख्यालय यानी नूंह में दर्ज किए गए हैं। यहां पूरे साल में अभी तक 2464 मरीज मलेरिया के पॉजिटिव मिले हैं। जबकि पुन्हाना में 615 और फिरोजपुर झिरका तथा नगीना को मिलाकर यहां मात्र 54 मलेरिया के मामले सामने आए हैं। हालाकि डेंगू का एक भी मामला अभी तक जिले में कहीं भी सामने नहीं आया है। लेकिन फिर भी मलेरिया और डेंगू के संभावित खतरे को भांपते हुए जिला स्वास्थ्य विभाग लगातार ग्रामीण इलाकों पर नजर जमाए हुए है। बता दें कि नूंह जिले में मलेरिया रोग तेजी से पैर पसार रहा है। इसका अंदाजा सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर उमड़ रही मरीजों की भारी भीड़ से लगाया जा सकता है। स्वास्थ्य विभाग लोगों को जरूरी दवाएं देकर उन्हें बीमारियों से बचने के लिए जरूरी उपाय बता रहा है।
मलेरिया के आंकड़ों पर नजर नूंह जिला मुख्यालय में सबसे अधिक मलेरिया के केस मिले हैं। यहां उजीना पीएचसी टॉप पर है। जबकि अन्य पीएचसी में यह आंकड़ा न के बराबर है। उजीना पीएचसी में 1972, नूंह सीएचसी में 420, घासेड़ा पीएचसी में 59, तावडू पीएचसी 9, मोहम्मदपुर अहीर पीएचसी 6, पुन्हाना सीएचसी 297, पिनगवां पीएचसी 79, तिगांव पीएचसी 67, ¨सगार पीएचसी में 182, नगीना पीएचसी में 29, मरोड़ा 03, बीवां पीएचसी 6, फिरोजपुर झिरका सीएचसी में 16 मरीज मलेरिया पॉजिटिव के पाए गए हैं।
फॉगिंग का कार्य जोरों पर मच्छर जनित बीमारियों की रोकथाम के लिए जिला स्वास्थ्य विभाग ने जिले में मलेरिया तथा डेंगू के खतरे के मद्देनजर शहरी तथा ग्रामीण क्षेत्रों में मच्छर मक्खी रोधी दवा का छिड़काव जारी है। स्वास्थ्य विभाग और नगर पालिका प्रशासन द्वारा फॉगिंग करने के अलावा घरों के आस-पास की नालियों में मिट्टी और काला तेल डालकर उन्हें साफ करने में लगा हुआ है। इसके अतिरिक्त जिला प्रशासन द्वारा बचाव के लिए मुनादी के अलावा पंफलेट तथा लोगों को जरूरी दिशा निर्देश दिए जा रहे हैं।
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर मरीजों का तांता यदि नूंह के तावडू, पुन्हाना, और फिरोजपुर झिरका सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के साथ लगने वाली पीएचसी की बात करें तो यहां रोजाना 400 से 500 मरीज बुखार या अन्य बीमारियों से पीड़ित यहां आ रहे हैं। मरीजों की बढ़ती संख्या देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने स्वास्थ्य केंद्र में अलग से डॉक्टरों की नियुक्ति कर दी है।
जिले में 3136 मलेरिया के केस हैं। इनमें 2766 साधारण बुखार के हैं। जबकि 359 मामले दिमागी बुखार के हैं। ऐसे में यदि कोई मरीज मलेरिया से पीड़ित हैं तो वो डॉक्टरों द्वारा दी गई दवाओं को नियमित लेना न भूलें। ऐसा न करने पर यह रोग फिर उभर आता है जो बाद में मरीज को लगातार परेशान करता है।
मेवात। जिले में मलेरिया के केसों में भले ही बीते साल की तुलना में कमी आई हो,बावजूद इसके मलेरिया के केसों की संख्या में मेवात सूबे में अव्वल है। चिंता की बात यह है कि स्वास्थ्य विभाग के दूसरे और अंतिम राउंड के बावजूद भी केस लगातार सामने आ रहे हैं। अब तक 3 हजार से ज्यादा केस सामने आ चुके हैं। सबसे ज्यादा केस नूंह सीएचसी के अंतर्गत सामने आये हैं। स्वास्थ्य विभाग घर घर जाकर लोगों की जांच कर रहा है,जिसकी वजह से केस ज्यादा सामने आ पाए हैं। अच्छी बात यह है कि पिछले दो वर्षों में एक भी मौत मलेरिया की वजह से नहीं हुई है।
आपको बता दें कि बीते माह तक जिले में मलेरिया के मात्र 1400 केस थे। जो सितंबर समाप्त होते-होते यह आंकड़ा 3136 जा पहुंचा। यानी एक माह में 1700 नये केस सामने आए हैं। इनमें सबसे अधिक मामले जिला मुख्यालय यानी नूंह में दर्ज किए गए हैं। यहां पूरे साल में अभी तक 2464 मरीज मलेरिया के पॉजिटिव मिले हैं। जबकि पुन्हाना में 615 और फिरोजपुर झिरका तथा नगीना को मिलाकर यहां मात्र 54 मलेरिया के मामले सामने आए हैं। हालाकि डेंगू का एक भी मामला अभी तक जिले में कहीं भी सामने नहीं आया है। लेकिन फिर भी मलेरिया और डेंगू के संभावित खतरे को भांपते हुए जिला स्वास्थ्य विभाग लगातार ग्रामीण इलाकों पर नजर जमाए हुए है। बता दें कि नूंह जिले में मलेरिया रोग तेजी से पैर पसार रहा है। इसका अंदाजा सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर उमड़ रही मरीजों की भारी भीड़ से लगाया जा सकता है। स्वास्थ्य विभाग लोगों को जरूरी दवाएं देकर उन्हें बीमारियों से बचने के लिए जरूरी उपाय बता रहा है।
मलेरिया के आंकड़ों पर नजर नूंह जिला मुख्यालय में सबसे अधिक मलेरिया के केस मिले हैं। यहां उजीना पीएचसी टॉप पर है। जबकि अन्य पीएचसी में यह आंकड़ा न के बराबर है। उजीना पीएचसी में 1972, नूंह सीएचसी में 420, घासेड़ा पीएचसी में 59, तावडू पीएचसी 9, मोहम्मदपुर अहीर पीएचसी 6, पुन्हाना सीएचसी 297, पिनगवां पीएचसी 79, तिगांव पीएचसी 67, ¨सगार पीएचसी में 182, नगीना पीएचसी में 29, मरोड़ा 03, बीवां पीएचसी 6, फिरोजपुर झिरका सीएचसी में 16 मरीज मलेरिया पॉजिटिव के पाए गए हैं।
फॉगिंग का कार्य जोरों पर मच्छर जनित बीमारियों की रोकथाम के लिए जिला स्वास्थ्य विभाग ने जिले में मलेरिया तथा डेंगू के खतरे के मद्देनजर शहरी तथा ग्रामीण क्षेत्रों में मच्छर मक्खी रोधी दवा का छिड़काव जारी है। स्वास्थ्य विभाग और नगर पालिका प्रशासन द्वारा फॉगिंग करने के अलावा घरों के आस-पास की नालियों में मिट्टी और काला तेल डालकर उन्हें साफ करने में लगा हुआ है। इसके अतिरिक्त जिला प्रशासन द्वारा बचाव के लिए मुनादी के अलावा पंफलेट तथा लोगों को जरूरी दिशा निर्देश दिए जा रहे हैं।
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर मरीजों का तांता यदि नूंह के तावडू, पुन्हाना, और फिरोजपुर झिरका सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के साथ लगने वाली पीएचसी की बात करें तो यहां रोजाना 400 से 500 मरीज बुखार या अन्य बीमारियों से पीड़ित यहां आ रहे हैं। मरीजों की बढ़ती संख्या देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने स्वास्थ्य केंद्र में अलग से डॉक्टरों की नियुक्ति कर दी है।
जिले में 3136 मलेरिया के केस हैं। इनमें 2766 साधारण बुखार के हैं। जबकि 359 मामले दिमागी बुखार के हैं। ऐसे में यदि कोई मरीज मलेरिया से पीड़ित हैं तो वो डॉक्टरों द्वारा दी गई दवाओं को नियमित लेना न भूलें। ऐसा न करने पर यह रोग फिर उभर आता है जो बाद में मरीज को लगातार परेशान करता है।
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