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घटिया बताकर सरकारी खरीद केंद्र कर रहे हैं मूंग को रिजेक्ट, किसान परेशान
श्रीगंगानगर। जिले में सभी 17 केंद्रों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य पर मूंग की खरीद शुरू हो गई है, लेकिन मूंग की क्वालिटी पर सवाल उठाकर खरीद से इनकार किया जा रहा है। ऐसे में किसानों के सामने एक ही विकल्प है कि वे अपनी फसल निजी व्यापारियों को बेचे। राजफैड ने जिले के अनेक सेंटरों पर मूंग की क्वालिटी पर सवाल उठाकर खरीद से इनकार कर दिया। राजफैड के इस कदम से निजी व्यापारियों को बढ़़ावा मिल रहा है।
गंगानगर किसान समिति ने आरोप लगाया कि सरकार किसानों का सारा मूंग खरीदने से ना-नुकर कर रही है, जबकि वे शुरू से मांग कर रहे हैं कि खेत की सारी उपज सरकारी समर्थन मूल्य पर की जाए। इसके अलावा अब तक बाजार में व्यापारियों द्वारा खरीद की गई मूंग का बोनस दिया जाए। समिति के रणजीतसिहं राजू ने बताया कि सरकार ने प्रति बीघा 47 किलो मूंग खरीद बढ़ाने का अाश्वासन दिया है, लेकिन हमारी मांग है कि खेत में उपजा मूंग का एक-एक दाना खरीदा जाए। अगर कोई न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम रेट में खरीद करता है तो उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाए। खरीद से इनकार करने पर कृषि उपज मंडी समिति के अधिकारी की मौजूदगी में सेंपल लेकर सुरक्षित रखा जाए।
वहीं राजफैड अधिकारियों ने कहा है कि जो मूंग दागी पड़ गई है, उसे नहीं लिया जा रहा। वहीं अधिक गीली, कटी-फटी हो तो भी मूंग नहीं ली जा रही।
गंगानगर किसान समिति ने आरोप लगाया कि सरकार किसानों का सारा मूंग खरीदने से ना-नुकर कर रही है, जबकि वे शुरू से मांग कर रहे हैं कि खेत की सारी उपज सरकारी समर्थन मूल्य पर की जाए। इसके अलावा अब तक बाजार में व्यापारियों द्वारा खरीद की गई मूंग का बोनस दिया जाए। समिति के रणजीतसिहं राजू ने बताया कि सरकार ने प्रति बीघा 47 किलो मूंग खरीद बढ़ाने का अाश्वासन दिया है, लेकिन हमारी मांग है कि खेत में उपजा मूंग का एक-एक दाना खरीदा जाए। अगर कोई न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम रेट में खरीद करता है तो उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाए। खरीद से इनकार करने पर कृषि उपज मंडी समिति के अधिकारी की मौजूदगी में सेंपल लेकर सुरक्षित रखा जाए।
वहीं राजफैड अधिकारियों ने कहा है कि जो मूंग दागी पड़ गई है, उसे नहीं लिया जा रहा। वहीं अधिक गीली, कटी-फटी हो तो भी मूंग नहीं ली जा रही।
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