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गोवर्धन पूजा कर की सुख शान्ति की कामना
भरतपुर। गोवर्धन त्यौहार बडे हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। देर शाम सभी लोगों ने जगह जगह गोवर्धन पूजा अर्चना कर एक दूसरे की सुख शान्ति की कामना की।
दीपावली के अगले ही दिन गोवर्धन त्यौहार मनाया जाता है। इस दिन मन्दिरों में छप्पन भोग लगा कर भगवान की पूजा अर्चना की जाती है। लोगों के द्वारा गाय के गोबर से गोवर्धन बनाया गया। गोवर्धन तैयार कर उसे खील व फूलों से सजाया गया। शाम के समय सभी जगह गोवर्धन की पूजा की गई। पूजा में धूप, खील, जल, फल बताशों का उपयोग किया जाता है। गोवर्धन पर्व पर गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा का विशेष महत्व है। लोगों के द्वारा गोवर्धन की पूजा अर्चना कर उसकी परिक्रमा लगाई गई। वहीं बच्चों के द्वारा आतिशबाजी का आनन्द भी लिया गया।
महिलाओं के द्वारा भजन गाए गए। गोवर्धन त्यौहार से अन्नकूट महोत्सव मनाने की परम्परा शुरू हो जाती है। जो काफी दिनों तक चलती है। माना जाता है कि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने इन्द्र देव के द्वारा भारी वर्षा करने पर गोवर्धन पर्वत उठा कर बृजवासियों व गायों की रक्षा कर इन्द्र देव का घमण्ड तोडा था। तभी से गोवर्धन पूजा की परम्परा रही है।
दीपावली के अगले ही दिन गोवर्धन त्यौहार मनाया जाता है। इस दिन मन्दिरों में छप्पन भोग लगा कर भगवान की पूजा अर्चना की जाती है। लोगों के द्वारा गाय के गोबर से गोवर्धन बनाया गया। गोवर्धन तैयार कर उसे खील व फूलों से सजाया गया। शाम के समय सभी जगह गोवर्धन की पूजा की गई। पूजा में धूप, खील, जल, फल बताशों का उपयोग किया जाता है। गोवर्धन पर्व पर गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा का विशेष महत्व है। लोगों के द्वारा गोवर्धन की पूजा अर्चना कर उसकी परिक्रमा लगाई गई। वहीं बच्चों के द्वारा आतिशबाजी का आनन्द भी लिया गया।
महिलाओं के द्वारा भजन गाए गए। गोवर्धन त्यौहार से अन्नकूट महोत्सव मनाने की परम्परा शुरू हो जाती है। जो काफी दिनों तक चलती है। माना जाता है कि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने इन्द्र देव के द्वारा भारी वर्षा करने पर गोवर्धन पर्वत उठा कर बृजवासियों व गायों की रक्षा कर इन्द्र देव का घमण्ड तोडा था। तभी से गोवर्धन पूजा की परम्परा रही है।
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