Gadia luhar will live in permanent residence after 40 years in Dungarpur-m.khaskhabar.com
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40 साल के बाद मिला स्थाई निवास

khaskhabar.com : शुक्रवार, 28 जुलाई 2017 3:49 PM (IST)
40 साल के बाद मिला  स्थाई निवास
डूंगरपुर। घुमन्तू जातियों के स्थाई निवास के प्रति राज्य सरकार की संवेदनशीलता का ही परिणाम रहा कि चालीस साल के बाद गाडिया लुहार भंवर की जिंदगी में ठहराव का सपना साकार हुआ। ये संभव हुआ प्रदेश की मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे की मंशानुरूप डूंगरपुर जिले में आयोजित मुख्यमंत्री शहरी जनकल्याण शिविर से।

डूंगरपुर जिले में आयोजित शहरी जनकल्याण शिविरों ने बरसों से अपने ही घरों में बेगाने बन रह रहे अनेक लोगों को मकान का मालिकाना हक तो दिलाया ही, साथ ही शिविरों में आने वाले अधिकाधिक लोगों को नियमानुसार छूट एवं शिथिलता का लाभ प्रदान करते हुए भूमि नियमन के साथ-साथ पट्टे देने, नक्शे पास करने, नाम हस्तांतरण, कृषि एवं सिवायचक भूमि पर बसी कॉलोनियों का नियमन, स्टेट ग्रांट एक्ट के पट्टे जारी करने, खांचा भूमि का आवंटन, निकायों के द्वारा नीलाम अथवा आवंटित भूखण्डों के बढ़े हुए क्षेत्रफल का नियमन, नक्शों का अनुमोदन, 31 दिसम्बर 2015 से पूर्व 90 वर्ग मी. तक के भूखण्डों पर बिना सेटबैक के बने आवासों का नियमन, भूखण्डों का पुनर्गठन एवं उप विभाजन तथा भवन निर्माण अनुमति, गाड़िया लुहारों, विमुक्त, घुमन्तु, जातियों को निःशुल्क भूमि, बकाया लीज व नगरीय विकास कर की ब्याज राशि में छूट देकर वसूली तथा सिवायचक भूमि के नगरीय निकायों को हस्तांतरण संबंधित अनेकों कार्य किए जाकर आमजन को राहत भी प्रदान की है। इन शिविरों के माध्यम से राज्य सरकार ने घुमन्तु जातियों को निःशुल्क भूमि प्रदान कर उनके स्थाई निवास हेतु संबंल प्रदान करने की भी जिम्मेदारी को भी उठाया।

ऎसा ही संबंल मिला शहरी जनकल्याण शिविर में गाडिया लुहार भंवर को। डूंगरपुर के घुमन्तु जाति के भवँर पिता धना गाड़िया लुहार का बरसों से सपना तो था कि अपना घर हो, जीवन में स्थायित्व हो। परंतु ना तो उसके पास जमीन थी और ना ही उतना पैसा। भंवर और उसकी पत्नी की आंखों में बरसों से सजे सपनों की उम्मीद को आसरा दिया राज्य सरकार के शहरी जनकल्याण शिविर ने। भवँर पिता धना गाड़िया लुहार चालीस वर्ष पूर्व राजसमंद से डूंगरपुर अपने अपने घुमन्तु परिवार के साथ आया। रोजी-रोटी मिलने से वह शहर के विभिन्न क्षेत्रों में जहां सुविधा मिली वहीं अपने परिवार का ठौर-ठिकाना बना लेता। वर्तमान में वह अपने परिवार के साथ उदयपुरा वार्ड संख्या तीन में निवासरत है।

नगरपरिषद डूंगरपुर ने जब मुख्यमंत्री की जनकल्याण योजना के अन्तर्गत विभिन्न चरणों में वार्डवार शहरी जनकल्याण शिविरों का आयोजन किया तो कुछ सहयोग मिलने की उम्मीद से पहुंचे भंवर लुहार ने शिविर प्रभारी को अपने घुमन्तु जीवन तथा चालीस वर्षों से खुले आसमान के नीचे जीवन यापन करने से अवगत कराया। इस पर नगरपरिषद सभापति श्री के. के. गुप्ता ने राज्य सरकार की घुमन्तु जाति को भी स्थाईत्व प्रदान करने की मंंशा से अवगत कराते हुए भंवर को निःशुल्क 15 गुना 30 वर्ग मीटर का भूखंड प्रदान करने के दस्तावेज तैयार करवाएं। नगरपरिषद डूंगरपुर सभापति ने जब मौके पर ही भंवर को भूखंड का प्रवेश पत्र प्रदान किया तो कुछ मिलने की जगह बहुत कुछ मिल जाने और कुछ क्षणों में सपनों को हकीकत में बदला देखकर उसकी आंखो से खुशी के आंसू बह निकले।

अमे भटकता हेता सरकार अमने आल्यो आसरो

चालीस साल से खुले आसमान को ही छत मानकर जीने वाले गाडिया लुहार भंवर के परिवार में 4 लड़के और 2 लड़कियां है। भंवर अपने परिवार का भरण-पोषण लुहारी का काम करके करता है। शिविर में मौके पर ही नवाडेरा बाईपास के पीछे 15 गुना 30 वर्ग मीटर भूखंड के दस्तावेज मिलने पर भंवर ने भर्राये गले से कहा कि ‘अमे भटकता हेता सरकार अमने आसरो आल्यो’ अर्थात हम तो भटक ही रहे थे सरकार ने हमें आसरा प्रदान किया। सपनों के घर को मिले आधार पर अति प्रसन्न भंवर और उसकी पत्नी सूरज ने मुख्यमंत्री एवं राज्य सरकार का हृदय से आभार व्यक्त किया।

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