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ASI ने पहली बार माना, मंदिर नहीं मकबरा है ‘ताजमहल’
आगरा। भारतीय पुरातत्व विभाग ने पहली बार माना कि सफेद संगमरमर से चमचमाता ताजमहल मंदिर नहीं, मकबरा है। आपको बता दें कि ताजमहल मंदिर है या मकबरा। इस पर काफी समय से बहस चल रही थी, लेकिन एएसआई के कबूलनामे के बाद यह साफ होता नजर आ रहा है कि ताजमहल मकबरा ही है। कोर्ट में सुनवाई के दौरान दाखिल हलफनामे में एएसआई ने इसके संबंध में सबूत भी पेश किए है। एएसआई अधिकारियों के मुताबिक ताजमहल को संरक्षित रखने से जुड़े 1920 के एक नोटिफिकेशन के आधार पर अदालत में हलफनामा पेश किया गया है। अब इस मामले में अगली सुनवाई 11 सितंबर को होगी।
इससे पहले केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने नवंबर 2015 के दौरान लोकसभा में साफ किया था कि ताजमहल की जगह पर मंदिर होने के कोई सबूत नहीं मिले हैं। अप्रैल 2015 में आगरा जिला अदालत में छह वकीलों ने एक याचिका दाखिल की थी। इस अपील में कहा गया कि ताजमहल एक शिव मंदिर था और इसे तेजो महालय के नाम से जाना जाता था। इस याचिका के जरिए हिंदू दर्शनार्थियों को परिसर के अंदर पूजा की इजाजत देने की मांग की गई थी।
इस मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र सरकार, केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय, गृह सचिव और एएसआई से जवाब तलब किया था। एएसआई ने गुरुवार को अदालत में अपना जवाब सौंपा है। एएसआई ने एक बार फिर मामले की सुनवाई को लेकर स्थानीय अदालत के अधिकार क्षेत्र को चुनौती दी है।
इससे पहले केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने नवंबर 2015 के दौरान लोकसभा में साफ किया था कि ताजमहल की जगह पर मंदिर होने के कोई सबूत नहीं मिले हैं। अप्रैल 2015 में आगरा जिला अदालत में छह वकीलों ने एक याचिका दाखिल की थी। इस अपील में कहा गया कि ताजमहल एक शिव मंदिर था और इसे तेजो महालय के नाम से जाना जाता था। इस याचिका के जरिए हिंदू दर्शनार्थियों को परिसर के अंदर पूजा की इजाजत देने की मांग की गई थी।
इस मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र सरकार, केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय, गृह सचिव और एएसआई से जवाब तलब किया था। एएसआई ने गुरुवार को अदालत में अपना जवाब सौंपा है। एएसआई ने एक बार फिर मामले की सुनवाई को लेकर स्थानीय अदालत के अधिकार क्षेत्र को चुनौती दी है।
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