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एग्जाम सिर पर, बिना गुरूजी के कैसे आएंगे अच्छे नतीजे ?

khaskhabar.com : मंगलवार, 13 फ़रवरी 2018 3:05 PM (IST)
एग्जाम सिर पर, बिना गुरूजी के कैसे आएंगे अच्छे नतीजे ?
नूंह। हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड भिवानी के दसवीं-बारहवीं के एग्जाम सिर पर है। छात्र -छात्राओं ने शिक्षकों की कमी के चलते मुख्य विषयों की पढाई नहीं की है। बच्चे बिना गुरूजी के ही किताबों में माथापच्ची कर अपने माता - पिता की उम्मीदों पर खरा उतरने की कवायद में जुटे हैं। नूंह जिले के बॉयज और गर्ल्स सीनियर सेकेंडरी स्कूल की अगर बात की जाये , तो स्टॉफ का घोर अभाव है।

जानकारी के मुताबिक राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक गर्ल्स स्कूल पिनगवां में लगभग 15 अध्यापकों की आवश्यकता है ,जिसमें महज 5 अध्यापक कार्यरत हैं। अंग्रेजी , मैथ , साईस विषयों के अध्यापक ही नहीं है। स्कूल प्रबंधन ने एक बार नहीं बल्कि बार -बार उच्च अधिकारियों को मामले की शिकायत की , लेकिन कोई समाधान नहीं हुआ।


बॉयज स्कूल पिनगवां के हालात भी लड़कियों के स्कूल से कुछ मिलते - जुलते है। लड़के - लड़कियों की संख्या दोनों स्कूलों में हजारों से उपर है। बोर्ड की परीक्षा देने वाले छात्र - छात्राओं को अब परिणाम की चिंता सताने लगी है। बच्चों को डर लगने लगा है ,ऐसे हालात में बच्चे पास भले ही हो जाएं , लेकिन अच्छे अंकों की उम्मीद कैसे की जा सकती है। बच्चों को अपने जूनियरों की चिंता सता रही है कि कहीं भविष्य भी टीचरों की कमी की वजह से खराब न हो जाये।

मार्च माह से बोर्ड की परीक्षाएं शुरू हो रही है ,नक़ल को रोकने के लिए कड़े कदम उठाये जा रहे है ,लेकिन कम से कम हालात को शिक्षा विभाग हमेशा ध्यान में रखे, जिसकी बेहद जरुरत है। सरकारी स्कूलों में पढाई के गिरते स्तर की वजह से निजी स्कूलों की प्रदेश में बाढ़ आई हुई है। सरकारी स्कूलों में अब सिर्फ गरीब परिवार के बच्चे ही तालीम हांसिल कर रहे है। साधन सम्पन्न परिवार निजी स्कूलों में अपने बच्चों को तालीम दिला रहे है। खास बात तो यह है कि सरकारी स्कूलों में तैनात अध्यापकों के बच्चे भी 99 फीसदी निजी स्कूलों में तालीम हासिल कर रहे है। शिक्षा विभाग भले ही लम्बे-चौड़े दावे बेहतर तालीम के करें , लेकिन धरातल की सच्चाई किसी से छुपी नहीं है। यही वजह है कि नूंह मेवात जिला शिक्षा के एतबार से सूबे में सबसे फिसड्डी है। स्कूलों के प्रिंसिपल परीक्षाओं को देखते हुए भले ही एक्स्ट्रा कक्षाओं की बात कर रहे हो , लेकिन नियमित अध्यापकों की कमी पिछले कई सालों से बनी हुई है।

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