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टीपू और टप्पू मिलकर देंगे विरोधियों को टक्कर

khaskhabar.com : बुधवार, 01 फ़रवरी 2017 8:12 PM (IST)
टीपू और टप्पू मिलकर देंगे विरोधियों को टक्कर
अर्नव मिश्रा, बुलन्दशहर। पूरे देश की निगाह उत्तर प्रदेश चुनाव पर है। चुनावी घमासान मच रहा है सपा-कांग्रेस गठबंधन बीजेपी के लिए चुनौती भरा है। चुनावी समर में अखिलेश का साथ देने अखिलेश अा गए हैं। एक अखिलेश समाजवादी पार्टी के हैं और एक अखिलेश कांग्रेस से हैं। यूं भी कह सकते हैं कि टीपू का साथ देने टप्पू आ खड़े हुए हैं।

उत्तर प्रदेश के जाने माने नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री अखिलेश दास ने एक बार फिर कांग्रेस का दामन थाम लिया है। वो ऐसे वक़्त में कांग्रेस में शामिल हुए है, जब कांग्रेस और समाजवादी पार्टी मिलकर यूपी में विरोधियों को टक्कर दे रहे हैं। यूपी की 105 सीटों पर कांग्रेस के प्रत्याशी हैं जबकि बाक़ी सीटों पर समाजवादी पार्टी चुनाव लड़ रही है। ऐसे वक़्त में अखिलेश दास के कांग्रेस में आने से बीजेपी और बीएसपी को बड़ा नुक़सान होना लाजिमी है। व्यापारी वर्ग में विशेष पैठ रखने वाले अखिलेश दास केंद्र सरकार में मंत्री रहने के साथ-साथ राज्यसभा सांसद भी रह चुके हैं। अगर यूपी चुनाव के लिहाज़ से वोटों की बात करें तो अखिलेश दास के पास एक बड़ा वोट बैंक भी है, जिसका फ़ायदा अब कांग्रेस और समाजवादी पार्टी को मिलेगा।
नोट बंदी के मामले पर भूखा हो घिस की तरह समाजवादी पार्टी केंद्र सरकार का विरोध कर रही है और समूचे अभियान को ग़रीबों, किसानो का विरोधी बता रही है। ऐसे में अखिलेश दास उसके इस अभियान को चुनाव में धार दे सकते हैं।
ख़ास ख़बर से आज ख़ास बातचीत में जिस तरह आंकड़ों के ज़रिए ये बताया कि किस तरह नोटबंदी की मार सीधे व्यापारी वर्ग पर पड़ी है, किस तरह नोटबंदी के बाद छोटे व्यापारी सड़कों पर आ गया है और समूचे वैश्य समाज को केंद्र सरकार ने न सिर्फ़ कठघरे में खड़ा किया है। बल्कि उसकी छवि इस तरह प्रस्तुत की जैसे की वो सभी गलत गतिविरोधियों में सम्मिलित हो।
दास ने यह भी कहा की बीजेपी ने जिस तरह से व्यापारियों को आड़े-हाथों लिया है इससे ये साफ़ हो जाता है कि बीजेपी को दूसरा वोट बैंक बढ़ता नज़र आ रहा है। दास का यह कहना है कि बीजेपी यही सीमित नहीं रहेगी, आने वाले दिनों में बीजेपी दूसरे तबक़ों को ख़ुश करने के लिए व्यपरीयों का और शोषण करेगी। जिस तरह से `नोट बंदी` से वैश्य समाज को केन्द्र सरकार ने हानि पहुँचायी है इसका ख़ामियाज़ा बीजेपी को आगामी विधानसभा चुनाव में भुगतना पड़ेगा।

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