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डिजिटल इंडिया का सपना कैसे साकार होगा !
कासिम खान
मेवात। पीएम नरेंद्र मोदी देश को डिजिटल इंडिया बनाने से लेकर बेटी बचाने - बेटी पढ़ाने का दम भर रहे हैं , लेकिन इन योजनाओं का दम सरकारी स्कूलों ने निकाल कर रख दिया है। नूंह मेवात जिले के राजकीय वरिष्ठ कन्या माध्यमिक विद्यालय पिनगवां में डिजिटल इंडिया को बढ़ावा देने के लिए और बेटियों को कम्प्यूटर का ज्ञान देने के लिए तक़रीबन 22 कम्प्यूटर आये थे। जिन बेटियों को इन कम्प्यूटर से ज्ञान लेना था , उनके लिए इंटरनेट , बिजली , टेबल तक उपलब्ध नहीं है। कम्प्यूटर स्कूल के कमरे में धूल फांक रहे हैं। कई साल से अध्यापक नहीं था , अब अध्यापक मिला तो कम्यूटर चलने की हालत में नहीं हैं। उपरोक्त स्कूल में तक़रीबन 700 लड़कियां 6 -12 वीं तक शिक्षा ग्रहण कर रही हैं। लड़कियों को कम्प्यूटर का ज्ञान तो दूर , माउस तक पकड़ना नहीं सिखाया जा रहा। ये सिर्फ एक स्कूल का सूरतेहाल है। जिले में एक नहीं लगभग सभी स्कूलों में कम्प्यूटर शिक्षा का ऐसा ही दिवाला निकला हुआ है।
शिक्षा विभाग वैसे तो निजी स्कूलों से मुकाबला करने का दम भरता है ,लेकिन आप खुद अंदाजा लगा लीजिये कि अगर स्कूलों में कम्प्यूटर ही धूल फांक रहे हैं तो कैशलेस , डिजिटल इंडिया और कम्प्यूटर क्रांति की कल्पना ग्रामीण आंचल में कैसे की जा सकती है। देश तेजी से आगे बढ़ रहा है ,लेकिन मेवात जिला राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से महज 70 किलोमीटर दूर होते हुए भी विकास को तरस रहा है। शिक्षा , चिकित्सा , बिजली , पानी , सिंचाई तक की पुख्ता व्यवस्था नहीं है। जिले के लोग स्कूलों में अध्यापकों की नियुक्ति से लेकर सुविधाओं का रोना रो रहे हैं। खुद अध्यापक इस माहौल से परेशान हैं ,लेकिन विभाग और सरकार कुम्भकर्णी नींद में सोये हुए हैं।
मेवात। पीएम नरेंद्र मोदी देश को डिजिटल इंडिया बनाने से लेकर बेटी बचाने - बेटी पढ़ाने का दम भर रहे हैं , लेकिन इन योजनाओं का दम सरकारी स्कूलों ने निकाल कर रख दिया है। नूंह मेवात जिले के राजकीय वरिष्ठ कन्या माध्यमिक विद्यालय पिनगवां में डिजिटल इंडिया को बढ़ावा देने के लिए और बेटियों को कम्प्यूटर का ज्ञान देने के लिए तक़रीबन 22 कम्प्यूटर आये थे। जिन बेटियों को इन कम्प्यूटर से ज्ञान लेना था , उनके लिए इंटरनेट , बिजली , टेबल तक उपलब्ध नहीं है। कम्प्यूटर स्कूल के कमरे में धूल फांक रहे हैं। कई साल से अध्यापक नहीं था , अब अध्यापक मिला तो कम्यूटर चलने की हालत में नहीं हैं। उपरोक्त स्कूल में तक़रीबन 700 लड़कियां 6 -12 वीं तक शिक्षा ग्रहण कर रही हैं। लड़कियों को कम्प्यूटर का ज्ञान तो दूर , माउस तक पकड़ना नहीं सिखाया जा रहा। ये सिर्फ एक स्कूल का सूरतेहाल है। जिले में एक नहीं लगभग सभी स्कूलों में कम्प्यूटर शिक्षा का ऐसा ही दिवाला निकला हुआ है।
शिक्षा विभाग वैसे तो निजी स्कूलों से मुकाबला करने का दम भरता है ,लेकिन आप खुद अंदाजा लगा लीजिये कि अगर स्कूलों में कम्प्यूटर ही धूल फांक रहे हैं तो कैशलेस , डिजिटल इंडिया और कम्प्यूटर क्रांति की कल्पना ग्रामीण आंचल में कैसे की जा सकती है। देश तेजी से आगे बढ़ रहा है ,लेकिन मेवात जिला राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से महज 70 किलोमीटर दूर होते हुए भी विकास को तरस रहा है। शिक्षा , चिकित्सा , बिजली , पानी , सिंचाई तक की पुख्ता व्यवस्था नहीं है। जिले के लोग स्कूलों में अध्यापकों की नियुक्ति से लेकर सुविधाओं का रोना रो रहे हैं। खुद अध्यापक इस माहौल से परेशान हैं ,लेकिन विभाग और सरकार कुम्भकर्णी नींद में सोये हुए हैं।
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