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हिन्दू-मुस्लिम एकता का नूंह में रहता है संगम
कासिम खान मेवात।
मेवात सदियों से आपसी भाईचारे और सौहार्द के लिए जाना जाता है। तीन दिवसीय
गीता जयंती समारोह के समापन को नूंह में चंद दिन भी नहीं बीते की ईद
मिलादुन्नबी का पर्व आ गया। जलसा - जलूस निकला तो चारों तरफ खुशियां दिखी।
इसके अलावा नूंह में आज से बड़ा इस्लामिक जलसा शुरू हो गया। जिसमें हजरत जी
निजामुद्दीन नई दिल्ली के अलावा दूरदराज से बड़े उलेमा शामिल होंगे और तकरीर
से इस्लाम धर्म का प्रचार करेंगे। इसके अलावा जलसे के अंतिम दिन दर्जनों
इस्लामिक जमातें देश - विदेश में इस्लाम धर्म के प्रचार के लिए निकलेंगी।
कई दिन वाले इस्लामिक जलसे में देश - दुनिया में अमन - शांति की दुआ भी
होगी। शनिवार से लोग ईदगाह नूंह में आयोजित हो रहे इस्लामिक जलसे में
पहुंचना शुरू होंगे। करीब तीन दिन तक चलने वाले जलसे में लाखों लोग शामिल
होंगे।
आपको बता दें कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से महज 70 किलोमीटर की दूरी पर नूंह जिला है। जिसे पहले मेवात जिला के नाम से जाना जाता था। मनोहर सरकार ने इस जिले का नाम बदलकर नूंह कर दिया। जिले का नाम भले ही बदल गया , लेकिन हिन्दू - मुस्लिम भाईचारा आज भी उसी तरह कायम है। इन दिनों तो कुछ अलग ही संगम नूंह शहर में देखने को मिल रहा है। हिन्दू - मुस्लिम भाईचारा भी इस तरह के आयोजनों से प्रगाढ़ हो रहा है ,तो कई दिनों तक भारी भीड़ की वजह से बाजार में रौनक देखने को मिलेगी। दुकानदार किसी भी समुदाय का हो , उसे इस तरह के आयोजनों का बड़ी बेसब्री से इंतजार रहता है। इस्लामिक जलसा की तैयारियां अंतिम चरण में हैं। लाखों लोगों की भीड़ के बावजूद भी पुलिस का कोई खास इंतजाम देखने को नहीं मिलता। लोग खुद खाने - पीने की चीजों से लेकर सुरक्षा की जिम्मेवारी खुद संभालते हैं। पिछले कई दिनों से लोगों को कभी गीता तो कभी कुरान की सीख व मधुर वाणी सुनाई पड़ रही है। सियासत में भले ही मंदिर - मस्जिद को लेकर चर्चा का बाजार गर्म हो , लेकिन यहां तो लोग एकता की मिशाल पेश करने में लगे हैं।
आपको बता दें कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से महज 70 किलोमीटर की दूरी पर नूंह जिला है। जिसे पहले मेवात जिला के नाम से जाना जाता था। मनोहर सरकार ने इस जिले का नाम बदलकर नूंह कर दिया। जिले का नाम भले ही बदल गया , लेकिन हिन्दू - मुस्लिम भाईचारा आज भी उसी तरह कायम है। इन दिनों तो कुछ अलग ही संगम नूंह शहर में देखने को मिल रहा है। हिन्दू - मुस्लिम भाईचारा भी इस तरह के आयोजनों से प्रगाढ़ हो रहा है ,तो कई दिनों तक भारी भीड़ की वजह से बाजार में रौनक देखने को मिलेगी। दुकानदार किसी भी समुदाय का हो , उसे इस तरह के आयोजनों का बड़ी बेसब्री से इंतजार रहता है। इस्लामिक जलसा की तैयारियां अंतिम चरण में हैं। लाखों लोगों की भीड़ के बावजूद भी पुलिस का कोई खास इंतजाम देखने को नहीं मिलता। लोग खुद खाने - पीने की चीजों से लेकर सुरक्षा की जिम्मेवारी खुद संभालते हैं। पिछले कई दिनों से लोगों को कभी गीता तो कभी कुरान की सीख व मधुर वाणी सुनाई पड़ रही है। सियासत में भले ही मंदिर - मस्जिद को लेकर चर्चा का बाजार गर्म हो , लेकिन यहां तो लोग एकता की मिशाल पेश करने में लगे हैं।
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