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सीएम योगी आदित्यनाथ आज बरसाने में खेलेंगे लट्ठमार होली!
बरसाना/मथुरा। होली का त्योहार आते ही ब्रजवासियों का उल्लास चरम पर पहुंच जाता है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी आज बरसाने में लट्ठमार होली खेलेंगे! कल वे भगवान श्रीकृष्ण की जन्मस्थली मथुरा में थे। यहां चल रहे ब्रज होली रसोत्सव में उन्होंने पद्म विभूषण पंडित जसराज के कार्यक्रम में शिरकत की। इस दौरान सांसद हेमा मालिनी मौजूद थीं। कार्यक्रम में
शास्त्रीय संगीत के बेताज बादशाह पद्म विभूषण पंडित जसराज के शास्त्रीय गायन और पंडित हरिप्रसाद चौरसिया की बांसुरी को सुनकर विशाल जनसमूह मंत्रमुग्ध हो गया।
इधर बरसाना में आज लट्ठमार होली के लिए महिलाएं और पुरुष तैयार हैं। ब्रजवासी होली को मनाने में कोई कसर नहीं छोड़ते। लठ्ठमार होली न केवल आनंद के लिए खेली जाती है, बल्कि यह नारी सशक्तीकरण का भी प्रतीक है। श्रीकृष्ण महिलाओं का सम्मान करते थे और मुसीबत के समय में हमेशा उनकी मदद करते थे। लठ्ठमार होली में श्रीकृष्ण के उसी संदेश को प्रदर्शित किया जाता है।
महिलाएं लठ्ठमार होली में चुलबुले अंदाज में अपनी ताकत का प्रदर्शन करती हैं। मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण अपने सखा संग राधाजी के साथ होली खेलने के लिए बरसाना आया करते थे। लेकिन राधाजी अपनी सखियों के साथ बांस की लाठियों से उन्हें दौड़ाती थीं। तभी से लठ्ठमार होली बरसाना की परंपरा बन गई।
बरसाना में लट्ठमार होली के बाद अगले दिन नंदगांव होली उत्सव मनाया जाता है। बरसाना के पुरुष नंदगांव की महिलाओं के साथ रंग खेलने पहुंचते हैं। महिलाएं उन्हें लाठियों से पीटती हैं।
शास्त्रीय संगीत के बेताज बादशाह पद्म विभूषण पंडित जसराज के शास्त्रीय गायन और पंडित हरिप्रसाद चौरसिया की बांसुरी को सुनकर विशाल जनसमूह मंत्रमुग्ध हो गया।
इधर बरसाना में आज लट्ठमार होली के लिए महिलाएं और पुरुष तैयार हैं। ब्रजवासी होली को मनाने में कोई कसर नहीं छोड़ते। लठ्ठमार होली न केवल आनंद के लिए खेली जाती है, बल्कि यह नारी सशक्तीकरण का भी प्रतीक है। श्रीकृष्ण महिलाओं का सम्मान करते थे और मुसीबत के समय में हमेशा उनकी मदद करते थे। लठ्ठमार होली में श्रीकृष्ण के उसी संदेश को प्रदर्शित किया जाता है।
महिलाएं लठ्ठमार होली में चुलबुले अंदाज में अपनी ताकत का प्रदर्शन करती हैं। मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण अपने सखा संग राधाजी के साथ होली खेलने के लिए बरसाना आया करते थे। लेकिन राधाजी अपनी सखियों के साथ बांस की लाठियों से उन्हें दौड़ाती थीं। तभी से लठ्ठमार होली बरसाना की परंपरा बन गई।
बरसाना में लट्ठमार होली के बाद अगले दिन नंदगांव होली उत्सव मनाया जाता है। बरसाना के पुरुष नंदगांव की महिलाओं के साथ रंग खेलने पहुंचते हैं। महिलाएं उन्हें लाठियों से पीटती हैं।
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