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श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय, कमधज नगर, निम्बाहेड़ा (चित्तौड़गढ़) विधयेक, 2018 पारित
चित्तौड़गढ़। राज्य विधानसभा ने शुक्रवार को श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय, कमधज नगर, निम्बाहेड़ा (चित्तौड़गढ़) विधयेक, 2018 ध्वनिमत से पारित कर दिया।
उच्च शिक्षा मंत्री किरण माहेश्वरी ने सदन में विधेयक प्रस्तुत किया। उन्होंने विधयेक को सदन में लाने के कारणों एवं उद्देश्यों को रेखांकित करते हुए बताया कि इस विश्वविद्यालय की स्थापना से वैदिक ज्ञान एवं अध्ययन के निरंतर क्षरण को रोकने के लिए ऋग्वेद व सामवेद की 3-3, अथर्ववेद की 2 तथा यजुर्वेद की 6 शाखाओं एवं आयुर्वेद, योग, ज्योतिष, संगीत आदि के अध्ययन-अध्यापन से जनसामान्य को जोड़ा जाएगा।
माहेश्वरी ने बताया कि विश्वविद्यालय में आगम, धर्मशास्त्र, पुराणों, भारतीय दर्शन, संस्कृत साहित्य, शिल्प और वास्तुकला, वास्तु योजना एवं ललित कलाओं के साथ ओरिएंटल लैंग्वेज जैसे पाली, प्राकृत, इंडो-इरानियन आदि के अध्ययन की सुविधा भी उपलब्ध होगी। उन्होंने बताया कि परम्परागत भारतीय शिक्षा के विषयों के साथ इस विश्वविद्यालय में आधुनिक शिक्षा के विषय यथा कम्प्यूटर साइंस एवं इन्फोर्मेशन टेक्नोलॉजी, विदेशी भाषा, कानून, मानवशास्त्र, मानविकी, पत्रकारिता आदि के अध्यापन की सुविधा भी उपलब्ध होगी।
उच्च शिक्षा मंत्री ने बताया कि संस्थान की सोच है कि विश्व में व्याप्त विकटतम समस्याओं का समाधान वेद वेदांगों के अध्ययन से ही निकलेगा। वेदों की ऋचाओं के अध्ययन व अनुसंधान से ही यह राष्ट्र पुनः विश्व गुरु के पद पर सुशोभित होगा। माहेश्वरी ने बताया कि इस विश्वविद्यालय की शैक्षणिक गतिविधियों के संचालन के लिए आगामी पांच वर्षों में 100 से अधिक विद्वानों को प्राध्यापक के रूप में कार्य करने का अवसर प्राप्त हो सकेगा। वहीं 150 से अधिक नॉन टीचिंग स्टाफ की नियुक्ति से 250 लोगों को सीधा रोजगार प्राप्त होगा।
उन्होंने बताया कि यह निजी विश्वविद्यालय श्री कल्लाजी वेदपीठ एवं शोध संस्थान, (कमधज नगर, कल्याण नगरी) निम्बाहेडा, चित्तौड़गढ़ के द्वारा स्थापित किया जा रहा है। संस्थान को राज्य सरकार द्वारा विश्वविद्यालय के लिए निम्बाहेड़ा-उदयपुर मार्ग पर जावदा ग्राम में 30 एकड़ भूमि आरक्षित दर की 50 प्रतिशत रियायती दर पर उपलब्ध कराई गई है। उच्च शिक्षा मंत्री ने बताया कि इस विश्वविद्यालय की विशिष्ट प्रकृति को ध्यान में रखते हुए इसे एंडोमेंट फण्ड संधारित करने के लिए नियमों में निर्धारित राशि 2 करोड़ में भी 50 प्रतिशत की छूट दी गई है। इस प्रकार संस्था ने एंडोमेंट फण्ड के रूप में 1 करोड़ रुपए जमा करवाए।
उन्होंने बताया कि संस्थान द्वारा एक लाख वर्ग फीट से अधिक का परिसर दिव्य भवनों के रूप में निर्मित किया जा चुका है। विश्वविद्यालय के भौतिक संसाधन, कक्षा-कक्ष एवं अन्य सुविधाओं पर लगभग 17 करोड़ रुपए जन-सहयोग से व्यय किए जा चुके हैं तथा आगामी पांच वर्षों में विश्वविद्यालय के विकास के लिए मानव एवं भौतिक संसाधनों की आवश्यकता के लिए लगभग 50 करोड़ रुपए की राशि व्यय करने की योजना है। इससे पहले सदन ने विधेयक को जनमत जानने के लिए परिचालित करने के संशोधन प्रस्ताव को ध्वनिमत से अस्वीकार कर दिया।
उच्च शिक्षा मंत्री किरण माहेश्वरी ने सदन में विधेयक प्रस्तुत किया। उन्होंने विधयेक को सदन में लाने के कारणों एवं उद्देश्यों को रेखांकित करते हुए बताया कि इस विश्वविद्यालय की स्थापना से वैदिक ज्ञान एवं अध्ययन के निरंतर क्षरण को रोकने के लिए ऋग्वेद व सामवेद की 3-3, अथर्ववेद की 2 तथा यजुर्वेद की 6 शाखाओं एवं आयुर्वेद, योग, ज्योतिष, संगीत आदि के अध्ययन-अध्यापन से जनसामान्य को जोड़ा जाएगा।
माहेश्वरी ने बताया कि विश्वविद्यालय में आगम, धर्मशास्त्र, पुराणों, भारतीय दर्शन, संस्कृत साहित्य, शिल्प और वास्तुकला, वास्तु योजना एवं ललित कलाओं के साथ ओरिएंटल लैंग्वेज जैसे पाली, प्राकृत, इंडो-इरानियन आदि के अध्ययन की सुविधा भी उपलब्ध होगी। उन्होंने बताया कि परम्परागत भारतीय शिक्षा के विषयों के साथ इस विश्वविद्यालय में आधुनिक शिक्षा के विषय यथा कम्प्यूटर साइंस एवं इन्फोर्मेशन टेक्नोलॉजी, विदेशी भाषा, कानून, मानवशास्त्र, मानविकी, पत्रकारिता आदि के अध्यापन की सुविधा भी उपलब्ध होगी।
उच्च शिक्षा मंत्री ने बताया कि संस्थान की सोच है कि विश्व में व्याप्त विकटतम समस्याओं का समाधान वेद वेदांगों के अध्ययन से ही निकलेगा। वेदों की ऋचाओं के अध्ययन व अनुसंधान से ही यह राष्ट्र पुनः विश्व गुरु के पद पर सुशोभित होगा। माहेश्वरी ने बताया कि इस विश्वविद्यालय की शैक्षणिक गतिविधियों के संचालन के लिए आगामी पांच वर्षों में 100 से अधिक विद्वानों को प्राध्यापक के रूप में कार्य करने का अवसर प्राप्त हो सकेगा। वहीं 150 से अधिक नॉन टीचिंग स्टाफ की नियुक्ति से 250 लोगों को सीधा रोजगार प्राप्त होगा।
उन्होंने बताया कि यह निजी विश्वविद्यालय श्री कल्लाजी वेदपीठ एवं शोध संस्थान, (कमधज नगर, कल्याण नगरी) निम्बाहेडा, चित्तौड़गढ़ के द्वारा स्थापित किया जा रहा है। संस्थान को राज्य सरकार द्वारा विश्वविद्यालय के लिए निम्बाहेड़ा-उदयपुर मार्ग पर जावदा ग्राम में 30 एकड़ भूमि आरक्षित दर की 50 प्रतिशत रियायती दर पर उपलब्ध कराई गई है। उच्च शिक्षा मंत्री ने बताया कि इस विश्वविद्यालय की विशिष्ट प्रकृति को ध्यान में रखते हुए इसे एंडोमेंट फण्ड संधारित करने के लिए नियमों में निर्धारित राशि 2 करोड़ में भी 50 प्रतिशत की छूट दी गई है। इस प्रकार संस्था ने एंडोमेंट फण्ड के रूप में 1 करोड़ रुपए जमा करवाए।
उन्होंने बताया कि संस्थान द्वारा एक लाख वर्ग फीट से अधिक का परिसर दिव्य भवनों के रूप में निर्मित किया जा चुका है। विश्वविद्यालय के भौतिक संसाधन, कक्षा-कक्ष एवं अन्य सुविधाओं पर लगभग 17 करोड़ रुपए जन-सहयोग से व्यय किए जा चुके हैं तथा आगामी पांच वर्षों में विश्वविद्यालय के विकास के लिए मानव एवं भौतिक संसाधनों की आवश्यकता के लिए लगभग 50 करोड़ रुपए की राशि व्यय करने की योजना है। इससे पहले सदन ने विधेयक को जनमत जानने के लिए परिचालित करने के संशोधन प्रस्ताव को ध्वनिमत से अस्वीकार कर दिया।
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