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अवैध हिरासत में रखने का मामला : पुलिस के 8 अधिकारियों व कार्मिकों पर चलेगा केस

khaskhabar.com : बुधवार, 13 सितम्बर 2017 11:38 PM (IST)
अवैध हिरासत में रखने का मामला :  पुलिस के 8 अधिकारियों व कार्मिकों पर चलेगा केस
कैथल। जिला एवं सत्र न्यायाधीश एम.एम धौंचक ने पुलिस विभाग के 8 अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ सीआईए थाना में सौरभ उर्फ शिवम तथा गौरव को अवैध हिरासत में रखने के मामले की जांच में संलिप्त पाए जाने पर धारा 166, 167, 195, 196, 211, 220, 346, 465, 471 तथा 120 बी की धारा के तहत सीजेएम कैथल की अदालत में शिकायत भेजकर इन सभी व्यक्तियों के खिलाफ नियमानुसार केस चलाने के आदेश दिए हैं। इन अधिकारियों व कर्मचारियों में इंस्पेक्टर अंग्रेज सिंह तत्कालीन एसएचओ सीआईए, एएसआई बख्शा सिंह तत्कालीन डियूटी आफिसर सीआईए-1, ईएएसआई शमशेर सिंह, राजेंद्र सिंह, सतपाल, एग्जैम्पटी हैड कांस्टेबल धर्म सिंह, जसबीर सिंह, सब इंस्पेक्टर अजीत राय शामिल हैं।

धौंचक ने अपनी जांच रिपोर्ट में बताया कि गांव आहूं में 27 मार्च 2015 को एक बारात आई थी, जिसमें सौरभ उर्फ शिवम के पास गौरव नरवाल की बंदूक थी। सौरभ के गोली चलाने से 12 वर्षीय रजत पुत्र श्री देयी राम को गोली लगी, जिस कारण सौरभ व गौरव के खिलाफ 307 आईपीसी की धारा 25 आम्र्स एक्ट के तहत 28 मार्च 2015 को मामला दर्ज किया गया। गौरव की मां तथा पत्नी ने 31 मार्च 2015 को माननीय पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में एक रिट दायर की जिसमें गौरव व सौरभ को अवैध हिरासत में रखने का आरोप लगाया गया, जिस पर माननीय पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने नरेश चंद को वारंट आफिसर नियुक्त किया, जिसने उसी रात साढ़े 9 बजे सीआईए-1 थाना को अचानक चैक किया।

वारंट आफिसर नरेश चंद को देखकर सीआईए स्टाफ के सभी कर्मचारी भाग गए, केवल एमएचसी (मुन्शी) व ईएचसी जसबीर सिंह मिले। जसबीर सिंह ने कमरे में घुसकर अंदर से दरवाजा बंद करके गौरव व सौरभ को पिछले दरवाजे से भगाने की कौशिश की, इस पर वारंट आफिसर के साथ आए लोगों ने पकड़ लिया। वारंट आफिस नरेश चंद ने वैरीफाई किया कि उनके गिरफ्तारी बारे कोई दस्तावेज नही हैं और न ही दैनिक डायरी विवर्णिका (डीडीआर) मिली। इस पर वारंट आफिसर ने पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में रिपोर्ट जमा करवाई। तत्पश्चात गौरव व सौरभ को गिरफ्तार करके उनके खिलाफ न्यायालय में चालान दे दिया गया और न्यायालय ने 22 अप्रैल 2016 को दोनों आरोपियों को बरी कर दिया।
तत्कालीन जिला एवं सत्र न्यायाधीश शालिनी सिंह नागपाल ने इस मामले में धारा 340 सीआरपीसी के तहत पुलिस कर्मचारियों द्वारा सौरभ और गौरव को गैर कानूनी हिरासत में रखने बारे व उसे कानूनी रूप से सही साबित करने के लिए जाली दस्तावेज बनाने के मामले की जांच के आदेेश दिए। जिला एवं सत्र न्यायाधीश एम.एम. धौंचक ने इस सारे मामले की गहनता से जांच पूरी की और इस जांच में संलिप्त पाए गए सभी 8 पुलिस अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ सीजेएम अदालत में शिकायत भेजकर सभी लोगों के खिलाफ नियमानुसार केस चलाने के आदेश दिए गए हैं।

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