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काश्तकार कालूसिंह ने सब्जी की पैदावार से किया कायाकल्प
जयपुर/बांसवाड़ा। जिले के काश्तकार कृषि व उद्यान विभागीय योजनाओं के माध्यम से अपने व परिवार की तकदीर बदल रहे हैं। सरकार की योजनाओं और दिए गए मार्गदर्शन का ही नतीजा है इस अंचल के काश्तकार अब एक साल ही में अपनी आमदनी को दुगुना करते हुए अन्य काश्तकारों के लिए नजीर बन गए हैं। एक ऎसे ही काश्तकार हैं जिले के कुशलगढ़ उपखण्ड क्षेत्र के मोहकमपुरा निवासी कालूसिंह चावड़ा।
गांव के मध्यमवर्गीय परिवार के कृषक कालू सिंह पुत्र ऊंकार सिंह बताते हैं कि वह अपने खेत पर सोयाबीन की खेती कर अपना परिवार चलाता था। इससे उनकी वार्षिक आमदनी 50 हजार रुपए तक हो जाती थी। वर्षों से ऎसा हो रहा था, परंतु कुशलगढ़ में राजस्थान कृषि प्रतिस्पर्धात्मक परियोजना के तहत आयोजित प्रशिक्षण ने उनका भाग्य ही पलट दिया। उन्हें उद्यान विभाग की योजनाओं के बारे में जानकारी मिली तो उसने ड्रिप संयंत्र स्थापना एवं सब्जी की खेती के लिए आवेदन किया। उन्होंने अपने खेत पर ड्रिप संयंत्र की स्थापना की। इसके माध्यम से वह वर्तमान में एक बीघा में भिण्डी, एक बीघा में टमाटर, एक बीघा में मिर्च और एक बीघा में बैंगन की खेती कर रहा है। उन्हें लगभग 4-5 महीने में भिण्डी से 5,000 रुपए, टमाटर से 60 हजार रुपए, मिर्ची एवं बैंगन से 10-10 हजार तथा लहसुन के करीब 13 क्विंटल उत्पादन से 30 हजार रुपए और कुल 1 लाख 15 हजार रुपए की कमाई की है।
उन्होंने बताया कि अगले 2-3 महीने में और अधिक आमदनी होने की सम्भावना है। उन्होंने बताया कि टमाटर में वह मल्चिंग को अपना रहा है, जिससे खरपतवार कम लगता है व पानी की बचत होती है तथा नमी बनी रहती है। इसके अलावा उनके पास 1 गाय, 1 भैंस व 2 ट्रैक्टर हैं, जिससे भी कुछ आमदनी होती है। अब वह वर्मी कम्पोस्ट की स्थापना कराना चाहता है।
गांव के मध्यमवर्गीय परिवार के कृषक कालू सिंह पुत्र ऊंकार सिंह बताते हैं कि वह अपने खेत पर सोयाबीन की खेती कर अपना परिवार चलाता था। इससे उनकी वार्षिक आमदनी 50 हजार रुपए तक हो जाती थी। वर्षों से ऎसा हो रहा था, परंतु कुशलगढ़ में राजस्थान कृषि प्रतिस्पर्धात्मक परियोजना के तहत आयोजित प्रशिक्षण ने उनका भाग्य ही पलट दिया। उन्हें उद्यान विभाग की योजनाओं के बारे में जानकारी मिली तो उसने ड्रिप संयंत्र स्थापना एवं सब्जी की खेती के लिए आवेदन किया। उन्होंने अपने खेत पर ड्रिप संयंत्र की स्थापना की। इसके माध्यम से वह वर्तमान में एक बीघा में भिण्डी, एक बीघा में टमाटर, एक बीघा में मिर्च और एक बीघा में बैंगन की खेती कर रहा है। उन्हें लगभग 4-5 महीने में भिण्डी से 5,000 रुपए, टमाटर से 60 हजार रुपए, मिर्ची एवं बैंगन से 10-10 हजार तथा लहसुन के करीब 13 क्विंटल उत्पादन से 30 हजार रुपए और कुल 1 लाख 15 हजार रुपए की कमाई की है।
उन्होंने बताया कि अगले 2-3 महीने में और अधिक आमदनी होने की सम्भावना है। उन्होंने बताया कि टमाटर में वह मल्चिंग को अपना रहा है, जिससे खरपतवार कम लगता है व पानी की बचत होती है तथा नमी बनी रहती है। इसके अलावा उनके पास 1 गाय, 1 भैंस व 2 ट्रैक्टर हैं, जिससे भी कुछ आमदनी होती है। अब वह वर्मी कम्पोस्ट की स्थापना कराना चाहता है।
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