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राफेल लड़ाकू विमानों के स्वागत की तैयारी में अंबाला वायुसेना अड्डा
अंबाला। अंबाला स्थित भारतीय वायुसेना अड्डा देश के नवीनतम लड़ाकू विमान, राफेल के स्वागत के लिए तैयार हो रहा है, और इसी क्रम में यहां नए हैंगर, पक्की सडक़ें और प्रशिक्षण के लिए सिमुलेटर सहित बुनियादी ढांचों को उन्नत किया जा रहा है। फ्रांस की एक टीम पहले ही वायुसेना अड्डे पर पहुंच चुकी है और प्राथमिक जांच पूरी हो जा चुकी है। नए राफेल बेड़े के लिए जहां कुछ हद तक वर्तमान बुनियादी ढांचे को इस्तेमाल में लाया जाएगा, वहीं कम से कम 14 नए शेल्टर्स, नए हैंगरों, नए संचालन स्थलों, एक डी-ब्रीफिंग कक्ष और सिमुलेटर प्रशिक्षण का निर्माण किया जाएगा। इसके लिए 227 करोड़ रुपये की राशि की मंजूरी दी जा चुकी है। अंबाला वायुसेना अड्डे के कमांडिंग ऑफिसर, एल.के. चावला ने बताया, ‘‘नए बुनियादी ढांचे के निर्माण का काम 2018 में जनवरी या फरवरी में शुरू हो जाएगा।
फ्रांसीसी टीम ने अपनी जरूरतें बता दी हैं और इसका प्राथमिक काम शुरू हो चुका है।’’ गोल्डन ऐरोज, 17 स्क्वाड्रन में शुरुआत में चार राफेल होंगे, जिनके सितंबर 2019 में आने की संभावना है। 2022 तक इनकी संख्या बढक़र 18 हो जाएगी। इस स्क्वाड्रन ने 1999 में पाकिस्तान के साथ कारगिल युद्ध में भाग लिया था, जब उसने तत्कालीन विंग कमांडर और वर्तमान एयर चीफ मार्शल बी.एस. धनोवा की कमान के तहत मिग-21 उड़ाए थे। पश्चिमी वायु कमान के तहत आने वाला अंबाला वायुसेना अड्डा राष्ट्रीय राजधानी के ऊपर के वायुक्षेत्र का मुख्य निगहबान है। पाकिस्तानी सीमा इससे केवल 200 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
फ्रांसीसी टीम ने अपनी जरूरतें बता दी हैं और इसका प्राथमिक काम शुरू हो चुका है।’’ गोल्डन ऐरोज, 17 स्क्वाड्रन में शुरुआत में चार राफेल होंगे, जिनके सितंबर 2019 में आने की संभावना है। 2022 तक इनकी संख्या बढक़र 18 हो जाएगी। इस स्क्वाड्रन ने 1999 में पाकिस्तान के साथ कारगिल युद्ध में भाग लिया था, जब उसने तत्कालीन विंग कमांडर और वर्तमान एयर चीफ मार्शल बी.एस. धनोवा की कमान के तहत मिग-21 उड़ाए थे। पश्चिमी वायु कमान के तहत आने वाला अंबाला वायुसेना अड्डा राष्ट्रीय राजधानी के ऊपर के वायुक्षेत्र का मुख्य निगहबान है। पाकिस्तानी सीमा इससे केवल 200 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
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