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संसद पर आतंकी हमले की आज 16वीं बरसी, पढ़ें हमले की पूरी कहानी
नई दिल्ली। साल 2001 में संसद पर हुए आतंकी पहले की आज 16वीं बरसी है। इस हमले में संसद भवन के गार्ड, दिल्ली पुलिस के जवान सहित नौ लोग शहीद हुए थे। संसद के तत्कालीन शीतकालीन सत्र के दौरान लोकसभा और राज्यसभा सदस्यों से संसद भवन भरा हुआ था। इसी बीच अचानक हुए आतंकी हमलों ने पूरे देश भौचक रह गया था।
13 दिसंबर 2001 के दिन पाकिस्तान के आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के 5 आतंकियों ने संसद पर हमले की कोशिश की। पूरी तैयारी के साथ आए इन आतंकियों ने 45 मिनट तक ताबड़तोड़ गोलियां चलाई थी। हमले की जांच में चार मुख्य आरोपियों अफजल गुरू, शौकत हुसैन, एसएआर गिलानी और नवजोत सिंधु को शामिल पाया गया था।
सेना की वर्दी पहनकर आए थे आतंकी-
13 दिसंबर, 2001 को लगभग 11 बजकर 20 मिनट पर संसद भवन के परिसर मे सफेद रंग की एंबेसेडर कार आती है। इस कार की रफ्तार तेज थी और कार उपराष्ट्रपति के काफिले की तरफ तेजी से बढ़ती जा रही थी, इसी बीच लोकसभा के सुरक्षा कर्मचारी जगदीश यादव को शक हुआ और वे कार के पीछे भागते हुए उसे रुकने का इशारा करने लगे।
जगदीश यादव को कार के पीछे भागते देख उप राष्ट्रपति के सुरक्षा में तैनात एएसआई चीफ राव, नामक चंद और श्याम सिंह भी उस कार को रोकने के लिये उसकी तरफ झपटे। उन्हें कार की तरफ आते देख आतंकियों ने कार को संसद की गेट नंबर एक की तरफ घुमा दिया जहां उपराष्ट्रपति की कार से उनकी कार टकरा गई।
जिसके बाद कार से बाहर निकल कर आतंकियों ने अधाधुंध फाइरिंग शुरू कर दी। आतंकियों की गोली का शिकार सबसे पहले वह चार सुरक्षाकर्मी बने जो उनकी कार रोकने की कोशिश कर रहे थे।
इसी बीच अंधाधुंध फायरिंग करता एक आतंकवादी दौड़ता हुआ संसद भवन के गेट नंबर 1 की तरफ भागा, लेकिन इससे पहले कि वो संसद भवन के अंदर घुस पाता सुरक्षाकर्मियों ने उसे घेर लिया और मार गिराया।
एक और आतंकी गेट नंबर 6 की तरफ भागा जिसे सुरक्षाकर्मियों ने चारो तरफ से घेर लिया। घिर चुके आतंकी ने खुद को उड़ा लिया। आतंकी हमले की सूचना सेना और एनएसजी कमांडो को दी गई थी। साथ ही दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने भी मोर्चा संभाल लिया था।
इनके आने की सूचना आतंकियों को भी हो गई थी। उन्होंने गेट नंबर 9 से संसद में घुसने की फिर से कोशिश की। इस कोशिश के तहत वह गोलियां बरसाते हुए संसद भवन के गेट नंबर 9 की तरफ भागे। मगर मुस्तैद जवानों ने गेट नंबर 9 के पहले ही उन्हें घेर लिया। दोनो तरफ से गोलीबारी जारी थी और कुछ ही देर में सभी आतंकियों को मार गिराया गया।
13 दिसंबर 2001 के दिन पाकिस्तान के आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के 5 आतंकियों ने संसद पर हमले की कोशिश की। पूरी तैयारी के साथ आए इन आतंकियों ने 45 मिनट तक ताबड़तोड़ गोलियां चलाई थी। हमले की जांच में चार मुख्य आरोपियों अफजल गुरू, शौकत हुसैन, एसएआर गिलानी और नवजोत सिंधु को शामिल पाया गया था।
सेना की वर्दी पहनकर आए थे आतंकी-
13 दिसंबर, 2001 को लगभग 11 बजकर 20 मिनट पर संसद भवन के परिसर मे सफेद रंग की एंबेसेडर कार आती है। इस कार की रफ्तार तेज थी और कार उपराष्ट्रपति के काफिले की तरफ तेजी से बढ़ती जा रही थी, इसी बीच लोकसभा के सुरक्षा कर्मचारी जगदीश यादव को शक हुआ और वे कार के पीछे भागते हुए उसे रुकने का इशारा करने लगे।
जगदीश यादव को कार के पीछे भागते देख उप राष्ट्रपति के सुरक्षा में तैनात एएसआई चीफ राव, नामक चंद और श्याम सिंह भी उस कार को रोकने के लिये उसकी तरफ झपटे। उन्हें कार की तरफ आते देख आतंकियों ने कार को संसद की गेट नंबर एक की तरफ घुमा दिया जहां उपराष्ट्रपति की कार से उनकी कार टकरा गई।
जिसके बाद कार से बाहर निकल कर आतंकियों ने अधाधुंध फाइरिंग शुरू कर दी। आतंकियों की गोली का शिकार सबसे पहले वह चार सुरक्षाकर्मी बने जो उनकी कार रोकने की कोशिश कर रहे थे।
इसी बीच अंधाधुंध फायरिंग करता एक आतंकवादी दौड़ता हुआ संसद भवन के गेट नंबर 1 की तरफ भागा, लेकिन इससे पहले कि वो संसद भवन के अंदर घुस पाता सुरक्षाकर्मियों ने उसे घेर लिया और मार गिराया।
एक और आतंकी गेट नंबर 6 की तरफ भागा जिसे सुरक्षाकर्मियों ने चारो तरफ से घेर लिया। घिर चुके आतंकी ने खुद को उड़ा लिया। आतंकी हमले की सूचना सेना और एनएसजी कमांडो को दी गई थी। साथ ही दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने भी मोर्चा संभाल लिया था।
इनके आने की सूचना आतंकियों को भी हो गई थी। उन्होंने गेट नंबर 9 से संसद में घुसने की फिर से कोशिश की। इस कोशिश के तहत वह गोलियां बरसाते हुए संसद भवन के गेट नंबर 9 की तरफ भागे। मगर मुस्तैद जवानों ने गेट नंबर 9 के पहले ही उन्हें घेर लिया। दोनो तरफ से गोलीबारी जारी थी और कुछ ही देर में सभी आतंकियों को मार गिराया गया।
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