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हरियाणा विधानसभा में 15 विधेयक पारित, पढ़ें

khaskhabar.com : गुरुवार, 15 मार्च 2018 7:37 PM (IST)
हरियाणा विधानसभा में 15 विधेयक पारित, पढ़ें
चण्डीगढ़ । हरियाणा विधान सभा में 15 विधेयक पारित किये गये, जिनमें महर्षि बाल्मीकि संस्कृत विश्वविद्यालय, कैथल विधेयक, 2018, हरियाणा राज्य उच्च्तर शिक्षा परिषद् विधेयक, 2018, पंजाब अनुसूचित सडक़ तथा नियंत्रित क्षेत्र अनियमित विकास निर्बन्धन (हरियाणा संशोधन) विधेयक, 2018, स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय, करनाल (संशोधन) विधेयक, 2018, हरियाणाा नगरपालिका क्षेत्रों में अपूर्ण नागरिक सुखसुविधाओं तथा अवसंरचना का प्रबंधन (विशेष उपबंध) संशोधन विधेयक, 2018, हरियाणा नगरपालिका गली विक्रेता (जीविका संरक्षण तथा गली विक्रय नियंत्रण) निरसन विधेयक, 2018, दण्ड विधि (हरियाणा संशोधन) विधेयक, 2018, हरियाणा नगरपालिका (संशोधन) विधेयक, 2018, हरियाणा नगर निगम (संशोधन) विधेयक, 2018, हरियाणा नगरीय विकास प्राधिकरण (संशोधन) विधेयक, 2018, हरियाणा पुनर्विनियोग विधेयक, 2018, हरियाणा किसान कल्याण प्राधिकरण विधेयक, 2018, हरियाणा विधानसभा (सदस्यों का वेतन भत्ते, एवं पेंशन) संशोधन विधेयक, 2018, हरियाणा गु्रप घ कर्मचारी (भर्ती तथा सेवा की शर्तें) विधेयक, 2018 और हरियाणा विनियोग (संख्या 2) विधेयक, 2018 शामिल है।

महर्षि वाल्मीकि संस्कृत विश्वविद्यालय, कैथल विधेयक, 2018,

संस्कृत साहित्य, वेदों, दर्शनशास्त्र, भारतीय संस्कृति और भारतीय आर्यभाषाओं में विशेष महत्व सहित उच्च्तर शिक्षा को सूकर बनाने तथा उन्नत करने के लिए तथा इन और सम्बधित क्षेत्रों में भी उत्कृष्टïता प्राप्त करने हेतु कैथल में अध्यापन एवं सम्बद्घ विश्वविद्यालय स्थापित तथा निगमित करने हेतु महर्षि वाल्मीकि संस्कृत विश्वविद्यालय, कैथल विधेयक, 2018, पारित किया गया।
हरियाणा को शैक्षणिक रूप से अग्रणी राज्य बनाना वर्तमान राज्य सरकार की मुख्य चिंता है। राज्य सरकार का ध्यान सभी को सस्ती, न्यायसंगत और आवश्यक आधारभूत शिक्षा प्रदान करना है। संभावनाएं प्रचुर है, लेकिन चुनौतियों भी अभूतपूर्व हैं। उभरती हुई तकनीकों को अपनाने, बाजार द्वारा संचालित दृष्टिकोण, प्रभावी निधि बढ़ाने और सरकार द्वारा सही नीति ढांचे द्वारा समर्थित तैनाती हरियाणा में उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण है। राज्य में, संस्कृत साहित्य और भारतीय भाषाओं के लिए शैक्षित सुविधाओं के निर्माण और विकास की बहुत आवश्यकता है, जिसके लिए कैथल में संस्कृत विश्वविद्यालय का निर्माण बिल्कुल आवश्यक है।
पूरे क्षेत्र में संस्कृत साहित्य और भारतीय भाषाओं के लिए कोई राज्य संस्थान नहीं है। राज्य के युवा लड़कियों और लडक़ों को संस्कृत साहित्य और भारतीय भाषाओं में उच्च शिक्षा के लिए अन्य स्थानों पर जाना होता है। वर्तमान परिदृश्य में, संस्कृत साहित्य और भारतीय भाषाओं में उच्च शिक्षा देने वाले उच्च शिक्षा संस्थान की मांग है। भारतीय सभ्यता को निरन्तरता देने में संस्कृत भाषा सबसे महत्वपूर्ण माध्यम रही है। संस्कृत भाषा में इस देश की सांस्कृतिक विरासत को साहित्यिक प्रवाह में दर्ज किया गया है। संस्कृत भाषा में इस देश की सांस्कृतिक विरासत को साहित्यिक प्रवाह में दर्ज किया गया है। संस्कृत साहित्य विभिन्न रूपों और प्रकारों को दर्शाता है, जिन्हें राज्य के युवाओं द्वारा अन्वेषण किया जाना है। इस मांग को पूरा करने के लिए, एक संस्कृत विश्वविद्यालय की स्थापना की तत्काल आवश्यकता प्रतीत होती है।
राज्य में, संस्कृत विश्वविद्यालय की स्थापना विशेषकर संस्कृत और भारतीय भाषाओं में उच्च शिक्षा के लिए प्रोत्साहन प्रदान करेगी। इसलिए, कैथल में महर्षि बाल्मीकि संस्कृत विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए यह बिल लाया गया है।

हरियाणा राज्य उच्च्तर शिक्षा परिषद् विधेयक, 2018
राज्य में उच्च्तर शिक्षा की सभी संस्थाओं की स्वायत्तता और बृहत उत्तरदायित्व सुनिश्चित करते हु पॉलिसी सूत्रीकरण और भावी योजना के लिए शैक्षािक इनपुट प्राप्त करते हुए शैक्षणिक उत्कृष्टता और सामाजिक न्याय प्रोन्नत करने के लिए और राष्टï्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान की आवश्यकता के अनुसार राज्य की सामाजिक-आर्थिक अपेक्षाओं के अनुसार उच्चतर शिक्षा के विकास के मार्गदर्शन और उनसे सम्बन्धित या उनसे अनुषांगिक मामलों के लिए यह हरियाणा राज्य उच्च्तर शिक्षा परिषद्ï विधेयक, 2018, पारित किया गया है।
राष्टï्रीय शिक्षा नीति एवं राष्टï्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान की अनुशंसा है कि राष्टï्रीय स्तर पर विश्वविद्यालय शिक्षा सहित उच्चतर शिक्षा की योजना एवं समन्वय, स्वायत्त, निष्पक्ष राज्य उच्चतर शिक्षा परिषदïï् के माध्यम से हो। राज्य सरकार आवश्यक समझती है कि हरियाणा उच्चतर शिक्षा परिषद् की स्थापना हो जिसमें राज्य सरकार, विश्वविद्यालय, शैक्षिक जगत एवं विशेषज्ञों के सहयोग से ऐसी व्यवस्था बनाए जिसके द्वारा विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों एवं राज्य सरकार में उच्चतर शिक्षा के संबंध में समन्वय बन सके, जिसके द्वारा विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों की उच्च स्तर की नियामक संस्थाओं के साथ सकारात्मक संबंधों का निर्माण हो सके। परिषद् की स्थापना से उच्चतर शिक्षा के क्षेत्र में नीति निर्माण एवं भविष्य की योजनाएं बनाकर उच्चतर शिक्षा जगत मे सामाजिक न्याय एवं उत्कृष्टïता स्थापित करने, राज्य के सभी उच्चतर शिक्षा संस्थाओं में स्वायत्ता एवं दायित्वबोध की व्यवस्था करने तथा राज्य एवं राष्टï्र के सामाजिक एवं आर्थिक उत्थान की आवश्यकता के अनुसार उच्चतर शिक्षा की दिशा एवं विकास की योजना निर्धारित करने के उद्देश्य पूर्ण होंगे।

पंजाब अनुसूचित सडक़ तथा नियंत्रित क्षेत्र अनियमित विकास निर्बन्धन (हरियाणा संशोधन) विधेयक, 2018
पंजाब अनुसूचित सडक़ तथा नियंत्रित क्षेत्र अनियमित विकास निर्बन्धन अधिनियम, 1963, हरियाणा राज्यार्थ, को आगे संशोधित करने के लिए पंजाब अनुसूचित सडक़ तथा नियंत्रित क्षेत्र अनियमित विकास निर्बन्धन (हरियाणा संशोधन) विधेयक, 2018 पारित किया गया।
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने सी.डब्लू.पी नं. 21942 ऑफ 2013: पवन भाटिया व अन्य में बनाम हरियाणा सरकार व अन्य अपने आदेश दिनांक 26.08.2015 द्वारा पहले-आओ-पहले-जाओ नीति को असराहणीय कहते हुए एक पारदर्शी नीति बनाने बारे सुझाव दिया। माननीय उच्चतम न्यायालय ने भी एस.एल.पी. संख्या 11082 ऑफ 2016 में अनुज्ञप्ति प्रदान करने के लिए पारदर्शी नीति दिशानिर्देश तैयार करने की स्वंतत्रता प्रदान की है। अत: पहले आओ-पहले पाओ नीति के विकल्प स्वरूप, दिनांक 10.11.2017 की नीति अधिसूचित की गई है।
मौजूदा वैधानिक प्रावधानों में नीलामी/बोली प्रक्रिया के माध्यम से अनुज्ञप्ति प्रदान करने का प्रावधान नहीं है। अत: दिनांक 10.11.2017 की नीति के कार्यान्वयन हेतु, पंजाब अनुसूचित सडक़ें तथा नियंत्रित क्षेत्र अनियमित विकास निर्बन्धन अधिनियम, 1963 में सक्षम प्रावधानों को सम्मिलित करना आवश्यक है ताकि बोली/नीलामी प्रक्रिया के द्वारा, ऐसी विशिष्टï श्रेणी में अनुज्ञप्ति प्रदान किया जा सके।
इसी प्रकार विभाग क कार्यकलापों में और अधिक पारदर्शिता तथा निपुणता लाने के लिए विभिन्न वैधानिक अनुमोदनों के ऑनलाइन प्राप्ति तथा प्रदान करने का प्रस्ताव है जिसके लिए अधिनियम में सक्षम प्रावधान किया जाना आवश्यक था।


स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय, करनाल (संशोधन) विधेयक, 2018

स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय, करनाल अधिनियम, 2016 को आगे संशोधित करने के लिए स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय, करनाल (संशोधन) विधेयक, 2018 पारित किया गया है।
स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय करनाल का अधिनियम का विधि एवं पारमर्शी विभाग द्वार अधिसूचना दिनांक 21.09.2016 द्वारा गजट में प्रकाशित किया जा चुका है। उक्त स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय, करनाल की स्थापना राज्य में चिकित्सा विज्ञान एवं अनुसंधान के क्षेत्र में उचित एवं व्यवस्थित शिक्षा के उद्देश्य के लिए की गई है। विश्वविद्यालय का मुख्य परिसर गांव कुटेल, जिला करना में स्थापित किया जाएगा। सरकार ने निर्णय लिया है कि इस विश्वविद्यालय का नाम स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय, करनाल से बदलकर ‘पंडित दीन दयाल उपाध्याय स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय, करनाल किया जाए। अत: स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय, करनाल अधिनियम, 2016’ में संशोधन किए जाने की आवश्यकता थी।

हरियाणाा नगरपालिका क्षेत्रों में अपूर्ण नागरिक सुखसुविधाओं तथा अवसंरचना का प्रबंधन (विशेष उपबंध) संशोधन विधेयक, 2018



हरियाणा नगरपालिका क्षेत्रों में अपूर्ण नागरिक सुखसुविधाओं तथा अवसरंचना का प्रबंधन (विशेष उपबंध) अधिनियम, 2016 को आगे संशोधित करने के लिए हरियाणाा नगरपालिका क्षेत्रों में अपूर्ण नागरिक सुखसुविधाओं तथा अवसंरचना का प्रबंधन (विशेष उपबंध) संशोधन विधेयक, 2018 पारित किया गया।
हरियाणाा नगरपालिका क्षेत्रों में अपूर्ण नागरिक सुखसुविधाओं तथा अवसंरचना का प्रबंधन (विशेष उपबंध) अधिनियम, 2016 पालिका सीमाओं में पडऩे वाले उन क्षेत्रों को पहचानने के लिए अधिनियमित किया गया था जहां 31 मार्च, 2015 से पूर्व 50 प्रतिशत प्लाटों पर निर्माण किया जा चुका है को नागरिक सुख सुविधाओं तथा अवसंरचना प्रदान करने के लिए इन क्षेत्रों को नागरिक सुख सुविधाओं तथा अवसरंचना अपूर्ण नगरपालिका क्षेत्र घोषित किया जाना है। इस अधिनियम की धारा 4 ‘प्रवर्तन अस्थगित रखना’ एक वर्ष की अवधि के लिए थी, जो 20 अप्रैल, 2017 तक थी। इस विभाग द्वारा एक साल की वैधता के अन्तराल में नगरपालिकाओं से प्रस्ताव प्राप्त करने के लिए पत्र दिनांक 10 जुलाई, 2015 द्वारा दिशा-निर्देश जारी किए गए। इस प्रक्रिया को ज्ञापना दिनांक 16 सितंबर, 2016, 18 नवंबर, 2016 तथा 26 नवंबर, 2016 द्वारा परिचालित किया गया जिस पर ज्ञापन दिनांक 8 अगस्त, 2017 द्वारा रोक लगा दी गई। आदेश दिनांक 4 अक्तूबर, 2016 द्वारा विकास शुल्क जारी किए गए, जिन्हें ज्ञापन दिनांक 21 अक्तूबर, 2016 के द्वार रोके रखा गया है।
चूंकि, अनधिकृत कॉलोनियों को घोषित करने की प्रक्रिया एक साल में पूर्ण नहीं हो सकी। इसलिए अधिनियम में ‘एक साल’ की अवधि को ‘दो साल’ का संशोधन अधिसूचना दिनांक 23 नवंबर, 2017 द्वारा किया गया था। उपरोक्त अधिनियम की वैधता दिनांक 20, अप्रैल, 2018 तक है। राज्य में पालिका सीमाओं के अंतर्गत ऐसे नागरिक सुखसुविधाओं तथा अवसंरचना अपूर्ण नगरपालिका क्षेत्रों के सर्वे की प्रक्रिया आरम्भ कर दी। कुल 982 कॉलोनियों के प्रस्ताव 80 नगरपालिकाओं से प्राप्त हुए है, जिनमें से 528 कॉलोनियों के योग्य पाए गए हैं। गुरुग्राम नगरपालिका की 15 कॉलोनियां तथा फरीदाबाद नगरपालिका की 9 कॉलोनियों को इस अधिनियम के अन्तर्गत अधिसूचना दिनांक 6, दिसंबर, 2017 द्वार अधिसूचित किया गया।
शेष बची हुई योग्य कॉलोनियों की अधिसूचना तथा विकास शुल्क जारी किए जाने हंै परन्तु इसी दौरान, इस अधिनियम की धारा 4 में वर्णित दो वर्ष की अवधि पूरी होने जा रही है। इसलिए इस अधिनियम की धारा 4 की वैधता बढ़ाने की आवश्यकता है। अत: यह प्रस्तावित है कि इस अधिनियम के अनुभाग 4 (1) तथा 4(2) में शब्दों ‘दो साल’ को शब्दों ‘तीन साल’ से बल दिया जाए ताकि ऐसे योग्य क्षेत्रों को नागरिक सुख सुविधाओं तथा अवसंरचना अपूर्ण नगरपालिका क्षेत्र घोषित करने के लिए एक अन्य साल उपलब्ध करवाया जा सके तथा इन क्षेत्रों में मूलभूत सुविधाएं प्रदान की जा सके।


हरियाणा नगरपालिका गली विक्रेता (जीविका संरक्षण तथा गली विक्रय नियंत्रण) निरसन विधेयक, 2018



हरियाणा नगरपालिका गली विक्रता (जीविका संरक्षण तथा गली विक्रय नियंत्रण) अधिनियम, 2014 को निरसित करने के लिए हरियाणा नगरपालिका गली विक्रेता (जीविका संरक्षण तथा गली विक्रय नियंत्रण) निरसन विधेयक, 2018 पारित किया गया है।
गली विक्रताओं के कल्याण के लिए हरियाणा राज्य ने केंद्र सरकार के राष्टï्रीय गली विके्रता नीति, 2009 के आधार पर 8 जनवरी, 2014 को हरियाणा नगर पालिका गली विक्रता (आजीविका का संरक्षण तथा गली बिक्री का विनियमन) अध्यादेश, 2013 को प्रख्यापित किया। अध्यादेश को 01 अप्रैल, 2014 को अधिनियम रूप में अधिसूचित किया गया। इस अधिनियम के तहत, हरियाणा सरकार ने 05 फरवरी, 2014 को नीतिगत दिशा-निर्देश भी जारी किया गया।
इसके साथ ही, केन्द्र सरकार ने 05 मार्च, 2014 को गली विक्रेता (आजीविका का संरक्षण तथा गली बिक्री का विनियमन) अधिनियम, 2014 को अधिसूचित किया और राज्य सरकार को निर्देशित किया कि अधिसूचित केन्द्रीय अधिनियम के तहत सडक़ विक्रेता नियम और योजना तैयार करें।
निर्देश को ध्यान में रखते हुए कानूनी सलाहकार, हरियाणा ने राय दी की कि ‘ए.डी राज्य कानून पर पुनर्विचार कर सकता है और यदि केन्द्रीय कानून के उद्देश्य पूरा करता है, तो राज्य कानून राज्य विधानमण्डल द्वार निरस्त किया जा सकता है क्योंकि समान विषय पर दो कानूनों का कोई उपयोग नहीं है।’
सरकार के आदेश अनुसार, विभाग ने पहले केन्द्रीय कानून के तहत 31 अक्तूबर, 2017 को हरियाणा नगरपालिका गली विक्रेता (आजीविका का संरक्षण तथा गली बिक्री का विनियमन) नियम, 2017 को अधिसूचित किया और इसलिए अब हरियाणा नगर पालिका गली विक्रेता (आजीविका का संरक्षण तथा गली बिक्री का विनियमन) अधिनियम, 2014 में संशोधत करने का प्रस्ताव प्रस्तुत कर रहा है ताकि सडक़ विक्रेताओं के मामले में तदानुसार आगे की कार्रवाई करने के लिए केन्द्रीय सडक़ विके्रतओं अधिनियम को अपनाया जा सके।

दण्ड विधि (हरियाणा संशोधन) विधेयक, 2018


भारतीय दंड संहिता, 1860, दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 और लैंगिे अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012, हरियाणा राज्यार्थ, को आगे संशोधित करने के लिए दण्ड विधि (हरियाणा संशोधन) विधेयक, 2018 पारित किया गया है।
बलात्कार जैसे आपराधिक कृत्य के लिए आजीवन कारावाास और चरम मामलों में मृत्यु दण्ड तक का प्रावधान किया गया है। हालांकि महिला के शील भंग के उद्देश्य से उसका पीछा करने, उस पर हमला करने तथा 12 वर्ष से कम आयु की महिला के साथ बलात्कार/सामूहिक बलात्कार जैसे अपराधों को रोकने के लिए ऐसे कृत्यों के अपराधियों को और कठोर सजा दिया जाना आवश्यक है। अत: 12 वर्ष तक की बालिकाओं के बलात्कार/सामूहिक बलात्कार के संबंध में संशोधन प्रस्तावित है, जिसके लिए मृत्यु दण्ड या कम से कम 14 साल का कठोर कारावास, जिसे आजीवन अर्थात व्यक्ति के शेष प्राकृतिक जीवन तक के कारावास तक बढ़ाया जा सकता है, का प्रस्ताव किया गया है। इसके अलावा, शील भंग के उद्देश्य से किए गए हमले के लिए कम से कम 2 वर्ष और अधिकतम 7 वर्ष तक की सजा प्रस्तावित है। इसी प्रकार, दूसरी बार अपराध किए जाने की स्थिति में, पीछा करने के लिए भी सजा का प्रस्ताव किया गया है जो कम से कम 3 वर्ष और अधिकतम 7 वर्ष की होगी।

हरियाणा नगरपालिका (संशोधन) विधेयक, 2018


हरियाणा नगरपालिका अधिनियम, 1973 में आगे संशोधन करने के लिए हरियाणा नगरपालिका (संशोधन) विधेयक, 2018 पारित किया गया। पालिकाओं की वार्डबन्दी की प्रक्रिया विभिनन कारणों से उनके चुनाव की देय तिथि से पूर्व पूर्ण नहीं हो पाती है, जिसकी कारण पालिकाओं के चुनाव करवाने में अनावश्यक देरी होती है। यह राज्य चुनाव आयोग के संवैधानिक कत्र्तव्यों को पूर्ण करने में बाधा उत्पनन करता है तथा अनावश्यक मुकदमेबाजी का आमन्त्रित करता है। इसलिए राज्य चुनाव आयोग द्वारा यह सिफारिश की गई है कि हरियाणा नगरपालिका अधिनियम, 1973 में यह प्रावधान किया जाए कि वार्डों में क्षेत्र को सम्मिलित करने या निकालने या वार्डों का पुनर्गठन करने की प्रक्रिया पालिकाओं का कार्यकाल समाप्त होने से छ: माह पूर्व पूर्ण की जाए, अन्यथा यह राज्य चुनाव आयोग के विवेक पर निर्भर होगा कि वह पूर्व निर्धारित वार्डबन्दी के अनुसार मतदाता सूचियां तैयार करने की प्रक्रिया आरम्भ करें। माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा अपील (सिविल) 5756 ऑफ 2005- किशन सिंह तोमर बनाम नगर निगम, अहमदाबाद तथा अन्य के केस में दिनांक 19 अक्तूबर, 2006 को दिये गये निर्देशों के दृष्टिïगत मध्यप्रदेश सरकार द्वारा भी यह प्रावधान किया हुआ है। इससे नगर परिषदों/पालिकाओं का कार्यकाल पूर्ण होने से छ: माह पूर्व वार्डबन्दी प्रक्रिया को पूर्ण करने की कानूनी बाध्यता होगी तथा राज्य चुनाव आयोग नगर परिषदों/पालिकाओं के समय पर चुनाव करवाने के अपने संवैधानिक कत्र्तव्यों का निर्वाह कर सकेगा।
राज्य चुनाव आयोग द्वारा यह देखा गश है कि यदि कोई चुनाव लडऩे वाला उम्मीदवार अपना चुनाव खर्चा निश्चित समय अवधि में सक्षम प्राधिकारी को प्रस्तुत करने में असफल होता है तो उसे चुनाव लडऩे से वर्जित/अयोग्य करार दिया जाये।
हरियाणा नगर पालिका अधिनियम, 1973 की धारा-14 के अन्तर्गत नगर परिषदों/पालिकाओं के सदस्यों की, जो चुनाव के समय अयोग्य थे, को पद से हटाने की शक्तियां राज्य सरकार में निहित हैं। सरकार द्वारा चुनाव लडऩे वाले उम्मीदवारों के लिए शैक्षणिक योग्यताएं आवश्यक की गई हैं, परन्तु राज्य चुनाव आयोग तथा जिला कार्यालयों में अमान्यता प्राप्त संस्थानों/बार्डों द्वारा जारी किए गए जाली शैक्षणिक योग्यता प्रमाण-पत्र नामांकन-पत्र के साथ संलग्न करने की शिकायतें प्राप्त हो रही हैं। राज्य चुनाव आयोग को दोषी निर्वाचित सदस्यों के विरूद्घ कार्रवाई करने की शक्तियां नहीं है, जिसके परिणामस्वरूप आयोग शिकायतों का निपटान करने में असहाय होता है। इसलिए राज्य चुनाव आयोग द्वारा चाहा गया है कि निर्वाचित व्यक्ति जो चुनाव लडऩे के समय कोई भी अयोग्यता रखता है, उसे हटाने की शक्तियां राज्य चुनाव आयोग में निहित होनी चाहिए ताकि भविष्य में ऐसे मामलों का निपटान तुरन्त किया जा सकें तथा आम जनता के साथ न्याय हो सकें।

हरियाणा नगर निगम (संशोधन) विधेयक, 2018


हरियाणा नगर निगम अधिनियम, 1994 को संशोधित करने के लिए हरियाणा नगर निगम (संशोधन) विधेयक, 2018 पारित किया गया। पालिकाओं की वार्डबंदी की प्रक्रिया विभिन्न कारणों से उनके चुनाव की देय तिथि से पूर्व पूर्ण नहीं हो पाती है, जिसके कारण पालिकाओं के चुनाव करवाने में अनावश्यक देरी होती है। यह राज्य चुनाव आयोग के सवैधानिक कत्र्तव्यों को पूर्ण करने में बाधा उत्पन्न करता है तथा अनावश्यक मुकदमेबाजी को आमंत्रित करता है। इसलिए राज्य चुनाव आयोग द्वारा यह सिफारिश की गई है कि हरियाणा नगर निगम अधिनियम, 1994 में यह प्रावधान किया जाये कि वार्डों में क्षेत्र को सम्मिलित करने या निकालने या वार्डों का पुनर्गठन करने की प्रक्रिया पालिकाओं का कार्यकाल समाप्त होने से छ: माह पूर्व पूर्ण की जाये; अन्यथा यह राज्य चुनाव आयोग के विवेक पर निर्भर होगा कि वह पूर्व निर्धारित वार्डबंदी के अनुसार मतदाता सूूचियां तैयार करने की प्रक्रिया आरम्भ करे। माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा अपील(सिविल) 5756 ऑफ 2005- किशन सिंह तोमर बनाम नगर निगम, अहमदाबाद तथा अन्य के केस में दिनांक 19 अक्तूबर, 2006 को दिये गये निर्देशों के दृष्टिïगत मध्यप्रदेश सरकार द्वारा भी यह प्रावधान किया हुआ है। इससे नगर निगमों का कार्यकाल पूर्ण होने से छ: माह पूर्व वार्डबंदी प्रक्रिया को पूर्ण करने की कानूनी बाध्यता होगी तथा राज्य चुनाव आयोग नगर निगमों के समय पर चुनाव करवाने के अपने संवैधानिक कत्र्तव्यों का निर्वाह कर सकेगा।
राज्य चुनाव आयोग द्वारा यह देखा गया है कि यदि कोई चुनाव लडऩे वाला उम्मीदवार अपना चुनाव खर्चा निश्चित समय अवधि में सक्षम प्राधिकारी को प्रस्तुत करने में असफल होता है तो उसे चुनाव लडऩे से वर्जित/अयोग्य करार दिया जाये।
हरियाणा नगर निगम अधिनियम, 1994 की धारा-34 के अन्तर्गत नगर निगमों के सदस्यों की, जो चुनाव के समय अयोग्य थे, को पद से हटाने की शक्तियां राज्य सरकार में निहित हैं। सरकार द्वारा चुनाव लडऩे वाले उम्मीदवारों के लिए शैक्षणिक योग्यताएं आवश्यक की गई हैं, परन्तु राज्य चुनाव आयोग तथा जिला कार्यालयों में अमान्यता प्राप्त संस्थानों/बार्डों द्वारा जारी किए गए जाली शैक्षणिक योग्यता प्रमाण-पत्र नामांकन-पत्र के साथ संलग्न करने की शिकायतें प्राप्त हो रही हैं। राज्य चुनाव आयोग को दोषी निर्वाचित सदस्यों के विरूद्घ कार्रवाई करने की शक्तियां नहीं है, जिसके परिणामस्वरूप आयोग शिकायतों का निपटान करने में असहाय होता है। इसलिए राज्य चुनाव आयोग द्वारा चाहा गया है कि निर्वाचित व्यक्ति जो चुनाव लडऩे के समय कोई भी अयोग्यता रखता है, उसे हटाने की शक्तियां राज्य चुनाव आयोग में निहित होनी चाहिए ताकि भविष्य में ऐसे मामलों का निपटान तुरन्त किया जा सकें तथा आम जनता के साथ न्याय हो सकें।
हरियाणा नगर निगम अधिनियम, 1994 की मौजूदा धारा 164 (ग) के अनुसार, नगर निगम की अचल सम्पत्ति सरकारी विभागों/बोर्डों/निगमों या किसी व्यक्ति को केवल प्रतिस्पर्धा दर यानि बाजार दर पर ही बिक्री के माध्यम से स्थानांतरित की जा सकती है। सरकार ने विचारा है कि मौजूदा प्रावधान नगर निगम की अचल संपत्ति को अन्य सरकारी विभागों/बोर्डों/निगमों या किसी व्यक्ति को बुनियादी ढांचा/सार्वजनिक कल्याणकारी परियोजनाओं आदि के लिए या किसी ऐसे व्यक्ति को जो 20 साल से अधिक के किराया/पट्टïे पर भूखंड पर अधिकार में है, का हस्तांतरण केवल बाजार दर पर उचित नहीं है। सरकार ने निर्णय लिया है कि उपरोक्त परिस्थितियों के निपटान में आने वाली कठिनाईयों के लिए जरूरी है कि 164(ग) में संशोधन लाकर और कलैक्टर दर पर बिक्री के माध्यम से इस तरह के हस्तान्तरण की अनुमति दी जाये ताकि सरकारी निकायों को भूमि के हस्तान्तरण में आसानी हो और लंबे समय से भूमि के उपयोगकर्ता को सस्ती कलैक्टर दर पर उपलब्ध करवाई जा सके।

हरियाणा नगरीय विकास प्राधिकरण (संशोधन) विधेयक, 2018


हरियाणा नगरीय विकास प्राधिकरण अधिनियम, 1977 को संशोधित करने के लिए हरियाणा नगरीय विकास प्राधिकरण (संशोधन) विधेयक, 2018 पारित किया गया है।
हरियाणा अर्बन डेवलेपमेंट अथोरिटी हरियाणा सरकार का एक वैधानिक निकाय है जो हरियाणा अर्बन डेवलेपमेंट अथोरिटी, अधिनियम, 1977 के अंतर्गत हरियाणा अर्बन डेवलेपमेंट अथोरिटी के नाम तथा शैली से अस्तित्व में आया एवं सन् 1962 से पूर्व एकाकी सरकारी विभागों द्वारा निभाई जाने वाली जिम्मेवारियों को अपनाया। इससे पूर्व शहरी क्षेत्रों के योजनाबद्ध विकास से संबंधित कार्य शहरी सम्पदा विभाग द्वारा संचालित किए जाते थे जोकि नगर एवं ग्राम आयोजना विभाग के तत्वाधान में काम करता था। इसका कामकाज पंजाब शहरी सम्पदा विकास एवं विनियमन अधिनियम,1964 द्वारा विनियम किया जाता था।
राज्य सरकार द्वारा हरियाणा अर्बन डेवलेपमेंट अथोरिटी की गतिविधियों एवं विकास कार्यों की समीक्षा के दौरान यह महसूस किया गया कि हरियाणा अर्बन डेवलेपमेंट अथोरिटी का हिंदी रूपांतरण हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण है जबकि अंग्रेजी व हिंदी संस्करण समान होना चाहिए। चूंकि हरियाणा संघीय भारत का एक हिंदी भाषी प्रदेश है, अत: हरियाणा अर्बन डेवलेपमेंट अथोरिटी को हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण नामित किया जाए।
तदनुसार, हरियाणा अर्बन डेवलेपमेंट अथोरिटी अधिनियम,1977 में निम्र उद्देश्यों की प्राप्ति हेतू संशोधन किए गए है हरियाणा अर्बन डेवलेपमेंट अथोरिटी के हिंदी संस्करण हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण को अंग्रेजी एवं हिन्दी संस्करणों में संशोधन के माध्यम से ग्रहित करना है क्योंकि हरियाणा संघीय भारत का एक हिन्दी भाषी प्रान्त है।

हरियाणा पुनर्विनियोग विधेयक, 2018



वित्तीय वर्ष 2015-16 तथा 2016-17 के दौरान उज्जवल डिस्कॉम ऐशुरेन्स योजना स्कीम के अधीन इक्विटी के लिए हरियाणा बिजली संस्थापनाओं के लिए जारी किए 7785 रुपये करोड़ के अनुदान से निधियों के पुनर्विनियोग के लिए तथा उनसे सम्बन्धित या उनसे आनुषंगिक मामलों के लिए हरियाणा पुनर्विनियोग विधेयक, 2018 पारित किया गया है।
उदय (उज्जवल डिस्कॉम ऐशुरेन्स योजना) एम ओ यू जो कि 11 मार्च, 2016 को हस्ताक्षरित किया गया, के अनुसार, हरियाणा सरकार ने हरियाणा विद्युत संस्थापनाओं को वित्तीय वर्ष 2015-16 (17300 करोड़ रुपये) तथा वित्तीय वर्ष 2016-17 (8650 करोड़ रुपये) में 25950 करोड़ रुपये अनुदान, इक्विटी तथा ऋण के रूप में दिए थे। दोनों वर्षों 2015-16 तथा 2016-17 में अनुदान के रूप में दिए गए 3892.50 करोड़ रुपये के कारण विद्युत संस्थापनाओं के राजस्व में असाधारण वृद्घि हुई जिसके फलस्वरूप विभाग के खातों में लाभ आ गया तथा परिणामस्वरूप मिनिमम अल्टरनेट टैक्स (मैट) का दायित्व, विद्युत संस्थापनाओं को बिना वास्तविक रोकड़ के मिले, आ गया। मैट के दायित्व के कारण रोकड़ बाहर जाएगी, जो कि उदय योजना में प्रस्तावित लक्ष्यों की प्राप्ति को प्रभावित करेंगे।
उदय मोनिटरिंग कमेटी ने 09 मई, 2017 को सभा में यह निर्णय लिया कि हरियाणा सरकार सारी अनुदान की राशि को इक्विटी में हस्तांतरित करेगी तथा विद्युत मंत्रालय को अवगत कराएगी।
वित्त विभाग ने विद्युत संस्थापनाओं की एक सभा 12 जुलाई, 2017 को की थी। इस विषय पर विस्तृत विचार विमर्श के पश्चात, यह निर्धारित किया कि वित्तीय वर्ष 2015-16 तथा 2016-17 के अनुदान को इक्विटी में बांटने के लिए विद्युत विभाग एक विषय जो कि अनुदान की राशि 3892.50 करोड़ रुपये वर्ष 2015-16 तथा 3892.50 करोड़ रुपये वर्ष 2016-17 को इक्विटी में पुन: बांटने के लिए मंत्रिमंडल के सम्मुख अनुमोदन के लिए प्रस्तुत करेगा। मंत्रिमंडल के अनुमोदन को विधानसभा की स्वीकृति के लिए आने वाले विधानसभा सत्र में प्रस्तुत किया जाए। मंत्रिमंडल के अनुमोदन के पश्चात, वित्त विभाग अनुदान की राशि को इक्विटी में बदलने के लिए उपयुक्त अधिसूचना जारी करेगा।
मंत्रीमंडल ने अपनी 13 सितंबर, 2017 की सभा में अनुदान की राशि 3892.50 करोड़ रुपये जो कि प्रत्येक वित्तीय वर्ष 2015-16 तथा 2016-17 में दिए गए थे, को इक्विटी में बदलने का अनुमोदन कर दिया गया है।

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