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सरकारी वकील ने की थी राजेश को फांसी की मांग, बताया था नर पिशाच
देहरादून। देश को दहला देने वाले अनुपमा हत्याकांड में आरोपी पति राजेश गुलाटी को सजा दिलाने में सरकारी अफसरों, जांच अधिकारियों और सरकारी वकीलों की खास भूमिका रही। अफसरों के केस की पड़ताल में सारे सबूत जुटाए और चार्जशीट पेश की। अदालत में बहस के दौरान सरकारी वकील ने राजेश को नर पिशाच बताते हुए फांसी तक देने की मांग कर डाली। सरकारी वकील के तर्कों के आगे बचाव पक्ष की दलीलें चली नहीं।
यह घटना देहरादून के कैंट कोतवाली क्षेत्र के प्रकाशनगर (गोविंदगढ़) में 12 दिसंबर 2010 को सामने आई थी। यहां मित्तल अपार्टमेंट के फ्लैट में पत्नी और दो बच्चों संग रह रहे सॉफ्टवेयर इंजीनियर राजेश गुलाटी (38) ने 17 अक्तूबर 2010 को पत्नी अनुपमा (37) की हत्या कर दी। इसके बाद राजेश ने शव के 72 टुकड़े कर डीप फ्रीजर में डाल दिए और उन्हें एक एक कर ठिकाने लगाने लगा था। मामले में गुरुवार को कोर्ट ने गुलाटी को दोषी करार दिया। जबकि सजा पर फैसला शुक्रवार को आया।1- सरकारी अधिवकता ने वचन सिंह बनाम स्टेट केस का हवाला दिया। संविधान के अनुछेद 19 और 21 का जिक्र किया और बताया की ऐसे केस में दोषी को जीने के अधिकार का मतलब नहीं है।
2-बच्चों का भी जिक्र किया। कहा कि आरोपी ने बच्चों को अपनी मां से दूर किया है। लिहाज़ा स्वतंत्रता का अधिकार और जीने का अधिकार बच्चों का छीना गया है।
3-सरकारी अधिवक्ता गुरु प्रसाद ने राजेश को नरपिशाच कहा। गुरु प्रसाद की एडीजी पंचम की कोर्ट में दलील दी कि सबसे सुरक्षित जगह घर में पति ने पत्नी की हत्या की। मृत पत्नी के शव को दो माह तक छिपाया और काटा। 4- सरकारी वकील ने कहा कि भारत में अब तक का यह पहला मामला है। सजा सख्त आनी चाहिए, ताकि समाज को संदेश जाए। इसमें फांसी की सजा ही होनी चाहिए। सरकारी वकील ने कोर्ट से दोषी राजेश गुलाटी को फांसी की सजा देने की मांग की।
5-उन्होंने पुरुषोत्तम बनाम महाराष्ट्र सरकार के केस का उदाहरण भी दिया। महाराष्ट्र के केस में फांसी की सजा आई थी। 2013 के कुणाल मजूमदार बनाम राजस्थान सरकार केस का भी जिक्र किया। कहा कि इस केस में फांसी की सजा आई थी। हाइकोर्ट ने इसे गलत माना। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने फिर से फांसी की सजा को बरकार रखा था।बचाव पक्ष का तर्क
1 अनुपमा हत्कांड में शुक्रवार को कोर्ट में सजा से पहले बचाव पक्ष के वकील ने दलील दी। बचाव पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट के पुराने मामलों का हवाला देते हुए बचाव किया।
2 बचाव पक्ष ने मौत से पहले पैदा हुई परिस्थितियों पर अपनी बात रखी। बचाव पक्ष ने सफाई देते हुए कहा कि यह रेररेस्ट ऑफ़ रेर केस में नहीं आता मामला।
3 कोर्ट को बताया कि आरोपी अभ्यस्त अपराधी नहीं है। आरोपी से समाज को कोई खतरा नहीं है।
4 राजेश के बारे में बचाव पक्ष ने कहा कि राजेश जेल में लोगों को पढ़ा रहा है। राजेश को तीन माह पहले बेस्ट कैदी का इनाम मिला है।
5 बचाव पक्ष ने अदालत से एक ही मांग की है कि फांसी की सजा न हो।
यह घटना देहरादून के कैंट कोतवाली क्षेत्र के प्रकाशनगर (गोविंदगढ़) में 12 दिसंबर 2010 को सामने आई थी। यहां मित्तल अपार्टमेंट के फ्लैट में पत्नी और दो बच्चों संग रह रहे सॉफ्टवेयर इंजीनियर राजेश गुलाटी (38) ने 17 अक्तूबर 2010 को पत्नी अनुपमा (37) की हत्या कर दी। इसके बाद राजेश ने शव के 72 टुकड़े कर डीप फ्रीजर में डाल दिए और उन्हें एक एक कर ठिकाने लगाने लगा था। मामले में गुरुवार को कोर्ट ने गुलाटी को दोषी करार दिया। जबकि सजा पर फैसला शुक्रवार को आया।1- सरकारी अधिवकता ने वचन सिंह बनाम स्टेट केस का हवाला दिया। संविधान के अनुछेद 19 और 21 का जिक्र किया और बताया की ऐसे केस में दोषी को जीने के अधिकार का मतलब नहीं है।
2-बच्चों का भी जिक्र किया। कहा कि आरोपी ने बच्चों को अपनी मां से दूर किया है। लिहाज़ा स्वतंत्रता का अधिकार और जीने का अधिकार बच्चों का छीना गया है।
3-सरकारी अधिवक्ता गुरु प्रसाद ने राजेश को नरपिशाच कहा। गुरु प्रसाद की एडीजी पंचम की कोर्ट में दलील दी कि सबसे सुरक्षित जगह घर में पति ने पत्नी की हत्या की। मृत पत्नी के शव को दो माह तक छिपाया और काटा। 4- सरकारी वकील ने कहा कि भारत में अब तक का यह पहला मामला है। सजा सख्त आनी चाहिए, ताकि समाज को संदेश जाए। इसमें फांसी की सजा ही होनी चाहिए। सरकारी वकील ने कोर्ट से दोषी राजेश गुलाटी को फांसी की सजा देने की मांग की।
5-उन्होंने पुरुषोत्तम बनाम महाराष्ट्र सरकार के केस का उदाहरण भी दिया। महाराष्ट्र के केस में फांसी की सजा आई थी। 2013 के कुणाल मजूमदार बनाम राजस्थान सरकार केस का भी जिक्र किया। कहा कि इस केस में फांसी की सजा आई थी। हाइकोर्ट ने इसे गलत माना। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने फिर से फांसी की सजा को बरकार रखा था।बचाव पक्ष का तर्क
1 अनुपमा हत्कांड में शुक्रवार को कोर्ट में सजा से पहले बचाव पक्ष के वकील ने दलील दी। बचाव पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट के पुराने मामलों का हवाला देते हुए बचाव किया।
2 बचाव पक्ष ने मौत से पहले पैदा हुई परिस्थितियों पर अपनी बात रखी। बचाव पक्ष ने सफाई देते हुए कहा कि यह रेररेस्ट ऑफ़ रेर केस में नहीं आता मामला।
3 कोर्ट को बताया कि आरोपी अभ्यस्त अपराधी नहीं है। आरोपी से समाज को कोई खतरा नहीं है।
4 राजेश के बारे में बचाव पक्ष ने कहा कि राजेश जेल में लोगों को पढ़ा रहा है। राजेश को तीन माह पहले बेस्ट कैदी का इनाम मिला है।
5 बचाव पक्ष ने अदालत से एक ही मांग की है कि फांसी की सजा न हो।
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