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पीड़िता बोली- ‘मुझे न्याय चाहिए’, कब मिलेगा, 10 दिन हो गए...
चित्तौड़गढ़। कन्या महाविद्यालय में करीब 10 दिन पूर्व हुई रैगिंग का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। अब रैगिंग पीड़िता ‘मुझे न्याय चाहिए’ की तख्ती लेकर कलेक्ट्रेट पहुंची और रैगिंग करने और जातिगत अपमानित करने वाली छात्राओं के विरुद्ध कार्रवाई की मांग की।
कलेक्ट्रेट में मीडिया के समक्ष पीड़िता ने बताया कि 10 दिन होने के बावजूद पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की है और सत्ता के दबाव में एक लड़की पर हुए अत्याचार पर प्रशासन और पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी है। उसने इस संबंध में कोतवाली थाने में मामला भी दर्ज करा दिया, लेकिन पुलिस सत्ता के दबाव में कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। पीड़िता ने बताया कि उसे डराया-धमकाया जा रहा है, ताकि वह कार्रवाई की मांग नहीं करे। उसके घर पर कई लड़के चक्कर लगा रहे हैं और उसे मानसिक प्रताड़ना देते हुए धमकियां दी जा रही हैं। पीड़िता ने बताया कि गवाही देने वाली छात्रों को भी डराया धमकाया जा रहा है।
गौरतलब है कि कन्या महाविद्यालय में अध्ययनरत प्रथम वर्ष की पीड़ित छात्रा ने उसके साथ एबीवीपी की छात्र नेताओं द्वारा रैगिंग किए जाने और जातिगत रूप से अपमानित किए जाने का मामला दर्ज कराया था। इस मामले में पुलिस ने नक्शा-मौका तैयार किया है, लेकिन अभी तक बयान दर्ज नहीं हो पाए हैं। इसे लेकर छात्रा ने कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन करते हुए मीडिया के समक्ष नाराजगी जाहिर की।
महिला मुख्यमंत्री फिर भी महिलाओं की सुनवाई नहीं
पीड़िता ने मीडिया के समक्ष कहा कि प्रदेश की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे स्वयं एक महिला हैं, लेकिन फिर भी महिलाओं की सुनवाई नहीं है। उसने कहा कि मीडिया के माध्यम से वह मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को कहना चाहती है कि गैरकानूनी तरीके से जिन लड़कियों ने उसके साथ रैगिंग की है, उनके विरुद्ध कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाए।
सभी छात्र संगठनों से किया किनारा
पीड़िता से पूछे जाने पर उसने बताया कि उसका एबीवीपी, एनएसयूआई या किसी भी छात्र संगठन से नाता नहीं है। उसने कहा कि राजनीति से उसका कोई वास्ता नहीं है और न ही किसी छात्र संगठन के नेता से उसकी बात हुई है। उसने बताया कि वह महाविद्यालय में पढ़ने और कॅरियर बनाने आई है, लेकिन यहां पढ़ाई के विपरीत राजनीति की जा रही है। छात्रा ने पुलिस प्रशासन सहित मीडिया को भी आड़े हाथों लिया।
विधायक से लगाई गुहार, लेकिन नहीं हुई सुनवाई
पीड़ित छात्रा ने बताया कि इस संबंध में उसने क्षेत्रीय विधायक चंद्रभानसिंह आक्या से भी संपर्क किया और उनसे कार्रवाई कराने की मांग की, लेकिन उन्होंने खुद को बस्सी में होना बताते हुए बाद में किसी व्यक्ति के माध्यम से घर आकर अपनी बात कहने का संदेश भिजवा दिया। उसने कहा कि हमारे विधायक किसी पीड़िता की बात नहीं सुन सकते तो उनका क्या अर्थ रह जाता है।
कलेक्ट्रेट में मीडिया के समक्ष पीड़िता ने बताया कि 10 दिन होने के बावजूद पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की है और सत्ता के दबाव में एक लड़की पर हुए अत्याचार पर प्रशासन और पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी है। उसने इस संबंध में कोतवाली थाने में मामला भी दर्ज करा दिया, लेकिन पुलिस सत्ता के दबाव में कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। पीड़िता ने बताया कि उसे डराया-धमकाया जा रहा है, ताकि वह कार्रवाई की मांग नहीं करे। उसके घर पर कई लड़के चक्कर लगा रहे हैं और उसे मानसिक प्रताड़ना देते हुए धमकियां दी जा रही हैं। पीड़िता ने बताया कि गवाही देने वाली छात्रों को भी डराया धमकाया जा रहा है।
गौरतलब है कि कन्या महाविद्यालय में अध्ययनरत प्रथम वर्ष की पीड़ित छात्रा ने उसके साथ एबीवीपी की छात्र नेताओं द्वारा रैगिंग किए जाने और जातिगत रूप से अपमानित किए जाने का मामला दर्ज कराया था। इस मामले में पुलिस ने नक्शा-मौका तैयार किया है, लेकिन अभी तक बयान दर्ज नहीं हो पाए हैं। इसे लेकर छात्रा ने कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन करते हुए मीडिया के समक्ष नाराजगी जाहिर की।
महिला मुख्यमंत्री फिर भी महिलाओं की सुनवाई नहीं
पीड़िता ने मीडिया के समक्ष कहा कि प्रदेश की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे स्वयं एक महिला हैं, लेकिन फिर भी महिलाओं की सुनवाई नहीं है। उसने कहा कि मीडिया के माध्यम से वह मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को कहना चाहती है कि गैरकानूनी तरीके से जिन लड़कियों ने उसके साथ रैगिंग की है, उनके विरुद्ध कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाए।
सभी छात्र संगठनों से किया किनारा
पीड़िता से पूछे जाने पर उसने बताया कि उसका एबीवीपी, एनएसयूआई या किसी भी छात्र संगठन से नाता नहीं है। उसने कहा कि राजनीति से उसका कोई वास्ता नहीं है और न ही किसी छात्र संगठन के नेता से उसकी बात हुई है। उसने बताया कि वह महाविद्यालय में पढ़ने और कॅरियर बनाने आई है, लेकिन यहां पढ़ाई के विपरीत राजनीति की जा रही है। छात्रा ने पुलिस प्रशासन सहित मीडिया को भी आड़े हाथों लिया।
विधायक से लगाई गुहार, लेकिन नहीं हुई सुनवाई
पीड़ित छात्रा ने बताया कि इस संबंध में उसने क्षेत्रीय विधायक चंद्रभानसिंह आक्या से भी संपर्क किया और उनसे कार्रवाई कराने की मांग की, लेकिन उन्होंने खुद को बस्सी में होना बताते हुए बाद में किसी व्यक्ति के माध्यम से घर आकर अपनी बात कहने का संदेश भिजवा दिया। उसने कहा कि हमारे विधायक किसी पीड़िता की बात नहीं सुन सकते तो उनका क्या अर्थ रह जाता है।
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