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दाईं और घुमी सूंड के गणेशजी ही क्यों होते हैं शुभ
श्रीगणेशजी भारत के अति प्राचीन देवता हैं। ऋग्वेद में गणपति शब्द आया है।
यजुर्वेद में भी ये उल्लेख है। अनेक पुराणों में गणेश की विरुदावली वर्णित
है। पौराणिक हिन्दू धर्म में शिव परिवार के देवता के रूप में गणेश का
महत्त्वपूर्ण स्थान है। प्रत्येक शुभ कार्य से पहले गणेश की पूजा होती है।
धर्म शास्त्रों में भगवान श्रीगणेश के अनेक नाम बताए गए हैं। उन्हीं में
से एक नाम है वक्रतुंड, जिसका अर्थ है भगवान गणेश का वह स्वरूप जिसमें उनकी
सूंड मुड़ी हुई होती है। श्रीगणेश के इस स्वरूप के भी कई भेद हैं।
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