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शरद पूर्णिमा, मां लक्ष्मी निकलेंगी सैर को, ऐसे होंगी राजी
पूरे देश में शरद पूर्णिमा 5 अक्टूबर को मनाई जाएगी। माना
जाता है कि इसी धवल चांदनी में मां लक्ष्मी पृथ्वी भ्रमण के लिए आती हैं।
शास्त्रों के अनुसार इसी दिन माता लक्ष्मी और महर्षि वाल्मीकि का जन्म हुआ
था| भगवान शिव और माता पार्वती के ज्येष्ठ पुत्र कार्तिकेय का जन्म भी इसी
दिन हुआ था | शास्त्रों के अनुसार शरद पूर्णिमा की मध्य रात्रि के बाद मां
लक्ष्मी अपने वाहन उल्लू पर बैठकर धरती के मनोहर दृश्य का आनंद लेती हैं।
इस दिन श्रीसूक्त, लक्ष्मीस्तोत्र का पाठ करके हवन करना चाहिए। इस विधि से
कोजागर व्रत करने से माता लक्ष्मी अति प्रसन्न होती हैं तथा धन-धान्य,
मान-प्रतिष्ठा आदि सभी सुख प्रदान करती हैं|
क्या करें शरण पूर्णिमा पर--
इस दिन गाय के दूध से खीर बनाकर उसमें घी और चीनी मिलाकर रात्रि में चन्द्रमा की रोशनी में रख दें। सुबह इस खीर का भगवान को भोग लगाएं तथा घर के सभी सदस्य सेवन करें। इस दिन खीर बनाकर चन्द्रमा की रोशनी में रखने से उसमें औषधीय गुण आ जाते हैं तथा वह मन, मस्तिष्क तथा शरीर के लिए अत्यन्त उपयोगी मानी जाती हैं। इससे दिमाग तेज होता है।
क्या करें शरण पूर्णिमा पर--
इस दिन गाय के दूध से खीर बनाकर उसमें घी और चीनी मिलाकर रात्रि में चन्द्रमा की रोशनी में रख दें। सुबह इस खीर का भगवान को भोग लगाएं तथा घर के सभी सदस्य सेवन करें। इस दिन खीर बनाकर चन्द्रमा की रोशनी में रखने से उसमें औषधीय गुण आ जाते हैं तथा वह मन, मस्तिष्क तथा शरीर के लिए अत्यन्त उपयोगी मानी जाती हैं। इससे दिमाग तेज होता है।
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