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सोने-चांदी के गहने बहते पानी में बहाए, ये था कारण
संगरूर। कभी भी बिना देख भाल के काम करना महंगा पड़ जाता है। संगरुर के एक परिवार के साथ ऐसा ही हुआ। इस परिवार के एक सदस्य ने बिना देखे पूजा पाठ की सामग्री वाला लिफाफा समझ कर सोने-चांदी के गहने वाला लिफाफा पानी में बहा दिया।
लोग अक्सर पूजा पाठ की सामग्री को बहते पानी में परवाह कर देते हैं। मगर संगरूर के एक परिवार को नहर में पूजा सामग्री प्रवाहित करना खासा महंगा पड़ गया है। दरअसल, इस परिवार ने पूजा सामग्री की जगह सोने-चांदी के गहनों वाला लिफाफा ही नहर में फैंक दिया। दरअसल, हुआ यूं कि लखवीर चंद का परिवार किसी समारोह में जा रहा था। सोचा, कि चलो रास्ते में पड़ती नहर में पूजा सामग्री भी प्रवाहित कर देंगे। सारा सामान लिफाफे में डालकर दूसरे सामान के साथ ही गाड़ी में रख लिया। गाड़ी नदामपुर बाइपास पर पड़ती नहर पर रूकी। परिवार ने कार में से लिफाफा निकाला और नहर में फैंक दिया। बाद में देखा तो पता चला कि जो लिफाफा फैंकना था वह तो कार में ही रह गया और जेवरों वाला लिफाफा फैंक दिया तो उनके होश उड़ गए। वे नहर की तरफ गए लेकिन तब तक लिफाफा बह चुका था।
लोग अक्सर पूजा पाठ की सामग्री को बहते पानी में परवाह कर देते हैं। मगर संगरूर के एक परिवार को नहर में पूजा सामग्री प्रवाहित करना खासा महंगा पड़ गया है। दरअसल, इस परिवार ने पूजा सामग्री की जगह सोने-चांदी के गहनों वाला लिफाफा ही नहर में फैंक दिया। दरअसल, हुआ यूं कि लखवीर चंद का परिवार किसी समारोह में जा रहा था। सोचा, कि चलो रास्ते में पड़ती नहर में पूजा सामग्री भी प्रवाहित कर देंगे। सारा सामान लिफाफे में डालकर दूसरे सामान के साथ ही गाड़ी में रख लिया। गाड़ी नदामपुर बाइपास पर पड़ती नहर पर रूकी। परिवार ने कार में से लिफाफा निकाला और नहर में फैंक दिया। बाद में देखा तो पता चला कि जो लिफाफा फैंकना था वह तो कार में ही रह गया और जेवरों वाला लिफाफा फैंक दिया तो उनके होश उड़ गए। वे नहर की तरफ गए लेकिन तब तक लिफाफा बह चुका था।
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