जोड़ों की विकृति से पीड़ित होने के कारण शारीरिक रूप से अशक्त आगरा के
विनोद कुमार मोबाइल मरम्मत करने का प्रशिक्षण पाकर उत्साहित हैं। उन्होंने
आईएएनएस से बातचीत में कहा, "मैं आगरा वापस जाने पर एक दुकान खोलकर खुद
कमाई करना चाहता हूं। यहां जो सबसे अच्छी चीज मुझे मिली, वह यह है कि मैंने
उपचार के दौरान प्रशिक्षण प्राप्त किया।"आशा देवी के पोते का यहां
ऑपरेशन हुआ है। उन्होंने बताया, "हालांकि मेरी उम्र 60 साल हो चुकी है फिर
भी मुझे विभिन्न डिजाइन के फ्रॉक और कुर्ती की सिलाई करने में आनंद का
अनुभव हो रहा है। हमारे गांव में किसी के पास यह हुनर नहीं है। इसलिए मुझे
विश्वास है कि मेरी अच्छी कमाई होगी।"उन्होंने बताया कि नारायण सेवा संस्थान ने उनको गांव लौटते समय सिलाई मशीन देने का वादा किया है।उन्होंने
बताया, "यहां हमारे लिए रहना, खाना, प्रशिक्षण और इलाज सबकुछ नि:शुल्क है।
इस प्रकार यह संस्थान हमारे के लिए मंदिर जैसा है, जहां हमारी सारी
प्रार्थना सुनी गई।"संस्थान की ओर से शारीरिक रूप से अशक्त और
सुविधा विहीन पृष्ठभूमि के युवाओं की शादी के लिए साल में दो बार सामूहिक
विवाह समारोह का भी आयोजन किया जाता है। अबतक 1,298 जोड़ों की यहां शादियां
हो चुकी हैं।1985 में संगठन की नींव रखने वाले कैलाश अग्रवाल ने
1976 में सिरोही जिले में हुए एक भीषण हादसे को देखकर मानवता की सेवा का
कार्य शुरू किया। उस हादसे में सात लोगों की मौत हो गई थी।प्रशांत
ने बताया, "मेरे पिताजी डाकखाने में किरानी थे। सिरोही के पिंडवाड़ा में बस
की टक्कर के बारे में सुनने के बाद वह दफ्तर से छुट्टी लेकर वहां गए तो
हादसे में खून से लथपथ लोगों को देख विचलित हो गए। लोगों की मदद से
उन्होंने घायलों को जनरल अस्पताल में भर्ती करवाया। वह उनकी देखभाल की
जरूरतों को पूरा करने के लिए रोज अस्पताल जाते थे।"प्रशांत ने कहा,
"अस्पताल में उन्हें लोगों के कष्टों का अनुभव हुआ। उन्होंने देखा कि पैसे
के अभाव में लोग दवाई तक नहीं खरीद पाते थे।"उन्होंने बताया,
"लोगों की मदद के लिए उन्होंने दानपात्र पर नारायण सेवा की पर्ची चिपकाकर
अपने रिश्तेदारों और परिचतों के बीच उसे वितरित किया, जिसमें लोगों से रोज
थोड़ा आटा मांगा जाता था। हर दिन सुबह में मेरी मां और पिताजी आंटा जमाकर
भूखों को खाना खिलाते थे। मेरी बहन और मैंने भी इस कार्य में उनका साथ
दिया।"बाद में 1985 में उन्होंने नारायण सेवा संस्थान की स्थापना
की। यह एक गैर-लाभकारी खराती संगठन है, जो समाज के अत्यंत गरीब वर्ग के
मरीजों की मदद करता है।यह संस्थान अब दुनिया के उन संस्थानों में
शुमार है, जहां रोज 100 से अधिक पोलियो और मस्तिष्क पक्षाघात से पीड़ित
मरीजों की सर्जरी होती है। इस संस्थान ने अब तक पोलियो से ग्रस्त 3,25,000
मरीजों का इलाज कर उन्हें नई जिंदगी प्रदान की है।संस्थान का मुख्यालय उदयपुर में है, जहां 1,100 बिस्तरों का एक अस्पताल है। इस अस्पताल में देश-विदेश से आए मरीजों का उपचार होता है।इस
संगठन द्वारा नारायण चिल्ड्रन एकेडमी का भी संचालन किया जाता है, जिसमें
आसपास के जनजातीय छात्रों के लिए सारी सुविधाओं से सुसज्जित कक्षाएं चलती
हैं।प्रशांत ने कहा, "हमारा मकसद शारीरिक रूप से अशक्त सभी लोगों को अपने पैरों पर खड़े होने लायक बनाना है।"--आईएएनएस